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ऑस्ट्रेलिया की टी20 बिग बैश लीग खत्म हो चुकी है और ब्रिस्बेन हीट ने टाइटल जीता। किसी भी भारतीय के न खेलने से भारत में इस लीग की कोई ज्यादा चर्चा नहीं हुई- बस कुछ ख़ास हुआ तो वीडियो आ गई। इस स्टेटमेंट में एक गलती है- वास्तव में एक भारतीय खिलाड़ी इस लीग में खेला और भले ही उसकी टीम होबार्ट हरिकेंस ने टाइटल नहीं जीता पर उन्हें चर्चा दिलाने में इसी क्रिकेटर का ख़ास योगदान रहा।

नाम निखिल चौधरी। इस सीजन में, भारत में घरेलू क्रिकेट में कहीं निखिल का नाम चर्चा में नहीं मिलेगा और न ही आईपीएल परफॉर्मेंस/ऑक्शन चार्ट में उनका नाम है- तब भी बिग बैश खेल गए। जन्म 4 मई 1996 और बिग बैश में खेलना- अपना ‘पहला सपना’ पूरा करने जैसा रहा है। बिग बैश में हिस्सा लेने वाले, भारत में जन्मे सिर्फ दूसरे पुरुष खिलाड़ी (पहला : उन्मुक्त चंद) और बीबीएल करियर की शानदार शुरुआत से लगातार सुर्खियों में रहे।

आख़िरी रिकॉर्ड- 9 मैच की 6 इनिंग में में 25+ औसत (जो सीजन के दौरान एक समय 42+ थी) औसत और 142+ स्ट्राइक रेट से 154 रन और 27+ औसत से 5 विकेट। इसमें डेब्यू पर 40 (31 गेंद में) और उसके बाद 32 भी- इन्हें नोट किया जा रहा था कि तभी 7 जनवरी को अपना पहला फिफ्टी भी बना दिया- आखिर में चैंपियन बनी ब्रिस्बेन हीट के विरुद्ध 38 गेंद में 55 (4 चौके+2 छक्के) और साथ में 1 विकेट। इस सीजन के सबसे कामयाब ऑलराउंडर में उनके नाम का जिक्र है और हरिकेंस के इस सीजन के प्रदर्शन में रन चार्ट में नंबर 4, सीजन के सबसे खतरनाक फिनिशर में से एक तथा विकेट चार्ट में नंबर 5 पर। अपने पहले सीजन में यही बहुत है।

तो कौन हैं ये निखिल चौधरी जिन्हें भारतीय होते हुए किसी आईपीएल टीम ने नहीं लिया पर ऑस्ट्रेलिया में बिग बैश खेल गए। तो किस्सा ये है कि इस क्रिकेटर को भारत में जन्म के बावजूद किस्मत कैसे ऑस्ट्रेलिया ले गई और वहां क्रिकेट खेले- और ये किसी भी क्रिकेटर के लिए प्रेरणा की स्टोरी है।ऑस्ट्रेलिया में निखिल चौधरी के दिमाग में एक बात थी- बिग बैश में खेलना और वह सपना पूरा हो चुका है।

निखिल खुद को ‘हार्ड-हिटिंग फिनिशर’ और ‘अलग किस्म का’ लेग स्पिनर बताते हैं। उनकी क्रिकेट की कुछ खास बातें नोट कीजिए : 

  • जन्म दिल्ली में पर परिवार लुधियाना का है और वहीं क्रिकेट सीखा। 2017 में पंजाब के लिए हरभजन सिंह की कप्तानी में डेब्यू और 50 ओवर डेब्यू में युवराज सिंह और शुभमन गिल के साथ खेले। इसीलिए बल्लेबाजी पर युवराज स्टाइल की छाप है।
  • सबसे पहले पेसर बनने का सपना देखा (आयडल थे ब्रेट ली), उसके बाद लेग स्पिनर बने और बल्लेबाजी का नंबर सबसे आखिर में आया।
  • अंडर-19 क्रिकेट में भारत के लिए खेल चुके हैं पर उसके बाद करियर गड़बड़ा गया।
  • ऑस्ट्रेलिया में उनके कबड्डी स्टाइल के विकेट सेलिब्रेशन को बड़ी हैरानी से देखा जा रहा है।  
  • 2019 के आखिर में, मुंबई इंडियंस ने दो बार ट्रायल पर बुलाया लेकिन आईपीएल के लिए शॉर्टलिस्ट नहीं किया। 
  • 2020 में ब्रिसबेन गए कुछ दिन के लिए पर कोविड के चक्कर में वहीं फंस गए और ऐसे में वहां क्रिकेट खेलना शुरु कर दिया। 
  • इसीलिए जब कोविड के बाद जब फ्लाइट शुरू हो गईं- तब भी नहीं लौटे।
  • मेक्सिकन चिकन में पार्ट-टाइम जॉब किया पर जब लुधियाना में मां को पता चला कि बेटा सब्जियां काट रहा है तो उन्होंने बड़ा शोर किया- इस डर से कि उसे तो चाकू चलाना भी नहीं आता और वह उंगली काट लेगा। नतीजा वह काम गया। उसके बाद ऑस्ट्रेलिया पोस्ट में डिलीवरी बॉय की नौकरी और दो साल से यही काम कर रहे हैं। 
  • क्रिकेट में ब्रेक मिला होबार्ट के असिस्टेंट कोच जेम्स होप्स की बदौलत। वे उस क्वींसलैंड प्रीमियर क्लब के कोच हैं जिसके लिए निखिल खेले- दो सीज़न में टी20 में नॉर्थ्स के लिए 39 औसत से 469 रन और 16 विकेट। होप्स ने ही नाम हरिकेन  के हाई परफॉर्मेंस मैनेजर सैलियन बीम्स और चीफ कोच जेफ वॉन के सामने रखा।जेम्स होप्स का भरोसा गलत साबित नहीं हुआ है। 

करियर को रास्ता मिल चुका है- अब वे उसे किस तरफ ले जाते हैं, ये उन पर निर्भर है। 

  • चरनपाल सिंह सोबती

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