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यह खबर सिर्फ मुंबई की होकर रह गई जबकि ऐसा होना नहीं चाहिए था- आईईएस न्यू इंग्लिश स्कूल, बांद्रा ने पहली बार हैरिस शील्ड टाइटल जीता। खब्बू 15 साल के अरुश पाटनकर ने 95* बनाकर आईईएस वीएन सुले गुरुजी (दादर) पर चार विकेट से जीत दिलाई। वानखेड़े स्टेडियम में था ये इंटर स्कूल क्रिकेट टूर्नामेंट का फाइनल।
मुंबई का यह सबसे मशहूर इंटर-स्कूल क्रिकेट टूर्नामेंट हैरिस शील्ड 22 फरवरी को शुरू हुआ- इस बार 16 टीम के साथ। यह टूर्नामेंट का 125वां  साल है- कोविड के कारण 2019-20 और 2020-21 सीजन में इसे नहीं खेले थे। ऐसा लगा कि जिस हैरिस शील्ड को 1897 से खेल रहे हैं- अब उसका आयोजन नहीं हो पाएगा पर  मुंबई ने इस विरासत को जारी रखा। ट्रॉफी का नाम- इंग्लैंड के पूर्व कप्तान और बॉम्बे के गवर्नर लॉर्ड हैरिस के नाम पर रखा गया। इसी टूर्नामेंट में 1988 में 664 रन की पार्टनरशिप की थी सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली ने। 12 साल के सरफराज खान ने 439 रन का स्कोर बनाया और 14 साल के पृथ्वी शॉ ने इसी में  रिजवी स्प्रिंगफील्ड के लिए 546 रन बनाए थे।
ऐसे टूर्नामेंट आज भी खेल पा रहे हैं- इसी से पुराने इतिहास से जुड़े हैं और ये कोई आसान चुनौती नहीं हैं। जिस इंग्लैंड को क्रिकेट को जन्म देने वाला देश कहते हैं- वह ऐसा नहीं कर पा रहा है। एक इतनी बड़ी खबर पर कहीं उसका जिक्र तक नहीं- एमसीसी ने ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज के बीच सालाना वर्सिटी मैच का आयोजन रोक दिया है। इतना ही नहीं देश के दो सबसे मशहूर पब्लिक स्कूल ईटन और हैरो के बीच लॉर्ड्स में मैच भी रोक दिया है। ये इतिहास को रोक देने जैसा है। 
एमसीसी ने लॉर्ड्स में ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के बीच सालाना मैच का सिलसिला 1827 में शुरू किया था। ईटन बनाम हैरो लॉर्ड्स में सालाना मैच 1805 में शुरू हुए थे। तो अब ऐसा क्या हुआ कि इन्हें रोक दिया- क्या कोविड इसके लिए जिम्मेदार है या वह पैसा कमाने वाला क्रिकेट कैलेंडर जिसमें ऐसे मैचों के लिए कोई जगह नहीं? 
ऑक्सफोर्ड-कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी मैच से तो भारत की यादें भी जुड़ी हैं। प्रिंस रणजीतसिंहजी और उनके भतीजे दलीपसिंहजी से लेकर नवाब पटौदी (पिता और पुत्र- दोनों ने ऑक्सफोर्ड के लिए पहले यूनिवर्सिटी मैच में सेंचुरी बनाई थी और ये रिकॉर्ड बनाने वाले पहले पिता-पुत्र) ने अपने प्रोफाइल में हमेशा यूनिवर्सिटी ब्लू का जिक्र किया- इन के लिए खेलना बड़े गौरव की बात थी। ऑक्सफोर्ड के लिए भारत के ये टेस्ट क्रिकेटर भी खेले- अब्बास अली बेग; आर.वी. दिवेचा; अब्दुल हफीज कारदार; इफ्तिखार अली खान पटौदी और मंसूर अली खान पटौदी। भारत के एक और टेस्ट क्रिकेटर जहांगीर खान तब कैम्ब्रिज के लिए खेल रहे थे जब एक डिलीवरी पर लॉर्ड्स में एक गौरैया को मार डाला था। ऑक्सब्रिज और कैम्ब्रिज ने इंग्लैंड को तो कई टेस्ट क्रिकेटर दिए ही।  

लॉर्ड्स में एमसीसी लाइब्रेरी में जॉर्ज चेस्टरटन और ह्यूबर्ट डॉगगार्ट की ‘वर्सिटी मैच- ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज’ को क्रिकेट पर शायद सबसे अच्छी किताब में से एक गिनते हैं। यूनिवर्सिटी मैच को क्रिकेट कैलेंडर में सबसे पुराना फर्स्ट क्लास मैच मानते हैं कई इतिहासकार। ये किताब 1989 में प्रकाशित हुई थी और तब इन दोनों टीम के बीच 145 वां मैच खेला  गया था। इस किताब के अनुसार तब तक, ये मैच 126 टेस्ट क्रिकेटर दे चुके थे- इनमें से 43 अपने-अपने देश में टेस्ट कप्तान बने।

असल में किसी ने भी अगस्त 2019 की एक खबर को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया- असल में तो उसी फैसले से इस यूनिवर्सिटी मैच के अंत का काउंटडाउन शुरू हो गया था। एमसीसी ने तय किया कि जिस ऑक्सफोर्ड- कैम्ब्रिज मैच को सबसे पुराना फर्स्ट क्लास मैच गिनते हैं- वह 2020 के बाद से फर्स्ट क्लास मैच ही नहीं गिना जाएगा। इससे पहले 2001 में तब झटका लगा था जब इस यूनिवर्सिटी मैच को लॉर्ड्स से हटा लिया था- तब से इसे द पार्क्स या फेनर में खेल रहे थे। लॉर्ड्स ने उनके बीच वन डे की मेजबानी करना जारी रखा। एमसीसी ने तब कहा था काउंटियों और यूनिवर्सिटी सेंटर के बीच मैच 2020 के बाद भी जारी रहेंगे पर उन्हें फर्स्ट क्लास नहीं गिनेंगे- अब बिल्कुल ही रोक दिया है। एमसीसी ने यूनिवर्सिटी क्रिकेट पर पैसा खर्चना बंद कर दिया था।  

कई क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन टी 20 और पेशेवर क्रिकेट की आंधी में रुक चुका है पर ये यूनिवर्सिटी मैच इनसे अलग थे। इतिहास को संभालना आसान नहीं होता। मुंबई की स्कूल क्रिकेट हाल-फिलहाल तो मिसाल है। 

  • चरनपाल सिंह सोबती

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