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अगर आपने इंग्लैंड में भारत के वाइट बॉल मैचों को टेलीविजन पर देखा तो जरूर नोट किया होगा कि मैचों में, इंग्लैंड टीम के ड्रेसिंग रूम की बालकनी से, एक बोर्ड पर थोड़ी-थोड़ी देर बाद एक नंबर दिखाया गया- उस समय जब टीम इंडिया बैटिंग कर रही थी। क्या था ये? क्रिकेट के ‘मक्का’ लॉर्ड्स में भी ऐसा ही हुआ। ये था खुलेआम ‘धोखा’ पर एमसीसी और आईसीसी दोनों चुप। 

 इंग्लैंड ने ये सिलसिला तब शुरू किया था कप्तान थे इयोन मोर्गन- सबसे पहली बार दक्षिण अफ्रीका के अपने पिछले टूर में। इंग्लैंड टीम के एनालिस्ट नाथन लेमन ड्रेसिंग रूम की बालकनी से एक बोर्ड पर एक नंबर दिखाते हैं और ये नंबर कप्तान को इशारा है कि अगले ओवर में किस गेंदबाज से गेंदबाजी करानी चाहिए। तब से आईसीसी ने इस प्रेक्टिस को लगातार जारी रखने वाली इंग्लैंड टीम पर कोई कार्रवाई नहीं की है। ये भी संभव है कि धीरे-धीरे हर नंबर का मतलब बदल गया हो- क्या, ये शायद टीम को ही मालूम होगा। अगर आप क्रिकेट लॉ के पेज पलटें तो इंग्लैंड ने कोई लॉ नहीं तोड़ा पर ये पक्का है कि ये क्रिकेट खेलने का ‘सही’ तरीका नहीं है।  आईसीसी ने कह दिया कि चूंकि ये लॉ का मामला है इसलिए उनके दायरे से परे है तो लॉ और स्पिरिट दोनों के लिए जिम्मेदार, एमसीसी की ड्यूटी है कि क्रिकेट को बचाए और इस तमाशे के सही होने पर ‘मुहर’ न लगने दे। मतलब साफ़ है कि एक टीम को इस तरीके से ऐसा फ़ायदा मिल रहा है जो गलत है- इतना ही नहीं दूसरी टीम ऐसा कुछ नहीं कर रही।  क्रिकेट के खेल का मजा /रोमांच ही यही है कि खिलाड़ियों को ग्राउंड पर अपने खेल के बारे में खुद सोचना है। क्रिकेट, कोई  रग्बी/फुटबॉल/कोई अमेरिकी खेल नहीं, जहां ग्राउंड के बाहर कोच किंग होता है। क्रिकेट, खिलाड़ियों को ग्राउंड  पर और बाहर अपने पैरों पर सोचना सिखाता है। कोच चाहे जो बताए- ग्राउंड पर खिलाड़ी खुद खेलता है। जब ऐसा है तो इंग्लैंड टीम को फील्डिंग के दौरान मदद क्यों मिले? 

इंग्लैंड टीम मैनेजमेंट (जिसमें उनके नए वाइट बॉल कोच मैथ्यू मॉट भी शामिल) का कहना है- नंबर पोस्ट करना उनके कप्तान को महज ‘सलाह’ है- आर्डर नहीं। तब भी ये क्रिकेट को सही तरह से खेलना नहीं कहा जा सकता। हर टीम ऐसा करने लगे तो क्या होगा? तब तो कोच और टीम एनालिस्ट ‘मैच’ खेलेंगे और खिलाड़ी कठपुतली।  ये सही मायने में मैच फिक्सिंग में मदद भी है। आप फिक्सर को इशारा दे रहे हैं कि बदलाव होने वाला है और बहुत संभव है कि कोई इन इशारों का मतलब फिक्सर को लीक कर दे। इसलिए बिना देरी, इंग्लैंड की इस नई प्रेक्टिस पर रोक लगाई जानी चाहिए। आईसीसी को एक्ट करना होगा। इससे पहले कि ये सिगनलिंग खिलाड़ी को रोबोट बना दे और खिलाड़ी खुद के लिए सोचने की आर्ट भूल जाएं-  इसे रोकना चाहिए।क्रिकेट को सही तरीके और लॉ में खेलें- ये देखना आईसीसी और एमसीसी दोनों की जिम्मेदारी है। इस पर ‘सही’ की  मुहर लगाने की जगह, कार्रवाई करनी चाहिए थी, क्योंकि यह धोखा है और खेल के हर स्तर को नुकसान पहुंचाएगा।

