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आज की क्रिकेट में ‘स्पिरिट ऑफ़ क्रिकेट’ जैसी बात बेकार हो गई है। सब मौके की बात है और सोच/नजरिया समय के साथ तथा मैच की स्थिति के हिसाब से बदलते रहते हैं। कुछ ही दिन के अंदर, आपस में हजारों मील की दूरी पर तीन अलग-अलग ग्राउंड में जो हुआ- उसी ने ऐसा लिखने पर मजबूर किया है। 
हैदराबाद टेस्ट : दिन 29 जनवरी 2024 और इंग्लैंड के विकेटकीपर बेन फॉक्स ने भरत के विरुद्ध स्टंपिंग की एक कोशिश में अपने अंदर के ‘एलेक्स कैरी’ को दिखा दिया। 2023 एशेज के दौरान ऑस्ट्रेलियाई ग्लवमैन कैरी ने जॉनी बेयरस्टो के क्रीज से बाहर निकलने पर स्टंप पर थ्रो से बेयरस्टो को आउट किया था। बड़ा शोर हुआ और ख़ास तौर पर अंग्रेज बड़े नाराज थे। स्पिरिट ऑफ़ क्रिकेट की खूब वकालत हुई और कप्तान बेन स्टोक्स ने यहां तक कहा था- ‘मैं इस तरह से कभी मैच नहीं जीतना चाहूंगा।’

अब उन्हीं की टीम के फोक्स ने देखिए जसप्रीत बुमराह की पुल शॉट की कोशिश पर क्या किया? फोक्स ने गेंद बेल्स से सटा दीं- बस इस इंतजार में कि बुमराह थोड़ा सा क्रीज से बाहर निकलें और वे उन्हें स्टंप कर दें। वे ऐसा न करते तो भी टेस्ट का नतीजा नहीं बदलता पर ये कोई अच्छा नजारा नहीं था। वैसे इसी टेस्ट में फोक्स ने एक और अजीब नजारा दिखाया और एक थ्रो पकड़ने  कोशिश में गलती से स्टंप्स से ऐसे टकराए कि तीनों स्टंप ग्राउंड से उखड़ गए।

ये तो कुछ भी नहीं था। इन दिनों खेल रहे अंडर-19 वर्ल्ड कप में फील्ड डिसमिसल में रुकावट डालने के एक किस्से में फिर से सभी स्पिरिट ऑफ़ क्रिकेट वाली बहस में फंस गए। इंग्लैंड के बल्लेबाज हमजा शेख, जिम्बाब्वे पर जीत वाले मैच में ऑब्स्ट्रक्शन ऑफ़ द फील्ड आउट दिए गए। उनका कसूर- रयान सिम्बी की एक गेंद उनके पैर पर लगी और वहीं रुक गई। पैर के पास पड़ी गेंद को फील्डर को देने के लिए उठा लिया और इसी पर आउट की अपील हो गई। जब ग्राउंड अंपायर डोनोवन कोच और मसुदुर रहमान कुछ तय न कर पाए तो फैसला थर्ड अंपायर गाजी सोहेल पर डाल दिया और उन्होंने शेख को आउट दे दिया।

तो इस तरह एक रुकी गेंद को फील्डर को देने की कोशिश में बल्लेबाज आउट हो गया। इंग्लैंड के तेज गेंदबाज स्टीव हार्मिसन ने कमेंट्री करते हुए कहा- एक अंपायर इसे कैसे आउट दे सकता है? उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि अंपायर में ज़रा भी समझ नहीं है। लॉ 37.4 के तहत- अगर गेंद खेल में है, तो किसी भी समय, फील्डर की सहमति के बिना, बैट या उसके किसी भी हिस्से के इस्तेमाल से अगर बल्लेबाज फील्डिंग में रुकावट डाल रहा है तो वह आउट है। यहां तो गेंद रुकी हुई थी।

वर्ल्ड कप वाला श्रीलंका के बल्लेबाज एंजेलो मैथ्यू का टाइम आउट का किस्सा याद आ गया। तब भी, हेलमेट स्ट्रैप टूटने को नहीं- उनके बैटिंग शुरू करने में तीन मिनट से ज्यादा को पकड़ लिया था। शेख के इस तरह आउट होने से भी इंग्लैंड जीत गया पर जिम्बाब्वे की किसी ने तारीफ़ नहीं की। मजे की बात ये है कि शेख ने गेंद उठाने से पहले जिम्बाब्वे के विकेटकीपर को इशारा कर दिया  था- तब भी विकेटकीपर ने ही सबसे पहले अपील की।

