हैदराबाद टेस्ट में जीत को बेन स्टोक्स:ने ‘बेजबॉल दौर’ की सबसे बड़ी जीत कहा तो सही कहा क्योंकि नोट ये किया जाना चाहिए कि वे कहां और किसके विरुद्ध खेल रहे थे? इंग्लैंड सिर्फ एक सीमर वाले अजीब से गेंदबाजी अटैक के साथ टेस्ट खेला, 190 रन से पीछे थे फर्स्ट इनिंग में और तीसरे दिन दोपहर 2.30 बजे तक, लीड की बराबरी करने में ही 5 विकेट खो दिए थे- तब भी ठीक 27 घंटे बाद, राजीव गांधी स्टेडियम में 28 रन से जीत गए और ये बिल्कुल सही हुआ कि आखिरी विकेट खब्बू स्पिनर टॉम हार्टले को मिला।
वही हार्टले, जिनकी टेस्ट क्रिकेट में पहली ही गेंद पर 6 रन का शॉट लगा- दूसरी पारी में 7-62 की गेंदबाजी और ये इंग्लैंड के लिए डेब्यू पर 5वां सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। स्टोक्स की टीम ने 1-0 की बढ़त ले ली। भले ही अभी 4 टेस्ट बचे हैं और इस जीत का मतलब ये नहीं कि वे ‘पाकिस्तान’ को दोहरा देंगे पर स्टोक्स को ये कहने से कोई नहीं रोक सकता कि ये निश्चित रूप से नंबर 1 जीत है।
पिछले कुछ साल में इंग्लैंड ने कुछ अविश्वसनीय जीत हासिल की हैं लेकिन जब हर किसी की स्टेटमेंट ‘होम एडवांटेज’ के नाम पर भारत को फेवरिट बता रही थी- ये सबसे अलग है। स्टोक्स का भारत में कप्तान के तौर पर ये पहला मौका था- ग्राउंड पर पहली पारी से बहुत कुछ सीखा, भारतीय स्पिनरों को देखा/समझा, रोहित शर्मा के स्पिनरों के इस्तेमाल को देखा और इस सब को टीम के पक्के इरादे के साथ, दूसरी पारी में लागू कर दिया। हार्टले के डेब्यू टेस्ट में 9 विकेट और सर्जरी के बाद पोप का पहला टेस्ट- ये वह अविश्वसनीय कोशिश हैं, जिन्होंने भारत की पकड़ से टेस्ट निकाल लिया।
कई टीम यहां खेलीं और नाकामयाब रहीं- भविष्य में भी रहेंगी क्योंकि भारत अपनी परिस्थितियों में हमेशा फेवरिट है पर यहां ऐसा लग रहा था कि इंग्लैंड ने भारत के जीत को समय से पहले ही पक्का मान लेने के नशे को उतारा। इसीलिए जब चौथे दिन अंपायरों ने अतिरिक्त आधे घंटे का ऑफर दिया (भारत का स्कोर तब 177-8) और जीत के लिए 54 रन की जरूरत थी- स्टोक्स ने 19 टेस्ट में अपनी 14वीं जीत की कोशिश को जारी रखा। एक कप्तान की स्ट्रेटजी के नाम पर जहां टेस्ट में स्टोक्स का ग्राफ नीचे से ऊपर गया- रोहित शर्मा का ऊपर से नीचे। क्या आपने नोट किया- स्टोक्स ने 69.2 ओवर में गेंदबाजी में 19 बदलाव किए।
ऐसी जीत को संभव बनाने के लिए कुछ ख़ास कोशिश की जरूरत होती है और इसीलिए जो रूट ने पोप के 196 को सबसे ग्रेट टेस्ट पारियों में से एक बताया तो स्टोक्स ने भारत में किसी भी इंग्लिश बल्लेबाज की सबसे ग्रेट पारी। टेस्ट का टर्निंग पॉइंट भारत के नजरिए से कौन सा था? जब वीवीएस लक्ष्मण पवेलियन के ऊपर की घड़ी 3.10 का समय दिखा रही थी तो खतरनाक हिटर और पहली पारी में 87 रन बनाने वाले रवींद्र जडेजा को रूट की गेंद पर वाइड मिड-ऑन पर स्टोक्स का झपट्टा मारकर फील्ड करना (लगभग 20 गज भागकर), उसी मूवमेंट में गेंद को रिलीज करना (अपने शरीर को घुमाते हुए) और सीधी थ्रो पर हिट। दो काम हो गए- जिस जडेजा से वे सबसे ज्यादा डर रहे थे उसे आउट कर दिया और बहुत संभव है कि डाइव की चोट में उनका विशाखापत्तनम खेलना भी खतरे में डाल दिया हो।
स्टोक्स पिछले दो साल में 19 टेस्ट में इंग्लैंड के कप्तान रहे हैं और इनमें से 14 जीते- तब भी यहां उनके फैसलों पर सवाल उठे, मजाक बना। तीन फ्रंटलाइन स्पिनर और सिर्फ एक विशेषज्ञ सीमर (इंग्लैंड के टेस्ट इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ) के साथ खेलना पर अपनी शानदार पारी और कप्तानी से वे जवाब देते गए और टीम इंडिया उनकी ‘मदद’ करती गई- शुभमन और श्रेयस का फेल होना, कोहली का न खेलना, पोप के कैच छोड़ना और ये साबित करना कि होम एडवांटेज में खेलने का फायदा मिलता है तो इसके दबाव में गड़बड़ भी हो सकती है। रोहित शर्मा ने ठीक कहा- ‘ये बताना मुश्किल है कि कहां गलती हुई?’ इससे पहले सिर्फ दो बार, 1981 और 1894 में, इंग्लैंड ने पहली पारी में इससे भी ज्यादा लीड देने के बाद जीत हासिल की थी पर हैदराबाद की जीत सबसे सनसनीखेज है।
163-5 के स्कोर से इंग्लैंड को वापसी का मौका दिया और टीम इंडिया के लिए लक्ष्य बढ़ता गया- पोप ने बेन फॉक्स (112), अहमद (64) और हार्टले (80) के साथ पार्टनरशिप की बदौलत स्कोर 420 तक पहुंचा दिया। चौथे दिन लंच से 30 मिनट पहले शोएब बशीर ग्राउंड में आ गए थे और क्या देखा- टीम इंडिया दबाव में, पोप 200 की तरफ और हार्टले की बैटिंग। बशीर के लिए ये सब टॉनिक था। माइकल वॉन की इस स्टेटमेंट के लिए सभी ने आलोचना की कि टीम इंडिया के पास बहुत टेलेंट है, सिस्टम में बहुत पैसा है, गजब का क्रिकेट स्ट्रक्चर है पर उसकी तुलना में उपलब्धि?
खैर भारत अभी भी सीरीज जीतने के लिए फेवरिट क्योंकि अब जवाब देना है। टीम इंडिया को ये खूब आता है।
- चरनपाल सिंह सोबती
सरजी बहुत बडा विश्लेषण तथा जानकारी भरा 👍👌