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आईपीएल शुरू हो गई और आईपीएल की शुरुआत, खिलाड़ियों और टीम से हट कर जिस खबर के साथ, सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा जोड़ी गई वह है नवजोत सिद्धू की आईपीएल कमेंट्री बॉक्स में वापसी। लगभग 10 साल बाद कमेंट्री बॉक्स में वापसी पर यह कहने वालों की कमी नहीं कि वे सिद्धू की कमेंट्री फिर से सुनने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।

नवजोत सिद्धू कभी टीवी कमेंट्री में रिची बेनो जैसे बेमिसाल, टोनी ग्रेग जैसे लोकप्रिय और सुनील गावस्कर जैसे क्रिकेट की समझ वाले कमेंटेटर नहीं थे पर वह सुनने वाले को अपनी कमेंट्री से जोड़ने की आर्ट जानते हैं। ढेरों ऐसे हैं जो उनके ‘अल्प ज्ञान’, सस्ती कमेंट्री स्टाइल या फिजूल के किस्से सुनाने की आदत की आलोचना करते हैं पर ये सभी भी उन्हें सुनते हैं। रिची बेनो ने एक बेहतर टीवी कमेंटेटर के लिए जो ‘कमांड’ लिखे उसमें से एक सबसे ख़ास ये है कि कमेंटेटर को मालूम होना चाहिए कब पिक्चर खुद बोल रही है- इसलिए तब चुप हो जाओ। सिद्धू की कमेंट्री सुनिए- ये खूबी कहीं दिखाई नहीं देगी पर जब स्टार स्पोर्ट्स ने आईपीएल कमेंटेटर पैनल की घोषणा की तो नवजोत सिद्धू के नाम ने, और किसी के नाम की चर्चा ही नहीं होने दी।

ये है क्रिकेटर से कमेंटेटर, कमेंट्री से एंटरटेनमेंट की दुनिया के सबसे लोकप्रिय नाम में से एक, इस लोकप्रियता से नेता बने और अब वापस कमेंटेटर बने नवजोत सिंह सिद्धू की स्टोरी। कितनी हैरानी की बात है कि इस सब के बीच उनकी क्रिकेट का वह जिक्र नहीं होता जो होना चाहिए। वे कैसे बल्लेबाज थे इसके बारे में लिखने को तो बहुत कुछ है पर जो शेन वार्न ने हमेशा उनके बारे में कहा वही बता देने से सब समझ आ जाएगा। शेन वार्न ने जिन बल्लेबाज को गेंदबाजी की- उनमें से नवजोत सिद्धू को स्पिन खेलने का नंबर 1 बल्लेबाज कहा (नोट कीजिए- सचिन तेंदुलकर को नहीं)।

आज के टी20 युग में वनडे में जो रिकॉर्ड बन रहे हैं उनसे तुलना गलत होगा- अपने समय में वे भारत के टेस्ट और वनडे में सबसे बेहतरीन बल्लेबाज में से एक थे। रिकॉर्ड- 51 टेस्ट में 3202 रन 42.13 औसत से 9 शतक के साथ और 136 वनडे में 4413 रन 69.72 स्ट्राइक रेट एवं 37.08 औसत से 6 शतक के साथ। जिस नवजोत सिद्धू को, एक समय, एक सीनियर भारतीय जर्नलिस्ट ने ‘स्ट्रोक लैस वंडर’ कहा था- वास्तव में उन्होंने टेस्ट में 38 और वनडे में 44 छक्के लगाए, उस दौर में जब भारत के बल्लेबाज 6 लगाने के लिए मशहूर नहीं थे।

इसी तरह आज जिन नवजोत सिद्धू की पहचान में कहा जाता है कि वे चुप ही नहीं होते (हालांकि टीवी पर पिक्चर बहुत कुछ खुद बोलती है और बेनो कहते हैं जो दिख रहा है उसे बोलने की कोई जरूरत नहीं), वे कभी बोलने से इतना डरते थे कि ‘शाई सिद्धू’ के नाम से मशहूर थे। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था- ‘ मैं स्कूल में बड़ा शर्मीला था- जबान बंधी हुई थी और बहुत कम बोलता था। एक बार मुझसे अगली सुबह स्कूल की मॉर्निंग असेंबली में कुछ बोलने के लिए कहा गया। मैं अगले तीन दिन तक स्कूल ही नहीं गया। एक स्कूल प्रीफ़ेक्ट के तौर पर, सुबह की असेंबली में ‘डिस्पर्स’ कहना भी मेरे लिए बड़ा भारी पड़ता था और मेरे पैर कांपने लगते थे।’

