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 पाकिस्तान में एक खबर छपी- उनके कई पुराने क्रिकेटरों के यूट्यूब चैनल भारत की बदौलत चल रहे हैं। उनकी हर बयानबाजी को भारत के अखबार और मीडिया खूब चर्चा देते हैं- ये सच है। उनकी फिजूल की, भारत के क्रिकेटरों के बारे में बयानबाजी छपती है पर भारतीय क्रिकेट की खबरें दबी रह जाती हैं। अब देखिए- बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में बीसीसीआई के बारे में एक बड़ा ख़ास फैसला दिया जिसे कोई चर्चा नहीं मिली। कोर्ट ने कहा कि बोर्ड महज क्रिकेट को बढ़ावा नहीं दे रहा- कमर्शियल एक्टिविटी में बराबर शामिल है, उनसे मुनाफा कमाता है और इसलिए, Employees State Insurance (ESI) Act बीसीसीआईपर लागू है। इसका मतलब ये निकला कि अपने स्टाफ के कल्याण की देखभाल की जिम्मेदारी बोर्ड की है और उसे Employees State Insurance Corporation (ESIC) में योगदान देना होगा। इस कार्पोरेशन की बदौलत मेडिकल सुविधाएं मिलती हैं- देखभाल, बीमारियों/चोटों के मामलों में मुआवजे का भुगतान और अन्य कई तरह के फायदे। अब तक क्रिकेट बोर्ड अपने स्टाफ की ऐसी भलाई के लिए, अपने खजाने से कोई फीस देने को तैयार नहीं था। इस आदेश से जस्टिस भारती डांगरे की सिंगल बेंच ने मुंबई में एक ईएसआई कोर्ट के इस साल की शुरुआत में सुनाए एक आदेश को बरकरार रखा, जिसमें कहा गया था कि बीसीसीआई को Mumbai Shop and Establishment Act के अंतर्गत एक ‘दुकान’ मानेंगे- इसलिए वे ईएसआई एक्ट में कवर होते हैं। बीसीसीआई ने इस आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
कोर्ट ने ये माना कि बीसीसीआई काफी हद तक एडमिनिस्ट्रेशन का काम करता है पर मैचों के ब्रॉडकास्ट, स्पॉन्सरशिप, टिकटों की बिक्री आदि के अधिकार बेचकर इंटरनेशनल टूर, आईपीएल से पैसा भी कमाता है- इसलिए, उनका काम कमर्शियल माना जाएगा। ईएसआई कोर्ट ने क्रिकेट गवर्निंग बॉडी को अपने स्टाफ के बीमा के लिए, अपने हिस्से के तौर पर लगभग 5 लाख रुपये का भुगतान करने को कहा था- बोर्ड हर साल के इस खर्चे से बचना चाहता है। ये तय है कि बोर्ड ने इस सारे केस में वकीलों पर 5 लाख रुपये से ज्यादा खर्च दिए होंगे। 
ये सारा मामला तब शुरू हुआ जब कार्पोरेशन का एक इंस्पेक्टर अप्रैल-मई 2011 में बोर्ड के ऑफिस पहुंच गया- उसने ऑफिस  में मौजूद स्टाफ और उनके सेलेरी की जांच की और इसके बाद, बोर्ड को मई 2007 से मार्च 2014 के लिए, इस एक्ट के अंतर्गत अपने योगदान के तौर पर लगभग 5 लाख रुपये के भुगतान के लिए, जुलाई 2014 में एक नोटिस भेज दिया।  इस नोटिस के विरोध में बीसीसीआई ने पहले ईएसआई कोर्ट और फिर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

एक और खबर देखिए जो है तो मुंबई की पर इस से पूरे देश के क्रिकेट प्रेमियों को फायदा होगा क्योंकि हालात सब जगह खराब हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीसीसीआई, मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (एमसीए) और राज्य सरकार से कहा कि पूरे महाराष्ट्र में पब्लिक के लिए उपलब्ध उन सभी ग्राउंड पर टॉयलेट, पीने के पानी और मेडिकल मदद जैसी सुविधाएं दे जहां मैच खेले जाते हैं। जस्टिस अनिल के मेनन और मकरंद एस कार्णिक की बेंच ने एडवोकेट राहुल तिवारी की एक पीआईएल पर सुनवाई में ये आदेश दिया। शिकायत की गई थी कि क्रिकेट खिलाड़ियों को, ख़ास तौर पर उनके शुरुआती दिनों में, बुनियादी सफाई और मेडिकल मदद नहीं दी जाती हैं। उनके करियर के उस मुकाम पर ऐसी सुविधा उनका हक़ है। जब किसी ग्राउंड को प्रेक्टिस या मैच के लिए बुक किया जाता है तो पैसा देना पड़ता है- तब भी ऐसी कोई सुविधा नहीं मिलती। बेंच ने कहा- राज्य भर में पब्लिक ग्राउंड पर जरूरी सुविधाएं मुहैया करानी चाहिए जहां क्रिकेट खेला जाता है ताकि खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया जा सके।आपको अपना अगला स्टार इन्हीं पब्लिक ग्राउंड से मिल सकता है। ये कहकर जस्टिस मेनन ने क्रिकेट एसोसिएशन और शहर की कॉर्पोरेशन की खिंचाई की और कहा कि वे सुविधाएं नहीं देने के बहाने के तौर पर वे पैसे की कमी का दावा नहीं कर सकते। क्या आपके शहर में हालात बेहतर हैं?
कुछ दिन पहले एक रिपोर्ट में भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी के स्पांसर बायजू की हालत का जिक्र किया था- अब उसका क्रिकेट पर असर सामने आ गया है। बायजू पर बीसीसीआई का 86.21 करोड़ रुपये बकाया है- ये बात खुद क्रिकेट बोर्ड ने मानी। बायजू ने जवाब में कहा- बीसीसीआई के साथ नया कॉन्ट्रैक्ट हो गया लेकिन इस पर अभी हस्ताक्षर नहीं हुए हैं- इसलिए पेमेंट रोकी है। बायजू ने ये भी कहा कि 500 लोगों को नौकरी पर वापस ले लिया है।

इन दिनों कॉमनवेल्थ गेम्स चल रहे हैं- वहां तो क्रिकेट है पर अभी ओलंपिक में क्रिकेट नहीं है। तब भी क्रिकेट बोर्ड इन खेलों की तैयारी में अपना योगदान देता है। बोर्ड ने अपने एकाउंट की जानकारी के दौरान बताया कि उनका टोक्यो ओलंपिक बिल 18 करोड़ रुपये है। एक साल में, कुल गैर-क्रिकेट खर्चे लगभग 22 करोड़ रुपये। देखिए ख़ास खर्चे :- 70 लाख रुपये  सिंगर मोहित चौहान को ओलंपिक अभियान गीत बनाने और गाने के लिए – 68 लाख रुपये एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी को दिए – 4 करोड़ रुपये पदक विजेताओं के लिए नकद इनाम पर – ‘पीएम केयर्स’ के लिए 5 करोड़ रुपये- कोविड-संकट के दौरान ऑक्सीजन उपलब्ध कराने पर 3.8 करोड़ रुपये- भारत में टोक्यो ओलंपिक को बढ़ावा देने के लिए काम करने वाली विज्ञापन एजेंसी के लिए 7 करोड़ रुपये – ओलंपिक अभियान टी-शर्ट की खरीद के 98 लाख रुपये 

  • चरनपाल सिंह सोबती

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