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 अब तक खतरे की जो घंटी बज रही थी- उस पर ऑफिशियल मोहर लगने का सिलसिला शुरू हो गया है। कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान, आईसीसी की बर्मिंघम में मीटिंग में, जिस मुद्दे पर सदस्य देशों के क्रिकेट बोर्ड के प्रतिनिधियों ने सबसे ज्यादा चर्चा की वह था- घरेलू टी20 लीग के विकास के दौर में इंटरनेशनल क्रिकेट को कैसे फिट करें? अब तक इंटरनेशनल क्रिकेट के प्रोग्राम में टी 20 लीग को फिट करते थे- अब समीकरण उलट गया है।  जो नजारा है, उसमें ये तय है कि इंटरनेशनल क्रिकेट को शॉर्ट-फॉर्मेट लीग के बीच जगह ढूंढनी होगी। बदलाव का सबूत- दक्षिण अफ्रीका ने ऑस्ट्रेलिया में वनडे इंटरनेशनल मैचों को रद्द कर दिया (विश्व कप में खेलने को खतरे में डाल कर) ताकि उनके खिलाड़ी जनवरी में अपने नए टी20 टूर्नामेंट के लिए उपलब्ध हों। उसी महीने में एक टी 20 लीग यूएई में है और ये तो और बड़ा झटका दे रही है- इसमें हर टीम में 9 विदेशी खिलाड़ी होंगे और मैच इलेवन में 4 नहीं , 5 खिलाड़ी होंगे। जो खेलेंगे, उनमें से कुछ तो 4. 50 लाख डॉलर तक कमा जाएंगे। ऑस्ट्रेलिया की बिग बैश और बांग्लादेश प्रीमियर लीग को भी जोड़ लें तो इसका मतलब है चार बड़ी टी20 लीग एक साथ खेलेंगे। यूएई और दक्षिण अफ्रीका में लीग में टीम बनाने में आईपीएल टीमों के मालिक छाए हुए हैं। आईसीसी ने एफटीपी में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में टी 20 लीग के साथ -साथ आईपीएल के लिए भी विंडो मंजूर की यानि कि इन के खेलने के दौरान कोई इंटरनेशनल क्रिकेट नहीं।

इस तरह, जो चुनौती सामने है वह इस नज़ारे भी खतरनाक है।  देखिए :

  • डेविड वार्नर ने क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया से कहा उन्हें, सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट से छुट्टी दें ताकि वे आजाद पंछी बन जाएं और यूएई लीग में खेल सकें। ध्यान दीजिए- अपने देश की बिग बैग लीग में नहीं, यूएई में खेलने की बात कर रहे हैं। जो वार्नर हर साल आईपीएल खेलते हैं- 2011 में शुरू हुई बीबीएल में अब तक सिर्फ 3 मैच खेले हैं- आख़िरी बार  2013 में। आज हालत ये है कि वॉर्नर का किसी बीबीएल क्लब के साथ कॉन्ट्रैक्ट नहीं- इसी तरह  स्टीव स्मिथ, पैट कमिंस या मिशेल स्टार्क जैसे टॉप टेस्ट खिलाड़ियों में से किसी का भी बीबीएल टीम के साथ कोई कॉन्ट्रैक्ट नहीं है। 
  • कोलकाता नाईट राइडर्स ने ये कह कर सनसनी फैला दी कि वे खिलाड़ियों को एक लीग में खेलने का नहीं, साल के पूरे 12 महीने का कॉन्ट्रैक्ट देना चाहते हैं ताकि वह खिलाड़ी उनकी चार अलग-अलग लीग की टीम के लिए उपब्ध रहे। 
  • अगर वार्नर ऐसा कर सकते तो बाकी खिलाड़ी क्यों नहीं? इसका मतलब है- खिलाड़ी के लिए क्लब और देश के बीच का रिश्ता फुटबॉल जैसा हो जाएगा और खिलाड़ी बड़ी कमाई करेंगे अपने क्लबों से। तो कैसे रोकेंगे वार्नर को? सिर्फ पैसा रोकेगा और वही हो रहा है। 

 टी20 फ्रैंचाइज़ी सर्किट के संदर्भ में एक साल को तीन अलग-अलग ब्लॉक में बांट सकते हैं। पहला-  जनवरी से फरवरी ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, दक्षिण अफ्रीका और यूएई में लीग ; दूसरा –  मार्च के आखिर से जून में आईपीएल ; तीसरा- जुलाई या अगस्त में हंड्रेड, कैरेबियन प्रीमियर लीग और मेजर लीग (जो अगले साल अमेरिका में शुरू)। क्या इन सबके लिए अच्छे खिलाड़ी हैं? क्या आईपीएल टीमें बीसीसीआई को इस बात के लिए राजी कर लेंगी कि उनके भारतीय खिलाड़ियों को, उन्हीं की दूसरी लीग में टीम में खेलने दें? अब जबकि ये तय हो चुका है कि सिर्फ वे इंटरनेशनल क्रिकेट सीरीज पैसा कमाती हैं जिनमें टीम इंडिया खेलती है तो अपने आप पैसा तो सिर्फ लीग में रह गया। आईपीएल फ्रैंचाइजी दुनिया भर के टी 20 टूर्नामेंट में टीमों को खरीदने में लगे हैं। वे अगर पैसे से खिलाड़ियों को इंटरनेशनल क्रिकेट से दूर ले गए तो इंटरनेशनल क्रिकेट वैसे ही ख़त्म हो जाएगी। लालच की हद- वार्नर ऑस्ट्रेलिया की बिग बैश लीग  में नहीं, यूएई में खेल रहे हैं।  पूर्व इंग्लिश कप्तान माइकल आथर्टन ने द टाइम्स में अपने कॉलम में चेतावनी दी थी कि फ्रैंचाइज़ी क्रिकेट का दबदबा बढ़ रहा है। एक और इंग्लिश कप्तान माइकल वॉन तथा अपने रवि शास्त्री की भविष्यवाणी है कि हर साल दो आईपीएल दूर नहीं। तो क्रिकेट ने बदलना ही है।  

–  चरनपाल सिंह सोबती

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