ये हैं आज के वे कमेंटेटर नवजोत सिद्धू जिनके बारे में कहते हैं कि उनके मुंह में मोटर लगी है। ये हैं वे नवजोत सिद्धू जो टीवी पर कपिल शर्मा का प्रोग्राम हो या अन्य कोई कॉमेडी शो- अपनी बातों से दुनिया को हंसाते हैं, खुद हंसते हैं, जिनके पास हर मौके पर सुनाने के लिए कोई शेर है और जो नेता के तौर पर लंबे-लंबे भाषण देते रहे। अब क्रिकेट कमेंट्री में वापस लौटने से, उनके बोले बिना ये कहा जा सकता है कि वे एक्टिव पॉलिटिक्स को अलविदा कह आए हैं और जिस क्रिकेट को वे अपना सबसे बड़ा ‘प्यार’ कहते हैं- उसके लिए इससे बेहतर खबर और कोई नहीं हो सकती। आज क्रिकेट है तो कल को एंटरटेनमेंट की दुनिया में भी उनका लौटना महज औपचारिकता ही होगा।

यहां उनकी पॉलिटिकल इनिंग का जिक्र करने का कोई इरादा नहीं पर टाइम लाइन खुद बता रही है कि वे अब किस राह पर हैं- कमेंट्री बॉक्स में वापस लौटने का मतलब है अगले लोकसभा चुनाव में हिस्सा लेने या चुनावी प्रचार में शामिल होने की हर संभावना खत्म। आईपीएल 22 मार्च से शुरू और पंजाब में लोकसभा चुनाव प्रक्रिया 7 मई से शुरू तथा आख़िरी राउंड में 1 जून को वोटिंग है। अब फिर से इस लोकप्रिय क्रिकेट कमेंटेटर के वन-लाइनर्स और सटीक कमेंट सुनेंगे। ये बताने की जरूरत नहीं कि वे क्रिकेट जानते हैं।

काम कोई भी हो- वापसी आसान नहीं होती। नवजोत सिद्धू उस काम के लिए लौट आए हैं जो वह सबसे अच्छा करते हैं- कमेंट्री। फिर से उनके अनोखे ‘सिद्धू इज्म’ का लोग इंतजार कर रहे हैं। माइक्रोफ़ोन के पीछे उनका चेहरा, उनके कमेंट ने उन्हें एक मशहूर व्यक्तित्व बना दिया था। जो शुरू में पूरे टूर्नामेंट के लिए 60-70 लाख रुपये की फीस ले रहे थे- वहां से आईपीएल में हर रोज 25 लाख रुपये की फीस तक पहुंचे पर उनके लिए संतुष्टि सिर्फ पैसा नहीं थी- समय का सही उपयोग। अब वे उसी कमेंट्री में वापस हैं- अगर क्रिकेट में लगभग 20 कम बैक कर सकते हैं तो क्रिकेट कमेंट्री में क्यों नहीं?

वे कहते हैं- ‘क्रिकेट मेरा पहला प्यार है। अगर आपका शौक, आपका पेशा बन जाए तो इससे बेहतर कुछ नहीं है। बत्तख का बच्चा कभी तैरना नहीं भूलेगा, मैं कमेंट्री में उसी तरह उतरूंगा जैसे मछली पानी में उतरती है।’

हास्य की भावना ने उन्हें जीवन के उथल-पुथल भरे दौर में आगे बढ़ने में मदद की- मेरे जीवन का रहस्य यह है कि मैं स्विच ऑन और स्विच ऑफ करता रहता हूं। तो ये साफ़ है कि सिद्धू अब पॉलिटिक्स से स्विच ऑफ कर चुके हैं। क्रिकेट में, 20 बार वापसी की- कमेंट्री में पहली वापसी है। 

  • चरनपाल सिंह सोबती

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