वर्ल्ड कप 2023 शुरू होने से पहले अफगानिस्तान और नीदरलैंड को, अन्य बड़ी टीम की तुलना में, कमजोर और बड़ी टीमों को अपना रिकॉर्ड बेहतर करने का मौका देने वाली टीम मान रहे थे। 4 नवंबर के मैच शुरू होने से पहले की पॉइंट्स टेबल देखिए-
- अफगानिस्तान नंबर 5- उनके बराबर 7 मैच खेली पाकिस्तान और श्रीलंका से क्रमशः 2 और 4 पॉइंट्स ज्यादा।
- नीदरलैंड नंबर 8- बांग्लादेश और इंग्लैंड से भी 2 पॉइंट ज्यादा तथा एनआरआर में भी बेहतर।
जब ऐसा रिकॉर्ड हो तो ये अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि ऐसे नतीजे भी मिले जिन्हें आम तौर पर ‘उलटफेर’ कह देते हैं। क्रिकेट में कोई उलटफेर नहीं होता- जो मैच के दिन अच्छा खेलता है, वह जीतता है और 1983 वर्ल्ड कप फाइनल इसका सबूत है। तो नतीजा ये निकला कि अफगानिस्तान और नीदरलैंड को वर्ल्ड कप में खेलने का मौका मिलना कोई गलत नहीं था। सच ये है कि ये रिकॉर्ड यह साबित करता है कि मौजूदा वर्ल्ड कप का फॉर्मेट, कम से कम टीम की गिनती में तो, सही नहीं। कई क्रिकेट जानकार इसे शर्मनाक भी बता रहे हैं। वर्ल्ड कप नाम का इवेंट और सिर्फ 10 टीम- कबड्डी में भी इससे ज्यादा टीम हिस्सा लेती हैं। दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड और पाकिस्तान जैसी टीम की इनके विरुद्ध मैचों में अप्रत्याशित हार, इस टूर्नामेंट की सोच पर कई सवाल खड़े करती है।
17 अक्टूबर, 2023 को धर्मशाला में एचपीसीए स्टेडियम में दक्षिण अफ्रीका पर नीदरलैंड की वर्ल्ड कप में जीत उनके लिए किसी, वर्ल्ड कप जीत के जश्न से कम नहीं थी। यहां तक कि इन दोनों टीम ने जो मैच जीते वे भी ‘क्लोज कॉन्टेस्ट’ न बनकर एकतरफा से बन गए और रोमांचक मैचों का इंतजार और लंबा हो गया। शायद इसका दोष अफगानिस्तान और नीदरलैंड के नाम लिखा जा सकता है।अफगानिस्तान और नीदरलैंड ने इस इवेंट को अपनी लिमिट में खेलने से अपनी बेहतर क्रिकेट के प्रदर्शन में बदल दिया।
वैसे तो सच ये है कि ये भी किसी आश्चर्य से कम नहीं कि अफगानिस्तान और नीदरलैंड यहां खेले- सिर्फ 10 टीम का टूर्नामेंट बनाना खुद ये इशारा है कि इसे कम मशहूर क्रिकेट देशों को बाहर रखने के लिए डिज़ाइन किया गया। इस साल जुलाई में नीदरलैंड ने 3 टेस्ट देश को हराया और फिर क्वालिफिकेशन के निर्णायक मैच में स्कॉटलैंड को हराया। उनकी विपदा का अंदाजा लगाइए कि क्वालीफाई करने के बाद, उनके चीफ कोच को ये विनती करनी पडी कि वर्ल्ड कप से पहले, और दूसरी टीम उनसे वनडे मैच खेलें। किसी ने जवाब नहीं दिया। वैसे ये उनके लिए बड़ा सही रहा- वे सबसे पहले भारत आए, बीसीसीआई की मदद से अलूर में एनसीए कॉम्प्लेक्स में एक ट्रेनिंग कैंप लगाया और वर्ल्ड कप शुरू होने तक गेंद ,मौसम और पिच के मिजाज को बहुत कुछ समझ चुके थे।
क्रिकेट का दावा है- दुनिया में दूसरा सबसे लोकप्रिय खेल और फिर भी, अन्य दूसरे लोकप्रिय खेलों की तुलना में, इसके सबसे बड़े इवेंट, वनडे वर्ल्ड कप का आकार, आश्चर्यजनक है- सिर्फ 10 टीम वाला। इस समय रग्बी वर्ल्ड कप में 20 टीम हैं यानि कि क्रिकेट वर्ल्ड कप से दोगुनी। 2027 रुग्बी वर्ल्ड कप में, यह गिनती बढ़कर 24 हो जाएगी। बास्केटबॉल का वर्ल्ड कप 32 देशों तक बढ़ गया है। वर्ल्ड बेसबॉल क्लासिक में 20 टीम हैं। यहां तक कि 2016 में खेले कबड्डी वर्ल्ड कप के आखिरी आयोजन में भी 12 टीम शामिल थीं।
