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हैदराबाद में इंग्लैंड की सनसनीखेज जीत और वह भी सिर्फ एक सीमर वाले गेंदबाजी अटैक के साथ। जिस टेस्ट के पहले लगभग ढाई दिन सही मायने में टीम इंडिया के थे- तब भी मेहमान 28 रन से जीत गए और आखिरी विकेट खब्बू स्पिनर टॉम हार्टले को मिला। उसी टॉम हार्टले को, जिनकी टेस्ट क्रिकेट में पहली ही गेंद पर 6 रन का शॉट लगा और जिसे इंग्लैंड के एक फ्लॉप प्रयोग का नाम दिया गया। वही दूसरी पारी में 7-62 की गेंदबाजी से इंग्लैंड के लिए टेस्ट के हीरो में से एक बन गए। ‘होम एडवांटेज’ के नाम पर जो काम भारत के स्पिनर न कर पाए- उस विदेशी स्पिनर ने कर दिया जिसकी टेलेंट को इंग्लैंड में भी कोई ख़ास भाव नहीं मिला था।

इस चर्चा को शुरू से लेते हैं। हैदराबाद टेस्ट के पहले दिन इंग्लैंड के 246 रन पर आउट होने के बाद भारत ने बल्लेबाजी की तो अजीब नजारा था- इंग्लैंड के लिए नई गेंद से अटैक की शुरुआत की पेसर मार्क वुड के साथ उस विशेषज्ञ स्पिनर टॉम हार्टले ने जो अपना डेब्यू टेस्ट खेल रहा था और टीम के तीन विशेषज्ञ स्पिनर में से एक। उसके बाद देखिए क्या हुआ :

  • जायसवाल ने टेस्ट क्रिकेट में उनकी पहली ही गेंद पर वाइड लॉन्ग-ऑन पर 6 लगा दिया।
  • अगली तीन डॉट बॉल पर 5वीं पर एक और 6।
  • अगले ओवर में जायसवाल ने दो और 4 लगाए
  • हार्टले के पहले 2 ओवर में 25 रन बने।6 ओवर में स्कोर 80 था- हार्टले ने इन में से 51 रन दिए और उनके हर ओवर में  एक 4 तो जरूर था।
  • भारत का स्कोर 436 और हार्टले का डेब्यू पारी में रिकॉर्ड 25 ओवर में 2-131 था।

डेब्यू पारी में ऐसा प्रदर्शन किसी भी गेंदबाज का दम तोड़ने के लिए बहुत है और ज्यादातर ने कहा कि सिर्फ 20 फर्स्ट क्लास मैच (इनमें से 16 काउंटी चैंपियनशिप मैच) वाले को टेस्ट खिलाओगे तो यही होगा। इन 20 मैच में रिकॉर्ड था- 36.57 औसत से 40 विकेट पर ख़ास तौर पर भारत के लिए उन्हें चुनना गलत नहीं था।

अभी तो टॉम हार्टले खुशकिस्मत रहे कि डेब्यू पारी में विकेट ले गए- अन्यथा ऐसे भी हैं जो डेब्यू टेस्ट पारी में इससे ज्यादा रन देने के बाद भी विकेट न ले पाए। सिर्फ स्पिनर को देखें तो डेब्यू टेस्ट पारी में सबसे ज्यादा रन देने का रिकॉर्ड पाकिस्तान के जाहिद मोहम्मद का है (2022-23, इंग्लैंड के विरुद्ध, रावलपिंडी, 198 गेंद पर 235 रन) पर 4 विकेट लिए थे। 4 स्पिनर ऐसे हैं जिन्होंने डेब्यू टेस्ट पारी में 200+ रन दिए इसलिए टॉम हार्टले का रिकॉर्ड उतना खराब नहीं था जितना, उनका मजाक उड़ाते हुए, भारतीय मीडिया ने बना दिया। पता नहीं तब इंग्लैंड कैंप में किसी ने हार्टले को कुछ बेहद मशहूर स्पिनर का डेब्यू टेस्ट पारी का रिकॉर्ड बताया या नहीं?

आदिल रशीद (इंग्लैंड) ने डेब्यू पारी में 204 गेंदो पर 0-163 की गेंदबाजी की पाकिस्तान के विरुद्ध अबू धाबी में 2015-16 में (प्रति ओवर 4.79 रन) और डेब्यू टेस्ट पारी में कम से कम 100 रन देने वाले स्पिनर में प्रति ओवर रन देने में 11वें नंबर पर हैं। बिना विकेट लिए ये डेब्यू पर सबसे घटिया गेंदबाजी है। तब भी वे 19 टेस्ट खेल गए।

राशिद खान (अफगानिस्तान) की लेग ब्रेक गुगली की सब तारीफ़ करते हैं पर डेब्यू प्रदर्शन था 2-209 रन 154 गेंद में- भारत के विरुद्ध, 2018 में बैंगलोर में (प्रति ओवर 4.42 रन) लेकिन लिस्ट में शेन वॉर्न (ऑस्ट्रेलिया) का नाम तो किसी को भी हैरान कर देगा- इस लेग ब्रेक गुगली गेंदबाज ने 145 टेस्ट में 708 विकेट लिए पर टेस्ट डेब्यू पर 270 गेंदों पर 1-150 की गेंदबाजी की थी- भारत के विरुद्ध, सिडनी,1991-92 में (प्रति ओवर 3.33 रन)।

