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भारत में इंग्लैंड की टेस्ट सीरीज़ में राजकोट में तीसरा टेस्ट शुरू होने में अब ज्यादा घंटे नहीं बचे। हैदराबाद और विशाखापत्तनम में रोमांचक टेस्ट के बाद सीरीज 1-1 से बराबरी पर है। क्या ऐसा हुआ है इन दो टेस्ट में जो सीरीज के आख़िरी नतीजे पर असर डाल सकता है?

इंग्लैंड के लिए जसप्रीत बुमराह की चुनौती : दो टेस्ट में 6-69 और 9-91 सिर्फ एक रिकॉर्ड नहीं हैं- जैसे स्टंप उखड़े और बल्लेबाज बीट हुए, वह चुनौती है। इकॉनमी रेट लाजवाब पर सबसे चौंकाने वाला पहलू है स्किल का अनूठा कॉकटेल जो इंग्लैंड के लिए अब तक की सबसे मुश्किल चुनौती बन गया है।

विशाखापत्तनम में दूसरी पारी में शुरुआती स्पैल था- 5 ओवर में 0-9 का और ये स्टोक्स-मैकुलम ‘टीम’ बनने के बाद से 20 टेस्ट मैचों में इंग्लैंड के विरुद्ध किसी भी गेंदबाज का सबसे किफायती नई गेंद वाला स्पैल था। मैच इकॉनमी रेट देखिए तो भी यही नतीजा रहा- ‘स्टोक्स-मैकुलम टेस्ट’ में, इंग्लैंड के विरुद्ध 3 सबसे किफायती इकॉनमी रेट वाले प्रदर्शन (कम से कम 15 ओवर की सीमा) में से दो इस सीरीज में बुमराह की बदौलत देख लिए हैं- विशाखापत्तनम में 2.74 और हैदराबाद में 2.79 (तीसरा : जून 2022 में लॉर्ड्स में ट्रेंट बौल्ट का 2.48) का। इंग्लैंड को जरूर अंदाजा होगा कि आगे क्या हो सकता है?
जिन्हें ‘अनाड़ी’ स्पिनर मान लिया था- वे बड़े तेज निकले : जैक लीच के अनफिट होने के बाद इंग्लैंड के पास दूसरे टेस्ट में मुकाबले के लिए स्पिन अटैक के नाम पर क्या था? रेहान अहमद, टॉम हार्टले और शोएब बशीर के पास कुल तीन कैप जबकि अकेले रविचंद्र अश्विन के 96 टेस्ट थे। बेन स्टोक्स की कप्तानी में उनके  युवा स्पिनर उम्मीद से बेहतर निकले हैं। ये मानना होगा कि इंग्लैंड ने भारत के अपनी पिचों पर बड़े स्कोर के लिए मशहूर बल्लेबाजों को रोका।

इंग्लैंड के स्पिनरों का रिकॉर्ड- 33.9 औसत से 33 विकेट जबकि भारत के स्पिनरों ने 38.3 औसत से 23 विकेट लिए और ये, सीरीज के पहले 2 टेस्ट में, नवंबर 2010 (न्यूजीलैंड के विरुद्ध) से सबसे खराब औसत है (तब : हरभजन सिंह, प्रज्ञान ओझा और पार्ट-टाइम के साथ औसत 47.2) था। विश्वास कीजिए- इसी प्रदर्शन के बाद रविचंद्रन अश्विन की एंट्री हुई थी यानि कि ये अश्विन की एंट्री से पहले की आख़िरी होम सीरीज थी। नवंबर 2000 के बाद से भारत की पिछली 37 होम सीरीज में सिर्फ चौथी बार 2 टेस्ट के बाद भारत के स्पिनरों का औसत, दूसरी टीम के स्पिनरों की तुलना में ज्यादा है। और देखिए- टॉम हार्टले, रेहान अहमद और शोएब बशीर ने इस सीरीज से पहले अपने पूरे घरेलू रेड-बॉल करियर में सिर्फ उतने विकेट लिए थे जितने अश्विन ने अपने भारत में खेले पिछले 11 टेस्ट (74) में लिए थे। ये सब आश्चर्यजनक नहीं तो और क्या है?