जबकि अन्य दूसरे खेल अपने वर्ल्ड कप को बढ़ा रहे हैं, बड़ा बना रहे हैं- क्रिकेट में तो जब लोकप्रियता बढ़ रही है तो वर्ल्ड कप को छोटा कर दिया। 17 मार्च, 2007 को ही ये समझ आ जाना चाहिए था कि क्रिकेट को बढ़ाने का वक्त आ गया है। 16-टीम वर्ल्ड कप में, आयरलैंड ने पहले तो पाकिस्तान को हराया और कुछ घंटों बाद बांग्लादेश ने भारत को हराया। इन नतीजों ने संकेत दे दिया था कि, सभी चुनौतियों के बावजूद, आईसीसी का अपने डेवलपमेंट प्रोग्राम में टीमों की गिनती बढ़ाना बिलकुल सही है। हैरानी ये कि इस प्रोग्रेस के बावजूद बैकफुट पर चले गए।
यही मुश्किल है। असल में हुआ ये कि जब वर्ल्ड कप का प्रोग्राम बनाया तो पहले ही ये मान लिया था कि बारबाडोस में, सुपर 8 मैच, भारत-पाकिस्तान मैच होगा। इसे ब्रॉडकास्टर ने तो एड बुकिंग के लिए भारत -पाकिस्तान मैच लिख भी दिया था। खूब बुकिंग की। बाद में, पासा ऐसा पलटा कि उस दिन खेला गया बांग्लादेश-आयरलैंड मैच। ब्रॉडकास्टर बौखला गए, एड बुकिंग बड़ी तादाद में रद्द हुईं। आईसीसी के सोर्स कहते हैं कि अगर उस दिन भारत-पाकिस्तान मैच हो जाता तो वर्ल्ड कप आगे के लिए नियमित 16 टीम का बन गया होता।
आईसीसी इसके बाद अप्रत्याशित नतीजे के लिए तैयार नहीं थी- इसलिए, अनिश्चितता पर आधारित क्रिकेट को हटाकर निश्चितता ले आए और वर्ल्ड कप में टीम की गिनती तेजी से घट गई- सबसे पहले 14 हुई। तब भी आयरलैंड ने 2011 और 2015 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड और वेस्टइंडीज को हरा दिया। आईसीसी ने 2019 से वर्ल्ड कप 10-टीम का कर दिया और इस बार भी 10 टीम खेलीं।
एक और बात नोट करना जरूरी है। 2015 वर्ल्ड कप 44 दिन का था- 2023 वर्ल्ड कप 46 दिन का है यानि कि टीम कम पर टूर्नामेंट लंबा हो गया है। एक अच्छे वर्ल्ड कप में एक त्यौहार जैसा माहौल होता है। इसके उलट 10-टीम फॉर्मेट से वह बात नहीं बनती। इसका फॉर्मेट साफ़ बता रहा है कि यह वर्ल्ड कप क्या है और इसे किसके लिए खेल रहे हैं? 10 टीम को भी दो ग्रुप में नहीं बांटा- एक ही ग्रुप यानि कि टीम इंडिया का 9 मैच खेलना पक्का। इसी में ब्रॉडकास्टर के पैसे वसूल हो जाएंगे- टीम इंडिया आगे भी खेली (और ये हो भी रहा है क्योंकि सेमी फाइनल के लिए क्वालीफाई कर लिया है) तो वह बोनस। ज्यादातर दिनों में सिर्फ एक ही मैच खेले जिससे वर्ल्ड कप लंबा हो गया। उस पर मैच भी दिमाग लगाकर मैच नहीं बांटे- एक बहुत अच्छी मिसाल 3 और 4 नवंबर के मैच- 4 ताऱीख को दोनों बड़े मैच जबकि इनमें से एक को 3 नवंबर को खेलते तथा अफगानिस्तान-नीदरलैंड मैच 4 तारीख की सुबह खेलते।
इस लंबे फॉर्मेट की वजह से ही, वर्ल्ड कप शुरू होने के एक महीने से दो दिन पहले ही, सेमीफाइनल की पहली टीम का नाम तय हो पाया। मजेदार बात ये कि जब इंग्लैंड और पाकिस्तान की खराब क्रिकेट के बाद, दोनों देश में खरान प्रदर्शन पर तूफ़ान आया हुआ है- ख़ास तौर पर पाकिस्तान अभी भी गणित, चमत्कार और बाकी की टीमों की मदद से सेमी फाइनल खेलने का सपना देख रहा है। वर्ल्ड कप- कम टीम पर बहुत ज्यादा लंबा और उम्मीद बरकरार।
2027 के लिए फॉर्मेट, कम से कम, इस गलती को मानने की पहली किस्त है। इसमें 14 टीम खेलेंगी- दो पूल में बांटेंगे इन्हें और हर पूल से टॉप 3 टीम दूसरे राउंड में खेलेंगी जिससे इवेंट के शुरु से ही बड़े जोखिम वाले मैच खेल लेंगे। टूर्नामेंट अभी भी कितना लंबा खिंचेगा- ये तय नहीं हुआ है। तब भी 2027 में नए फॉर्मेट का स्वागत है।
- चरनपाल सिंह सोबती