भारत के दो स्पिनर भी हैं। बापू नाडकर्णी धीमे खब्बू ऑर्थोडॉक्स गेंदबाज थे- रन न देने के लिए मशहूर रहे और 41 टेस्ट के करियर में 1.67 का इकॉनमी रिकॉर्ड इसी का सबूत है पर डेब्यू पारी में 324 गेंद पर 0-132 का प्रदर्शन किया न्यूजीलैंड के विरुद्ध, दिल्ली,1955-56 में (प्रति ओवर 2.44 रन) और डेब्यू पारी में कम से कम 100 रन देने वालों में अनिल कुंबले इस गिनती में बराबरी पर हैं। इसी तरह हरभजन सिंह ने 103 टेस्ट में 417 विकेट लिए पर डेब्यू पर 138 गेंद पर 2-112 का प्रदर्शन था- ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध, बेंगलुरु,1997-98 में (प्रति ओवर 4.87 रन) और कम से कम 100 रन देने वालों में ये 10वां सबसे खराब प्रदर्शन है और भारत के स्पिनरों में सबसे खराब।

तब भी ये सभी अपने करियर में टॉप स्पिनर गिने गए- इसलिए टॉम हार्टले को वास्तव में निराश होने की कोई जरूरत नहीं थी और वही हुआ। इस टेस्ट से पहले सिर्फ दो बार (1981 और 1894 में) इंग्लैंड ने पहली पारी में इतने बड़े स्कोर से पीछे रहने के बाद जीत हासिल की और इस बार के रिकॉर्ड में सबसे उल्लेखनीय प्रदर्शन था लेंकशायर के टॉम हार्टले का।

मज़ाक उड़ाया गया था- तब भी कप्तान ने पूरा विश्वास दिखाया और हार्टले ने शानदार ढंग से इसका जवाब दिया 7 विकेट लेकर और ग्रेट जिम लेकर के बाद डेब्यू पर ऐसा करने वाले इंग्लैंड के पहले स्पिनर हैं। सच ये है कि हार्टले ने पहली पारी में भी कोई खराब गेंदबाजी नहीं की थी पर बैट के साथ बड़े कीमती रन बनाने के बाद उनमें एक नया आत्मविश्वास था और भारत के बल्लेबाज, अपनी जमीं पर चौथी पारी के दबाव के चक्कर में फंस गए।

  • सिर्फ एक टेस्ट खेले टॉम हार्टले के नाम पारी में 7 विकेट का रिकॉर्ड है जबकि इंग्लैंड के लिए ग्रीम स्वान, मोंटी पनेसर और मोइन अली जैसे अपने टेस्ट करियर में एक भी 7 विकेट नहीं ले पाए। हार्टले से पहले एक पारी में 7 विकेट लेने वाले आखिरी इंग्लिश स्पिनर- 1997 में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध फिल टफनेल।
  • इंग्लैंड के लिए टेस्ट डेब्यू में 7 विकेट लेने वाले 6वें गेंदबाज- 1995 में लॉर्ड्स टेस्ट में वेस्टइंडीज के विरुद्ध डोमिनिक कॉर्क (7-43) के बाद पहले – जॉन लीवर के बाद, भारत में डेब्यू पर 7 विकेट लेने वाले इंग्लैंड के दूसरे गेंदबाज (1976-दिल्ली में 7-46)।
  • 7-62 इंग्लैंड के किसी भी स्पिनर का टेस्ट डेब्यू पर दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन (रिकॉर्ड- जेम्स लैंग्रिज, 1933, मैनचेस्टर, वेस्टइंडीज के विरुद्ध 7-56)।
  • टेस्ट की चौथी पारी में डेब्यू पर 7 या ज्यादा विकेट लेने वाले 7वें गेंदबाज- आखिरी लांस क्लूजनर थे (1996, ईडन गार्डन्स, विरुद्ध भारत,8-64)।

क्या ये हैरानी की बात नहीं कि इस टूर के लिए हार्टले को उनके फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 40 विकेट के रिकॉर्ड के लिए नहीं, उस टेक्नोलॉजी की बदौलत चुना जो अब इंग्लिश क्रिकेट सीजन का आकर्षण हैं- अंपायरों के गले से लटके आईहॉक कैमरे की फुटेज से एनालिसिस हुई कि हार्टले अपने एक्शन में लंबाई का इस्तेमाल करते हैं- अक्षर पटेल की तरह। ये खूबी भारतीय पिचों पर बड़े काम की है और इसी सोच के साथ सेलेक्टर्स ने एनालिसिस पर भरोसा किया और 91 साल में टेस्ट में इंग्लैंड के लिए डेब्यू पर स्पिनर के लिए नया रिकॉर्ड बना। इस बदलाव के लिए रॉब की, ब्रेंडन मैकुलम और बेन स्टोक्स की टीम को श्रेय देना होगा। वे टेस्ट जीतने की आर्ट जानते हैं। 

  • चरनपाल सिंह सोबती

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