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26 मई को आईपीएल फाइनल है। टीम की चर्चा है, खिलाड़ियों की चर्चा है- उस फाइनल के अंपायर की कहीं चर्चा नहीं। इस फाइनल में एक अंपायर नितिन मेनन
भी होंगे और ये कहना गलत नहीं कि वे भारत से इस समय नंबर 1 अंपायर हैं। आईपीएल फाइनल में रिकॉर्ड 6वीं बार अंपायरिंग का रिकॉर्ड बनाएंगे- पिछला रिकॉर्ड ऑस्ट्रेलिया के साइमन टॉफेल (5) का था और एक ख़ास बात ये भी कि लगातार आईपीएल फाइनल में अंपायर हैं।

इंदौर में रहने वाले और मध्य प्रदेश के भूतपूर्व क्रिकेटर नितिन मेनन, आईसीसी एलीट पैनल में इस समय अकेले भारतीय हैं और उन्हें भी फाइनल के फ़ौरन बाद टी20 वर्ल्ड कप में अंपायरिंग के लिए यूएसए-विंडीज रवाना होना है- वहां रिकॉर्ड तीसरी बार टी20 वर्ल्ड कप में अंपायर होंगे। इसके साथ एक वनडे वर्ल्ड कप भी जोड़ लें तो उनका रिकॉर्ड और भी प्रभावशाली हो जाता है। और कुछ रिकॉर्ड :

  • आईपीएल 2024 के दौरान ही अहमदाबाद में गुजरात-बेंगलुरु मैच उनका अपना 100वां आईपीएल मैच था। 
  • टी20 वर्ल्ड कप में, ऑन-फील्ड भारतीय अंपायर के तौर पर एस वेंकटराघवन के 125 इंटरनेशनल मैच का रिकॉर्ड तोड़ेंगे- इस समय रिकॉर्ड 122 इंटरनेशनल मैच।
  • खिलाड़ी के तौर पर बल्लेबाज थे और मध्य प्रदेश के लिए जूनियर और सीनियर क्रिकेट दोनों खेले। लिस्ट ए क्रिकेट में 2004 में 2 मैच- इनमें 7 रन बनाए।
  • उनके पिता नरेंद्र मेनन भी अंपायर थे।  
  • बीसीसीआई के अंपायर एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका में घरेलू फर्स्ट क्लास क्रिकेट में भी अंपायर रहे हैं। 

इन रिकॉर्ड और ड्यूटी के लिए एक लंबा सफर तय किया है नितिन मेनन ने। 27 नवंबर 2019 से देहरादून में अफगानिस्तान-वेस्टइंडीज टेस्ट के साथ टेस्ट अंपायर करियर शुरू हुआ था- तब टेस्ट ड्यूटी पर 62वें भारतीय अंपायर थे। इस तरह अक्टूबर 2013 में चटोग्राम में बांग्लादेश-न्यूजीलैंड टेस्ट में एस रवि के बाद, टेस्ट में अंपायरिंग करने वाले पहले भारतीय थे और टॉप क्रिकेट में किसी भी भारतीय अंपायर की गैर मौजूदगी का सूखा ख़त्म हुआ था।

औपचारिक तौर पर, नितिन मेनन 2020-21 के लिए आईसीसी के अंपायरों के एलीट पैनल में आए- निगेल लोंग की जगह और एस वेंकटराघवन एवं एस रवि के बाद, एलीट पैनल में जगह बनाने वाले तीसरे भारतीय थे- साथ में एलीट पैनल में शामिल होने वाले सबसे कम उम्र के अंपायर में से एक भी। 

तब अपने समय के नंबर 1 इंटरनेशनल अंपायर साइमन टॉफेल, जो भारत में  अंपायरों की ट्रेनिंग के प्रोजेक्ट से भी जुड़े रहे, ने कहा था कि उन्हें नितिन मेनन की इस प्रमोशन पर कतई हैरानी नहीं क्योंकि एक अंपायर के तौर पर वे उनके टेलेंट को जानते थे। सबसे बड़ी बात ये कि उनकी ये प्रमोशन, भारत के उन सभी अंपायर के लिए एक प्रेरणा थी जो अंपायरिंग को करियर की तरह देख रहे हैं। जब 2022 में बीसीसीआई ने अंपायरों के लिए ए+ ग्रेड की शुरुआत की तो जो इंटरनेशनल अंपायर इस ग्रेड में आए उनमें से एक नितिन मोहन भी थे।

