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मुंबई में, 12-15 जनवरी 2024 के मुंबई के रणजी ट्रॉफी मैच में भारत के स्टार मिडिल आर्डर बल्लेबाज श्रेयस अय्यर भी खेले। इंग्लैंड में काउंटी चैंपियनशिप या ऑस्ट्रेलिया में शेफील्ड शील्ड में उनके किसी भी टॉप क्रिकेटर का खेलना कोई ख़ास खबर नहीं- भारत में है। यहां तो एक बार इंटरनेशनल क्रिकेट में आए तो सामान्यतः रणजी और इसी तरह के अन्य दूसरे टूर्नामेंट में खेलना बंद- उसके बाद तो तभी खेलेंगे जब जबरदस्ती की फुर्सत हो (जैसी अब अजिंक्य रहाणे के पास है) या फार्म की तलाश में सही मैच प्रेक्टिस की जरूरत हो (जैसी अब श्रेयस अय्यर को है)। चेतेश्वर पुजारा इन सबसे से अलग हैं- वे चूंकि वाइट बॉल इंटरनेशनल क्रिकेट और आईपीएल खेलते नहीं इसलिए फुर्सत के दिनों में भारत/इंग्लैंड में घरेलू क्रिकेट खेल लेते हैं।

इसलिए आंध्र प्रदेश के विरुद्ध मुंबई के लिए श्रेयस का खेलना एक ख़ास खबर बन गया- ये रणजी ट्रॉफी 2024 के दूसरे राउंड का एक मैच था। एक और मिसाल भुवनेश्वर कुमार भी हैं- उनके पास फुर्सत होते हुए भी वे रणजी ट्रॉफी नहीं खेलते। इस दूसरे राउंड का एक मैच वे भी खेले- उत्तर प्रदेश के लिए बंगाल के विरुद्ध कानपुर में और ड्रा रहे मैच में बंगाल की 188 रन की एकमात्र पारी में 8-41 की गेंदबाजी की। नोट कीजिए- ये जनवरी 2018 में जोहांसबर्ग टेस्ट के बाद से भुवनेश्वर कुमार का पहला फर्स्ट क्लास मैच है और नवंबर 2016 के बाद से अपने स्टेट उत्तर प्रदेश के लिए पहला रणजी ट्रॉफी मैच भी।

क्रिकेट के इस आधुनिक दौर में टीम इंडिया के क्रिकेटरों का इंटरनेशनल क्रिकेट में आने के बाद रणजी ट्रॉफी जैसे किसी फर्स्ट क्लास क्रिकेट टूर्नामेंट में खेलना कितना मुश्किल हो गया है- दाएं हाथ के बल्लेबाज श्रेयस अय्यर उसकी बहुत अच्छी मिसाल हैं। विश्वास कीजिए- वे 2018-19 सीज़न के बाद अपना पहला रणजी ट्रॉफी मैच खेले। 2017 के आख़िरी दिनों में वाइट बॉल इंटरनेशनल क्रिकेट खेलना शुरू किया था और अजीब बात ये है कि 2021 में टेस्ट टीम में जगह मिली वाइट बॉल क्रिकेट के रिकॉर्ड को देखकर, न कि रणजी ट्रॉफी रिकॉर्ड को देखकर।

अब टेस्ट क्रिकेट के लिए सही फार्म की तलाश में इसी रणजी ट्रॉफी में खेले। तब भी खुद ये फैसला नहीं लिया- उनके हाल के रेड बॉल इंटरनेशनल क्रिकेट में साधारण रिकॉर्ड को देखकर सेलेक्टर्स ने उन्हें अहमदाबाद में इंग्लैंड लायंस के विरुद्ध इंडिया ए सीरीज/रणजी ट्रॉफी में खेलने का विकल्प दिया तो अय्यर ने रणजी ट्रॉफी को चुना- मुंबई टीम में खेले और एकमात्र पारी में 48 रन बनाए।

तो बात साफ़ है- टेस्ट टीम में श्रेयस अय्यर की जगह पर सवाल उठ रहे हैं और वाइट बॉल क्रिकेट रिकॉर्ड की बदौलत टेस्ट टीम में उन्हें खेलने का मौका देने का सेलेक्टर्स का फैसला टीम इंडिया पर भारी पड़ रहा है। एक साथ दो टॉप आर्डर बल्लेबाज टेस्ट क्रिकेट में जूझ रहे हैं- श्रेयस और शुभमन का विकेट इतना सस्ता नहीं होना चाहिए, जितना हो गया है। श्रेयस का रिकॉर्ड देखिए :

  • 2023 से टेस्ट रिकॉर्ड : 5 टेस्ट की 8 पारी में 83 रन, 11.85 औसत से। 
  • टेस्ट रिकॉर्ड : 12 टेस्ट में 707 रन (39.27 औसत)। भारत के लिए अपने पहले 12 टेस्ट में 27 बल्लेबाज ने उनसे ज्यादा रन बनाए और सिर्फ 9 की बल्लेबाजी की औसत उनसे कम है- हालांकि ये रिकॉर्ड श्रेष्ठता तय करने का आख़िरी पैमाना नहीं हो सकता (नोट कीजिए- विराट कोहली का औसत उनसे भी कम था पर विराट के रिकॉर्ड में उस चिंता की वह झलक नहीं थी जो श्रेयस के रिकॉर्ड में है)।
  • एशिया से बाहर जो टेस्ट खेले उनमें से इंग्लैंड में 2 पारी में 34 रन और दक्षिण अफ्रीका में 4 पारी में 41 रन
  • इसकी तुलना में भारत में 7 टेस्ट की 11 पारी में 430 रन (39+ औसत) और बांग्लादेश में 2 टेस्ट की 3 पारी में 202 रन।
  • इस रिकॉर्ड को देखकर क्या अश्विन की तरह से उनके लिए भी यह तय कर दें कि कहां खेलना है और वे सिर्फ एशिया में टेस्ट खेलेंगे? ये किसी भी नजरिए से एक टॉप टीम की जरूरत और एक भरोसे के टेस्ट क्रिकेटर की पहचान नहीं हो सकता।

सेलेक्टर्स श्रेयस को टेस्ट स्कीम में एक नियमित बल्लेबाज गिनते हैं- इसीलिए टीम/फार्म में वापसी का मौका दे रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका में 2 टेस्ट की सीरीज के साथ टेस्ट टीम में वापसी की- अय्यर/रहाणे में से किसी एक के लिए जगह थी और सेलेक्टर्स ने भविष्य की ओर देखा। इस विश्वास में, दक्षिण अफ्रीका में 31, 6, 0 और  4* के स्कोर फिट नहीं बैठे। इतना ही नहीं- उससे पहले की लगातार 5 पारी में स्कोर 29*, 4,12,0 और 26 थे। ऐसे रिकॉर्ड पर टेस्ट प्लेइंग इलेवन में जगह पर सवाल तो उठेगा ही।

संयोग से इंग्लैंड के विरुद्ध सीरीज भारत में है और श्रेयस के लिए टीम इंडिया के मिडिल आर्डर में अपनी जगह पक्की करने का ये बहुत अच्छा मौका है- अगर ऐसा न कर पाए तो श्रेयस से ज्यादा, ये टीम इंडिया का नुकसान होगा और किसी और बल्लेबाज के खेलने का रास्ता बनेगा। 

  • चरनपाल सिंह सोबती

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