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ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान और ‘फेब 4’ में से एक स्टीव स्मिथ ने, इस समर की एशेज और संभवतः वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल की तैयारी के लिए मई में ससेक्स के लिए तीन मैच खेलने का कॉन्ट्रैक्ट किया है। कई काउंटी की रुचि थी स्मिथ को लेने में और जो कॉन्ट्रैक्ट हुआ उसका मतलब है कि स्मिथ 4 मई को वूस्टरशायर में, उससे अगले हफ्ते लेस्टरशायर में और होव में ग्लैमरगन (जिनकी टीम में उनके हमवतन मारनस लाबुशेन भी होंगे) के साथ खेलेंगे। वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल की टीम अभी तय नहीं पर इसे जून की शुरुआत में ओवल में खेलेंगे और एशेज 16 जून से एजबेस्टन में शुरू होगी।
 
स्मिथ के खेलने की चर्चा पिछले दिसंबर में ही शुरू हो गई थी और जब ये खबर इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने सुनी तो बस इतना ही कहा था- ‘ये काउंटी के लिए अच्छा होगा पर मुझे लगता है उन्हें एशेज से पहले खेलने का मौका देना शायद किसी को भी पसंद नहीं आएगा।’ इससे तो सोशल मीडिया पर मानो आलोचना का सिलसिला ही शुरु हो गया और यहां तक कि उनकी ‘मदद’ के लिए ससेक्स को ‘देशद्रोही’ भी कह दिया। स्मिथ ने कहा- वे न सिर्फ खेलेंगे, इंग्लिश क्रिकेट में योगदान देंगे- ख़ास तौर पर ससेक्स टीम में युवा खिलाड़ियों के साथ खेलना चाहते हैं और उन्हें गाइड भी करेंगे।

स्मिथ का नाम आते ही उनकी बैटिंग के साथ-साथ, 2018 में दक्षिण अफ्रीका टूर में ऑस्ट्रेलिया टेस्ट टीम का बॉल-टैम्परिंग कांड याद आ जाता है जिसके लिए स्मिथ, 12 महीने के लिए क्रिकेट से सस्पेंड भी रहे। इसी को, उन्हें बदनाम करने के लिए, इंग्लैंड वाले फिर से उछाल भी रहे हैं पर इससे उनके एक बल्लेबाज के तौर पर प्रभाव पर कोई असर नहीं आता- यही उनकी असली खूबी है। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में शेफ़ील्ड शील्ड में न्यू साउथ वेल्स के लिए औसत 50.95 और 92 टेस्ट में 162 पारियों में 60.89 औसत- कम से कम 25 टेस्ट  खेलने वालों में से सिर्फ डॉन ब्रैडमैन ही उन से ऊपर हैं।

मौजूदा टेस्ट रेंकिंग में, लाबुशेन के बाद- दूसरे नंबर पर हैं और भारत के चेतेश्वर पुजारा के साथ ससेक्स में खेलेंगे, जो नंबर 22 हैं। ससेक्स पिछले साल काउंटी चैम्पियनशिप के डिवीजन 2 में 8 टीमों में से नंबर 7 रहे थे- क्या इस साल तीन मैच खेल कर स्मिथ टीम की किस्मत कुछ बदल पाएंगे? ससेक्स के सीईओ रॉब एंड्रयू ने कहा- ‘एशेज से ठीक पहले ससेक्स के लिए दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज का खेलना, हमारे और काउंटी चैम्पियनशिप दोनों के लिए बहुत अच्छा है।’

स्मिथ, इससे पहले, कभी भी दुनिया की इस सबसे पुरानी घरेलू चैंपियनशिप में नहीं खेले हैं और उन्हें ड्यूक गेंद को खेलते देखना, इंग्लैंड वालों के लिए एक बड़ा ख़ास नजारा होगा। ऑस्ट्रेलिया के लिए भी ये सब ख़ास है क्योंकि 2001 के बाद से, ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज़ में जीत का स्वाद नहीं चखा है। उन्हें भी स्मिथ स्पेशल का इंतजार है।

इंग्लैंड वाले कह रहे हैं, स्मिथ का खेलना उनके साथ ‘धोखा’ है क्योंकि जो अनुभव मिलेगा ये उनके नाम आएगा। ये चर्चा कोई नई नहीं। इसकी लाबुशेन से बेहतर मिसाल और कौन सी होगी- वे ग्लैमरगन में 2019 की समर में खेले थे और जब लॉर्ड्स में स्मिथ के कनकशन सब्स्टीट्यूट के तौर पर एशेज टेस्ट में बीच में शामिल हुए तो काउंटी के लिए खेलने का अनुभव उनके बड़े काम आया। आज वे टेस्ट रेंकिंग में नंबर 1 हैं।

