टी20 वर्ल्ड कप का दूसरा फाइनल : इंग्लैंड (170-0) ने भारत (168-5) को 10 विकेट से हराया और इसका मतलब है फाइनल में वे खेलेंगे पाकिस्तान के विरुद्ध, भारत नहीं। एलेक्स हेल्स (86*) और जोस बटलर (80*) ने शानदार अंदाज में भारत की आईसीसी टाइटल जीतने की एक और उम्मीद का अंत कर दिया।
इंग्लैंड ने एडिलेड में भारत के विरुद्ध ऐतिहासिक जीत में जो क्रिकेट खेली, उससे ऐसा लग रहा था मानो किसी एसोसिएट सदस्य देश के विरुद्ध खेल रहे हों- सभी 10 विकेट बचे रहे और चार ओवर बाकी। लक्ष्य था 169 रन पर हेल्स (47 गेंद में 86*) और बटलर (49 गेंद में 80*) ने इंग्लैंड के टी20 इतिहास में सबसे बड़ी ओपनिंग पार्टनरशिप निभा दी। हेल्स के नाम अब इंग्लैंड की टॉप 5 पार्टनरशिप हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, दो ऐसी खास बात जिससे यही पता चलता है कि ये टीम इंडिया का मैच था ही नहीं :
- भाग कर बनाए 4 रन- मोहम्मद शमी ने फील्डिंग की और गेंद को दूसरे फील्डर को टॉस करने की कोशिश में चूक गए। टी20 में भाग कर 4 रन बनाने का मौका कौन देता है?
- सूर्यकुमार यादव का ब्रेन फेड- बटलर ने मिड-ऑफ पर गेंद को स्किड किया और सूर्य ने न सिर्फ कैच छोड़ दिया- कंधे के ऊपर से गिर रही गेंद को 10 गज और आगे खिसका दिया।
एडिलेड वह ग्राउंड है जहां 2015 के 50 ओवर वर्ल्ड कप के ग्रुप राउंड में बांग्लादेश के विरुद्ध वाइट बॉल क्रिकेट में अपना अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन किया था इंग्लैंड ने। ये भी सच है कि इंग्लैंड वह टीम थी जो वास्तव में इस टूर्नामेंट में, इससे पहले, किसी भी स्तर पर टॉप क्रिकेट नहीं खेली थी- इस मैच में तो नजारा ही बदल गया। हालांकि भारत ने आख़िरी 4 ओवर में 60 रन बनाए पर 168-5 वह स्कोर नहीं था जो जीत की गारंटी हो। सूर्य- सबसे खतरनाक बल्लेबाज, बिल्कुल बेअसर और 10 गेंद में 14 रन। विराट कोहली- 40 गेंद में 50 और अगली गेंद पर आउट। हार्दिक पांड्या- उनके 33 गेंद में 63 ने टूर्नामेंट में रन योग को लगभग दोगुना कर दिया (128) पर पारी की आखिरी गेंद हिट करने के चक्कर में स्टंप को हिट कर दिया। इंग्लैंड की पॉलिसी बिल्कुल अलग थी और शुरुआत से तेजी से स्कोर करने की कोशिश की-
पहले 31 रन : इंग्लैंड- चौथे ओवर की दूसरी गेंद पर ; भारत- पावर प्ले के 6 ओवर में। पहले 50 रन : इंग्लैंड- 29 गेंद में ; भारत- 43 गेंद में। पावरप्ले ओवर में : इंग्लैंड- 63 रन ; भारत के स्कोर (31) के दोगुने से भी ज्यादा।
टॉस बटलर ने जीता और ये पहले से तय था कि ऐसा हुआ तो वे नंबर 2 पर बैटिंग को चुनेंगे। रिकॉर्ड देखिए- इस टूर्नामेंट में सिर्फ एक टीम, सुपर 12 में तो किसी ने भी नहीं, 160 से ज्यादा के लक्ष्य पर जीत हासिल की थी और इस नाते 168 कोई बहुत खराब स्कोर नहीं था। तब भी इंग्लैंड ने हर समीकरण बदल दिया।
कहा ये जा रहा था कि इंग्लैंड टीम कतई ये नहीं चाहती थी कि सेमीफाइनल में भारत से खेलें। हुआ इसके उलट और भारत को सबसे ज्यादा इंग्लैंड की खेल की पॉलिसी ने हराया और मजे की बात ये है कि उनके खेल के इस तरीके के बारे में पहले से मालूम था। फेवरिट भारत था : न सिर्फ ज्यादा चर्चित टीम, क्राउड का सपोर्ट भी भारत के साथ था। शायद इसी ने टीम इंडिया पर दबाव बढ़ा दिया। नतीजा- गलतियां कीं। कितना फर्क है दोनों टीम की बैटिंग पॉलिसी में :
भारत- पारी शुरू होते ही आक्रामक बल्लेबाजी नहीं करते और इसलिए दबाव बनता है। आख़िरी ओवरों के दौरान विस्फोट- अगर 180/190 बने तो हार्दिक पांड्या, सूर्यकुमार यादव या कोहली के इन ओवरों में तूफान की बदौलत। खेल रहे हैं टी20 पर पुराने तरीके से- सावधानी से शुरुआत और बाद में तेज। विराट कोहली हर पारी में शुरू में टिक कर खेले- भारत की टीम इसी तरह से खेलती है। इसी को पहचान कर जोस बटलर ने दबाव बना दिया। इंग्लैंड- शुरू से तेज।
2007 में पहला टी20 वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम पर वाइट बॉल क्रिकेट में वह हासिल किया ही नहीं जो कर सकते थे। एक बार फिर किंतु-परंतु पर सही सोच अभी भी नहीं। ये सेमी फाइनल इंग्लैंड का था।
- चरनपाल सिंह सोबती