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पाकिस्तान के पूर्व टेस्ट कप्तान सईद अहमद का 86 साल की उम्र में देहांत हो गया- बीमार थे कुछ समय से। लाहौर में रहते थे। जन्म 1937 में जालंधर में हुआ था। 1958 से 1973 के बीच पाकिस्तान के लिए 41 टेस्ट खेले- 40.41 औसत से 2991 रन बनाए 5 शतक (इनमें से 3 भारत के विरुद्ध) के साथ। अच्छे ऑफ स्पिनर भी थे और 22 विकेट लिए। पहला शतक- 150 रन जॉर्जटाउन में उस आक्रमण के सामने बनाए जिसमें रे गिलक्रिस्ट, लांस गिब्स और गैरी सोबर्स भी थे। तब भी वेस्टइंडीज ने टेस्ट 8 विकेट से जीता था। असल में उनके 5 में से सिर्फ 1 शतक वाले टेस्ट में ही पाकिस्तान को जीत मिली। क्रिकेट की कई किताबों में, उन्हें उस दौर के पाकिस्तान के सबसे बेहतरीन बल्लेबाज में से एक लिखा गया। सिर्फ 20 पारी में 1000 टेस्ट रन बनाए- उस समय इस रिकॉर्ड के लिए सबसे तेज़ पाकिस्तानी क्रिकेटर थे।

1957-58 के वेस्टइंडीज टूर में डेब्यू किया और टूर पर 508 रन बनाए। तब लगभग 20 साल के ही थे जब अपने पहले टेस्ट की दूसरी पारी में 65 रन बनाए और हनीफ मोहम्मद (337) के साथ पार्टनरशिप में तीसरे विकेट के लिए 154 रन जोड़े। जब तक टेस्ट में 2000 रन बनाए तो पाकिस्तान का कप्तान बनने का सपना देखना शुरू कर दिया था। बस यहीं से उनके करियर का वह दौर शुरू हुआ जिसने उन्हें पाकिस्तान क्रिकेट के सबसे विवादास्पद खिलाड़ियों में से एक बना दिया।

बहरहाल कप्तान बनने की ये तमन्ना तब पूरी हुई जब बोर्ड ने 1969 के इंग्लैंड टूर में 3 टेस्ट की सीरीज के लिए कप्तान बना दिया। बड़ा हंगामा हुआ था तब हनीफ मोहम्मद को कप्तान न बनाए जाने पर। भले ही पाकिस्तान ने सीरीज का कोई टेस्ट न जीता, पर हारे भी नहीं- सभी टेस्ट ड्रा रहे। इसके बावजूद कप्तानी से हटा दिए गए और इसे वे कभी भूले नहीं। नतीजा- एक के बाद एक विवाद उनके नाम जुड़ते रहे। कभी झगड़ा तो कभी कप्तान का आदेश न मानना और कभी खुले आम बोर्ड के विरुद्ध बगावत। इस सब की कीमत न सिर्फ उन्होंने, उनके परिवार और टेस्ट क्रिकेटर सौतेले भाई (यूनिस अहमद) ने भी चुकाई। ये सभी क्रिकेट की हैरान करने वाली स्टोरी हैं। दो बार पाकिस्तान बोर्ड ने उन पर ‘लाइफ बैन’ लगाया।

1969 में जब इंतखाब आलम को कप्तान बना दिया तो वे गुस्से में न्यूजीलैंड के विरुद्ध 1969 सीरीज में नहीं खेले और इंग्लैंड चले गए। वहां से नाइटलाइफ़ की कई स्टोरी सामने आईं। तब भी बोर्ड ने मौका दिया और पाकिस्तान के 1971 के इंग्लैंड टूर की टीम में लौट आए पर एक टेस्ट खेले।पाकिस्तान सीरीज हार गया तो सईद को लगा कि अब उन्हें कप्तान बना देंगे। ऐसा हुआ नहीं और 1972-3 के ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड टूर के लिए इंतखाब ही कप्तान रहे। सईद टीम में मिडिल आर्डर बल्लेबाज थे।

सबसे आख़िरी टेस्ट सीरीज 1972-73 में ऑस्ट्रेलिया में खेले। मेलबर्न टेस्ट के दौरान, उस समय के टॉप तेज गेंदबाज डेनिस लिली से झड़प हो गई। लिली ने गुस्से में उन पर बाउंसर फेंके। इस से परेशान थे और उस पर टेस्ट से एक दिन पहले सईद से कहा गया कि वन-डाउन पोजीशन पर खिलाएंगे। सईद ने इनकार कर दिया और नंबर 6 पर ही खेलने की जिद्द की। इंतखाब इससे सहमत नहीं थे। सईद ने जब सिडनी में ग्रीन टॉप पिच को देखा तो आरोप है कि इस पिच पर, डेनिस लिली को खेलने से बचने के लिए, पीठ में दर्द का नाटक किया और टेस्ट खेलने से इनकार कर दिया। टीम ने मान लिया पर गड़बड़ ये हुई कि उसी रात सिडनी में एक नाइट क्लब में सईद के डांस और मौज-मस्ती की खबर सामने आ गई।

पाकिस्तान टीम मैनेजमेंट को पता चला तो जांच करा दी और उसमें तय हो गया कि वे क्लब में थे। टीम ने बोर्ड को शिकायत की और सईद को टूर के बीच, डिसीप्लिनरी एक्शन के तहत, वापस बुला लिया। इसके बाद वे फिर कभी पाकिस्तान के लिए टेस्ट नहीं खेले।

उनके सामने क्रिकेट से रिटायर होने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था पर जिन हालात में ये सब हुआ उससे दिमागी तौर पर बड़ा असर आया। क्रिकेट से तो दूर ही हो गए- कोई नाता नहीं रखा। लगभग 25 साल कहीं दिखाई नहीं दिए। लगभग 25 साल बाद, 1998 में, अचानक शारजाह स्टेडियम में एक क्रिकेट टूर्नामेंट के दौरान दिखाई दिए, पूरी तरह बदल गए थे पर इंग्लैंड के पूर्व कप्तान और मशहूर कमेंटेटर टोनी ग्रेग ने उन्हें पहचान लिया। तब पता चला कि वे इंग्लैंड चले गए थे। ग्रेग ने बताया कि कई बार दोनों ने इकट्ठे शराब पी। वहां सईद ने धर्म की राह पकड़ ली और तब्लीगी जमात से जुड़ कर उनके प्रचारक बन गए। सईद अहमद ही वह प्रचारक हैं जो धर्म को पाकिस्तान टीम के ड्रेसिंग रूम में ले आए और उसके बाद ही उनकी तरह सईद अनवर, मुश्ताक मौहम्मद, सकलेन मुश्ताक और इंजमाम सहित कई क्रिकेटरों ने दाढ़ी बढ़ा ली।

मशहूर बिजनेसवुमन बेगम सलमा अहमद से शादी की- वे पाकिस्तानी डिप्लोमेट शहरयार खान की रिश्तेदार थीं। सईद को पाकिस्तान सरकार ने प्राइड ऑफ परफॉर्मेंस अवार्ड भी दिया। कई साल लाहौर में अकेले रहे, बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण बार-बार हॉस्पिटल ले जाना पड़ा। आख़िरी बार जब हॉस्पिटल ले गए तो कुछ देर बाद मौत हो गई। परिवार में एक बेटा, दो बेटियां और सौतेले भाई यूनिस अहमद जो 4 टेस्ट खेले। उनके ये 4 टेस्ट भी बेमिसाल स्टोरी हैं।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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