इंग्लैंड की बेजबॉल को टीम से ही चुनौती मिली : टीम भारत आई तो दो बात साफ़ थीं- * जो रूट टीम के टॉप बल्लेबाज (भारतीय उपमहाद्वीप में गजब का रिकॉर्ड) पर 4 पारी में रूट ने 13 की औसत से 52 रन बनाए हैं।  * जॉनी बेयरस्टो ‘बेजबॉल’ युग की सबसे बेहतर मिसाल पर 24.50 औसत से 98 रन बनाए हैं।

अब टीम मैनेजमेंट में से किसी को तो उन्हें कहना पड़ेगा कि किसी पॉलिसी को फॉलो मत करो- जैसा खेलते आए हो, वैसा खेलो। अगर रूट भारत की स्पिन को नहीं खेलेंगे तो बाक़ी बल्लेबाजी का दम टूट जाएगा। ये तो आश्चर्यजनक स्थिरता दिखा दी जैक क्रॉली ने अन्यथा बात बिल्कुल ही बिगड़ जाती- क्रॉली के अब तक सीरीज में स्कोर 20, 31, 76 और 73 हैं। पिछली समर की शुरुआत में क्रॉली टीम में आ पाए तो सिर्फ स्टोक्स के वोट की बदौलत- अपनी पिछली 49 टेस्ट पारी में से सिर्फ 16 में 20 तक पहुंचे थे जबकि उसके बाद से 14 में से 12 में ऐसा किया है और तीसरे एशेज टेस्ट के बाद से लगातार 9 पारी में। विशाखापत्तनम में- अक्टूबर 2010 में ऑस्ट्रेलिया के रिकी पोंटिंग के बाद भारत में टेस्ट की दोनों पारियों में 70 तक पहुंचने वाले पहले विदेशी खिलाड़ी हैं।
विराट कोहली- मिसिंग यू : दोनों टीम बल्लेबाजी आर्डर के एक-एक ख़ास नाम की कमी झेल रही हैं- हैरी ब्रूक (इंग्लैंड) और विराट कोहली। अब पता चल रहा है कि कोहली मिडिल आर्डर में क्या करते थे? अब तो ये तय हो चुका है कि वे पूरी सीरीज में नहीं खेलेंगे यानि कि इंग्लैंड के लिए बोनस।

पिच कोई भी हो- एंडरसन जरूरी हैं : ठीक है पिछली एशेज में कुछ ख़ास नहीं किया जेम्स एंडरसन ने पर ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि उन पर शक करने वालों को झटका लगा है। 41+ साल की उम्र में प्लेइंग इलेवन में वापस, शारीर से फिट और स्किल, कंट्रोल और साथ में जादू के साथ गेंदबाजी। सामने टीम कोई भी हो- एंडरसन के इकॉनमी रेट और विकेट लेने का कोई मुकाबला नहीं। पहला टेस्ट नहीं खेले पर आगे हर टेस्ट खेलने के हकदार।

टेस्ट में 5-76 के रिकॉर्ड का मतलब है- इस दशक में इंग्लैंड से बाहर अपने 13 टेस्ट में (शुरुआत जनवरी 2020 में केपटाउन में सीरीज को नाटकीय मोड़ देने वाले 7 विकेट से) 15.6 औसत से 52 विकेट और इकॉनमी रेट 2.01 का। इनमें से 7 टेस्ट एशिया में खेले (1 श्रीलंका में, 4 भारत में, 2 पाकिस्तान में)- इनमें 1.99 इकॉनमी रेट और 14.7 औसत से 27 विकेट लिए हैं। एशिया में खेले सभी मेहमान गेंदबाजों में से सिर्फ 2- ऑस्ट्रेलिया के ग्लेन मैक्ग्रा और न्यूजीलैंड के रिचर्ड हैडली ने इससे बेहतर औसत (कम से कम 7 टेस्ट) दर्ज किया है। 

सर्जरी ने स्टोक्स को बचा लिया है : स्टोक्स ने अपनी लंबे समय से चली आ रही बाएं घुटने की तकलीफ की सर्जरी कराई नवंबर 2023 में- इस गारंटी के बिना कि इसका नतीजा क्या होगा पर ऐसा लगता है उन्हें लाइफ-लाइन मिल गई है। एक अद्भुत रन आउट, एक सनसनीखेज रनिंग कैच और क्रीज पर भी बिना दर्द खेलना। प्रैक्टिस के दौरान गेंदबाजी करते भी दिखे और उम्मीद है समर सीजन तक पूरी तरह से एक ऑल-राउंडर के तौर पर खेलेंगे।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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