11 मार्च 2021 का दिन- दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध इंग्लैंड का टी 20 मैच और तब पहली बार ये नोट किया गया कि खेल के दौरान नाथन लेमन बालकनी से इयोन मॉर्गन को कोड में निर्देश भेज रहे हैं। इसके बाद टूर में पिछले मैचों की वीडियो फिर से देखी गईं तो पता चला कि दक्षिण अफ्रीका में अपने पिछले टी 20 इंटरनेशनल में भी इंग्लैंड ने यही किया था और एनालिस्ट ने कप्तान इयोन मोर्गन को कोड में संदेश भेजे।ऐसा नहीं है कि इस मुद्दे पर कभी शोर नहीं हुआ या किसी क्रिकेट पंडित ने ध्यान नहीं दिया। जवाब में पता चला कि इंग्लैंड ने मैच रेफरी को इस बारे में बता दिया था और इजाजत मांग ली थी कि उनके एनालिस्ट नाथन लेमन दक्षिण अफ्रीका की पारी के दौरान “बी 2” या “ई 4” जैसे सिग्नल पोस्ट कर लें- ये सिर्फ मॉर्गन को ये बताने के लिए होंगे कि किसी ख़ास ओवर के लिए उनके सबसे बेहतर गेंदबाज कौन हो सकते हैं? इंग्लैंड या मैच रेफरी ने दक्षिण अफ्रीका को इस बारे में कुछ नहीं बताया और इस तरह से केप टाउन के मैच की उस ‘इजाजत’ की आड़ में इंग्लैंड वाले अब तक वही सिलसिला चलाते आ रहे हैं।  

क्रिकेट की सही भावना के बारे में लॉ की प्रस्तावना में साफ़ लिखा है: “निष्पक्ष खेल हो- ये तय करने की प्रमुख जिम्मेदारी कप्तानों की है।” इसके दायरे में इंग्लैंड टीम के ये इशारे फिट नहीं होते। एमसीसी  की तरफ से एक बार स्पष्टीकरण आया था- ‘इस समय लॉ में ऐसी सिग्नलिंग के लिए कोई जगह नहीं है और चूंकि ये प्लेइंग कंडीशंस को सही तरह से लागू करने का मामला है – इसलिए आईसीसी के अधिकार क्षेत्र में आता है।’ आईसीसी ने इसका कोई जवाब नहीं दिया। बात साफ़ है कि यदि सिग्नलिंग की इजाजत है तो कोई भी कोच/एनालिस्ट सीधे कप्तान पर दबाव बना देगा कि जैसा कहा जा रहा है- वैसा करो और धीरे-धीरे पूरा मैच ही इनके इशारों पर खेलने लगेंगे। अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सिग्नलिंग की इजाजत है तो टीमों को वो कप्तान चाहिए जो, बिना दिमाग लगाए- कोच/एनालिस्ट की बात माने। जो कप्तान अपना दिमाग लगाएगा- वह तो उनकी बात न मानने का मामला बन जाएगा। क्रिकेट कोच/एनालिस्ट तब फुटबॉल मैनेजर बन जाएगा।एक और बीमारी पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। इंग्लैंड टीम के यही एनालिस्ट नाथन लेमन पाकिस्तान सुपर लीग में भी इस सिस्टम का इस्तेमाल कर चुके हैं- तब वे कोच एंडी फ्लावर के साथ मुल्तान सुल्तान टीम में थे। वहां भी उन्होंने ऐसे पोस्टर बनाए और उनके खिलाड़ियों को कोड समझना सिखा दिया। ये पक्का है कि इंग्लैंड ने अपने कोड बदल लिए होंगे लेकिन जो खिलाड़ी पीएसएल में थे, उन्हें ये तो मालूम होगा कि इंग्लैंड वाले क्या करते हैं? ये सब ऐसा झांसा/धोखा है जिस पर कार्रवाई की जरूरत है। 

– चरनपाल सिंह सोबती

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