वे भी ये मानते हैं कि चूंकि खुद खेले इससे अंपायर के तौर पर सही फैसले देने में मदद मिली। जब सीनियर क्रिकेट में एक खिलाड़ी के तौर पर कुछ ख़ास नहीं कर रहे थे तो ये उनके पिता की सलाह थी कि बीसीसीआई अंपायर एग्जाम में हिस्सा लो- पास हो गए और अंपायरिंग करियर शुरू हो गया। तब 23 साल के थे और खुद को एक खिलाड़ी के तौर  पर आजमाने का अभी भी मौका था पर बदलाव के जोखिम का उन्हें फायदा मिला। अपने ऊपर, क्रिकेट लॉ की स्टडी के साथ-साथ जिस मुद्दे पर सबसे ज्यादा मेहनत की और आज भी करते हैं- वह है फिटनेस क्योंकि लगातार पूरी एकाग्रता के साथ कई घंटे खड़े रहना कोई मजाक नहीं।

वे मानते हैं कि गलत फैसले हो जाते हैं पर वे गलतियों को दिमाग में नहीं रखते क्योंकि उनकी नजर में गलती इस काम का एक अलग न होने वाला, हिस्सा है- ‘मैं उनसे सीखता हूं और आगे बढ़ता हूं। जो खास और सही फैसले लिए उन पर ध्यान लगाता हूं जिससे आगे के मैचों के लिए पॉजिटिव होने में मदद  मिलती है।’ इसीलिए वे सबसे ज्यादा 2019 के आईपीएल फाइनल को याद करते हैं- सीएसके को हैदराबाद में एमआई के विरुद्ध आखिरी गेंद पर 2 रन की जरूरत थी और सीएसके के पास कोई रिव्यू नहीं बचा था। लसिथ मलिंगा की आखिरी गेंद पर एलबीडब्ल्यू का फैसला लिया था ये जानते हुए भी कि अगर गलती हुई तो कीमत सीएसके का टाइटल होगा। तब वे एलीट पैनल का हिस्सा नहीं थे- सिर्फ इंटरनेशनल पैनल में थे पर बीसीसीआई ने भरोसा कर आईपीएल फाइनल में ड्यूटी का मौका दिया था। ये सही फैसला था और सीएसके में किसी ने भी इस पर सवाल नहीं उठाया। 

इसी तरह एशेज में स्टीव स्मिथ का रन-आउट था- उनका फैसला नॉट आउट था और कमेंट्री टीम ने भी इस फैसले की आलोचना की। नितिन मोहन तब थर्ड अंपायर थे और उन्हें भरोसा था कि वे क्रिकेट लॉ का सही इस्तेमाल कर रहे हैं। उस समय हुआ ये था कि जब स्टीव स्मिथ क्रीज के बाहर थे तो बेल का सिर्फ एक सिरा ग्रूव से हटा था और जब दोनों सिरे हटे तो वह क्रीज में थे। आईसीसी ने भी इस फैसले  की तारीफ़ की। 
वे उन अंपायर में से एक हैं जो क्रिकेट अंपायरिंग में टेक्नोलॉजी के बढ़ते प्रयोग को सही मानते हैं- अगर इससे सही फैसला लेने में मदद मिलती है तो क्यों न इसका इस्तेमाल करें? आईपीएल फाइनल हो या टी20 वर्ल्ड कप- हर मैच एक चुनौती है अंपायर के लिए। पता नहीं कब ऐसी स्थिति सामने आ जाए जिसके बारे में पहले कभी न सुना हो और न पढ़ा हो। 

  • चरनपाल सिंह सोबती

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