इसी तरह जब फिलिप ह्यूज 2009 में मिडिलसेक्स में शामिल हुए थे, तब भी बड़ा शोर हुआ था। फिलिप ने क्लब के लिए तीन पारियों में तीन शतक लगाए पर इस फार्म को टेस्ट सीरीज में न दिखा पाए और दो टेस्ट के बाद टीम से बाहर कर दिए गए। लाबुशेन भी, 2021 में ग्लैमरगन के लिए खेले और पहली चार मैच आउटिंग में उनके स्कोर 11, 12, 10, 0, 11 और 0* थे। टेस्ट सीरीज में सब बदल गया।  

ये चर्चा कोई नई नहीं कि विदेशी क्रिकेटर इंग्लैंड में खेलते हैं, पैसा कमाते हैं और जो सीखते हैं, उसी का फायदा उठाकर, न सिर्फ इंग्लैंड, बाकी सब देशों के विरुद्ध भी बेहतर खेलते हैं।  1975 से 1983 तक वर्ल्ड कप में वेस्टइंडीज की कामयाबी में उनके ज्यादातर क्रिकेटरों के इंग्लैंड में वनडे क्रिकेट खेलने के अनुभव का बड़ा योगदान था। अगर ऐसा ही सोच लें तो विदेशी क्रिकेटरों को आईपीएल और द हंड्रेड जैसी टी20 लीग के लिए बुलाना भी बंद कर देंगे। इंग्लैंड में भी, ऐसा नहीं कि काउंटी क्रिकेट खेले बिना अब तक कोई कामयाब नहीं हुआ- इंग्लैंड में, बिना ट्यून-अप, स्मिथ का रिकॉर्ड 6 शतक और 59.55 औसत इसका सबूत है। 2019 में 4 टेस्ट में 110 औसत पर 774 रन, सैंड पेपर के चक्कर में सस्पेंड रहने के बाद बनाए थे।

लाबुशेन पिछले कुछ सालों से ग्लैमरगन के लिए खेल रहे हैं। स्मिथ के खेलने से तो इंग्लैंड के अपने युवा क्रिकेटरों को भी, उनसे बहुत कुछ सीखने का मौका मिलेगा। ठीक वैसे ही, जैसे भारत की 2018 की इंग्लैंड सीरीज से पहले विराट कोहली ने, अपना 2014 सीरीज का खराब रिकॉर्ड सुधारने की कोशिश में, काउंटी क्रिकेट खेलने की इच्छा जाहिर की थी तो सरे के क्रिकेट डायरेक्टर एलक स्टुअर्ट ने उन्हें खुद काउंटी के लिए खेलने का न्योता दिया था और कहा था कि विराट जैसे क्रिकेटर की मौजूदगी से न सिर्फ उनकी काउंटी, जो उनके विरुद्ध खेलेंगे उनके क्रिकेटरों को भी बड़ा कुछ सीखने का मौका मिलेगा। विराट ने इस चक्कर में अफ़ग़ानिस्तान के विरुद्ध भारत में टेस्ट भी छोड़ दिया था। ये बात अलग है कि वे आखिर में इंग्लैंड नहीं जा पाए पर काउंटी के लिए खेलने पर जो प्रोग्राम बना था- उसकी सच्चाई को भूल नहीं सकते।

हां, इंगलैंड की इस बात के लिए तारीफ़ करनी होगी कि परंपरा को जारी रखा है और सिर्फ काउंटी चैंपियनशिप ही, विदेशी खिलाड़ियों को घरेलू रैड बॉल क्रिकेट खेलने का मौका देती है-  इंग्लैंड के खिलाड़ियों के पास ऑस्ट्रेलिया या भारत के घरेलू रैड बॉल मैचों में खेलने का कोई विकल्प नहीं है। अब देख लीजिए, नजर टेस्ट टीम में वापसी पर है तो इस साल अजिंक्य रहाणे लेस्टरशायर के लिए खेलेंगे- चैम्पियनशिप क्रिकेट और रॉयल लंदन कप दोनों में। ससेक्स में, चेतेश्वर पुजारा 2022 में शानदार स्पेल के बाद वापसी करेंगे। पुजारा भी तो काउंटी क्रिकेट में दिखाई फार्म की बदौलत टेस्ट क्रिकेट में वापस लौट पाए थे।

पिछले साल काउंटी क्रिकेट में मोहम्मद सिराज, क्रुनाल पांड्या और जयंत यादव (वारिकशायर), शुभमन गिल (ग्लेमोर्गन), वाशिंगटन सुंदर (लेंकशायर), उमेश यादव (मिडिलसेक्स) और नवदीप सैनी (केंट) भी खेले। देख लीजिए- बीसीसीआई अपने खिलाड़ियों को, भारत से बाहर, 4 दिन वाले टूर्नामेंट के साथ वनडे और टी 20 भी खेलने देते हैं- टी20 लीग में नहीं खेलने देते ताकि ब्रांड आईपीएल पर कोई असर न आए।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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