इसे देख 2018 अंडर 19 वर्ल्ड कप का एक किस्सा याद आ गया- तब दक्षिण अफ्रीका के ओपनर जिवेशन पिल्ले को इसी तरह से ऑब्स्ट्रक्शन ऑफ़ द फील्ड आउट दिया था। वेस्टइंडीज के पूर्व तेज गेंदबाज इयान बिशप ने तब टीवी पर कहा था- पिल्लै को आउट नहीं किया जाना चाहिए था क्योंकि बल्लेबाज ने गेंद को तब हाथ में लिया जब गेंद रुकी हुई थी। वहां जो हुआ- वह भी गलत था। बल्लेबाज कोई फायदा उठाने  की कोशिश नहीं कर रहा था- सिर्फ फील्डिंग टीम की मदद कर रहा था। इन दोनों केस में अंपायर ने गेंद के पिच पर रुके होने के बावजूद उसे ‘प्ले’ में माना और इसीलिए अपील पर आउट दिया।

अभी ये चर्चा चल ही रही थी कि ऑस्ट्रेलिया में बिग बैश में ड्रामा हुआ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया- एनएसडब्ल्यू मैच में और वहां साथ में लॉ चर्चा में आया हिट द बॉल टवाइस का भी। वहां अंपायर खुद स्पिरिट ऑफ़ क्रिकेट के रखवाले बन गए और रन-आउट को रोकने के लिए, बल्लेबाज के अपने बैट के दो बार इस्तेमाल के बावजूद (दूसरी बार फील्डिंग में रूकावट के लिए) न्यू साउथ वेल्स के क्रिस ग्रीन को आउट नहीं दिया।

गेंदबाज थे चार्ली स्टोबो। ग्रीन ने एक गेंद पर डिफेंस शॉट खेला और गेंद स्टोबो की तरफ गई। फील्ड करते हुए स्टोबो ने देखा कि ग्रीन अपनी क्रीज से बाहर हैं तो सीधे गेंद को वापस स्ट्राइकर के स्टंप्स पर फेंक दिया। गेंद ग्रीन के पैरों की ओर जा रही थी तो ग्रीन ने बैट का इस्तेमाल किया गेंद को स्टंप्स से टकराने से रोक दिया। डब्ल्यूए की तरफ से अपील हुई आउट की। क्रिकेट लॉ के तहत ग्रीन को फील्डिंग में रुकावट के लिए आउट दिया जाना चाहिए था- फिर भी अंपायरों ने आउट नहीं दिया।

तो साफ़ है कि ग्रीन ने गेंद को दो बार हिट किया बैट से और वीडियो में देख सकते हैं कि ग्रीन क्रीज से आधा कदम बाहर थे और क्रीज से बाहर ही अपने स्टंप का बचाव करने के लिए, अपने बैट का इस्तेमाल किया तो ये ऑब्स्ट्रक्शन ऑफ द फील्ड नहीं तो और क्या है? इसके उलट अंपायर ने तो कहा- “इस हद तक मत गिरो। मुझे नहीं लगता कि स्टंप्स पर गेंद लगती- उनके पैड पर जा लगती।’ अगर ऐसा था तो बल्लेबाज को अपना बैट बीच में डालने की ज़रूरत नहीं थी- गेंद पैड से टकराने पर वह आउट नहीं होता। अगर फील्डर स्टंप्स पर फेंक रहे हैं तो आपको रास्ते से हटने की जरूरत नहीं है, लेकिन इसे बैट से खेलने की ज़रूरत भी नहीं है। डब्ल्यूए के कोच एडम वोजेस ने सफाई मांगी जो नहीं मिली।

क्रिकेट लॉ 37.1.1 में साफ़ लिखा है कि कोई भी बल्लेबाज अगर फील्डिंग में रूकावट डालता है (कुछ परिस्थितियों को छोड़कर) और गेंद प्ले में हो, तो वह आउट है और इसी में ये भी लिखा है कि लॉ 34 भी देखें (हिट द बॉल टवाइस)। इसके बाद लॉ 37.1.2 में लिखा है कि वह बैट पकड़े बिना भी गेंद हिट करता है तो भी ये अपने विकेट को बचाने के लिए गेंद पर एक से ज्यादा बार हिट करने का मामला होगा। ये किस्सा अंडर-19 वर्ल्ड कप के दौरान फील्डिंग में साफ़ रुकावट डालने के लिए आउट दिए जाने के 24 घंटे से भी कम के अंदर का है और यहां सोच बदल गई। किसे सही कहें?

  • चरनपाल सिंह सोबती

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