fbpx

 क्रिकेट लॉ की चर्चा में 6 नवंबर 2023 का दिन बड़ा ख़ास रहा। ‘टाइम्ड आउट’ का लॉ होने के बावजूद, इंटरनेशनल क्रिकेट में इस तरीके से अब तक कोई आउट नहीं हुआ था (या किया नहीं गया था)- आउट होने के हर तरीके से, इंटरनेशनल क्रिकेट में, किसी न किसी के आउट होने की लिस्ट अब पूरी हो गई है। यह हुआ दिल्ली में बांग्लादेश के विरुद्ध श्रीलंका के एंजेलो मैथ्यूज के टाइम आउट होने से।

25वें ओवर की दूसरी गेंद का खेल होना था। सदीरा समरविक्रमा का विकेट गिरा और मैथ्यूज नंबर 6 पर बल्लेबाजी करने आए लेकिन टाइम आउट हो गए यानि कि एक भी गेंद खेले बिना वापस लौटना पड़ा। मजे की बात ये है कि ये अनुभवी श्रीलंकाई ऑलराउंडर, शायद ये रिकॉर्ड बनाने के लिए ही टीम में सब्स्टीट्यूट के तौर पर देरी से आए थे।

घटनाक्रम की वीडियो में सब साफ़ है- पहले तो मैथ्यूज़ बड़े आराम से क्रीज तक आए और उनकी इस ‘सुस्ती’ को देखकर ही बड़ा अजीब लग रहा था। उसके बाद अपने हेलमेट को ठीक करने लग गए- इसी चक्कर में उसका स्ट्रैप टूट गया। नया हेलमेट मंगाया। स्पष्ट है इस सब में इस वर्ल्ड कप की प्लेइंग कंडीशन में लिखे, बल्लेबाज को 2 मिनट के अंदर अगली गेंद खेलने के लिए तैयार होना चाहिए, से ज्यादा समय लगा और शाकिब ने टाइम आउट की अपील कर दी। अंपायरों के पूछे जाने पर भी शाकिब ने अपील वापस नहीं ली- निराश मैथ्यूज की अंपायरों से बहस का कोई फायदा नहीं हुआ।

चौथे अंपायर एड्रियन होल्डस्टॉक ने पारी के ब्रेक के दौरान इस आउट के बारे में ऑफिशियल स्टेटमेंट भी दी और संबंधित लॉ के बारे में बताया। एमसीसी के कोड में जो समय 3 मिनट है- वह वर्ल्ड कप में 2 मिनट है। अंपायरों ने प्रोटोकॉल निभाया और टीवी अंपायर ने 2 मिनट गिने- उसके बाद ग्राउंड अंपायर को मेसेज मिला। सोशल मीडिया पर तो मानो तूफ़ान ही आ गया।  ऐसे में स्पिरिट ऑफ़ क्रिकेट का मुद्दा तो उठना ही था। ये भी ध्यान देने वाली बात है कि बल्लेबाज तो क्रीज पर था लेकिन गड़बड़ हुई इक्विपमेंट में- तो क्या इस टेक्निकल कमी के लिए बल्लेबाज को बेनिफिट नहीं दिया जा सकता था? होल्डस्टॉक ने साफ़ कहा कि बल्लेबाज को बैटिंग के लिए ग्राउंड में कदम रखने से पहले यह देखना चाहिए कि सब ठीक है।

लॉ में क्या लिखा है- ये वास्तव में तब पता चलता है जब कुछ हो जाता है। अगर शाकिब अपनी अपील वापस ले लेते तो शायद इस लॉ को समझने की जो तकलीफ अब की जा रही है, वह कोई न करता। ये किस्सा किसी भी कोचिंग एकेडमी में बल्लेबाज की ट्रेनिंग का आगे से एक ख़ास हिस्सा होगा। वर्ल्ड कप में खेल रहे ही कई बल्लेबाज ने दबी आवाज में माना कि उन्हें इस ‘2 मिनट’ के बारे में मालूम नहीं था। नोट कीजिए- बल्लेबाज को वास्तव में 2 मिनट के भीतर गेंद खेलने के लिए तैयार रहना है, न कि तैयारी करने या गार्ड लेने के लिए। इसलिए टेक्निकल तौर पर बल्लेबाज को 15-20 सेकंड के अंदर क्रीज पर पहुंच जाना चाहिए ताकि वास्तव में गेंद खेलने से पहले देख ले कि सब सही है।

अगर टाइम आउट का लॉ है तो जरूर कुछ सोचकर/किसी ख़ास घटना को देखकर ही ऐसा लॉ बनाया होगा। इंटरनेशनल क्रिकेट (पुरुष/महिला दोनों) में अब तक किसी बल्लेबाज को टाइम आउट नहीं किया गया था तो इसका मतलब ये नहीं कि कभी इसके लिए हालात नहीं बने। ध्यान रहे- लॉ में, इस संदर्भ में वजह को कोई महत्व नहीं दिया गया पर फील्डिंग टीम के कप्तान देरी को ‘स्पिरिट ऑफ क्रिकेट’ में ही लेते रहे।

एक बड़ा अच्छा किस्सा टीम इंडिया का ही है। 2007 में- सौरव गांगुली दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध एक टेस्ट में इस तरह से आउट दिए जा सकते थे क्योंकि वे तो वास्तव में 6 मिनट के बाद बाहर निकले थे। इसके बावजूद कप्तान ग्रीम स्मिथ ने अपील नहीं कि और इतिहास नहीं बना। असल में हुआ ये कि सचिन तेंदुलकर नंबर 4 थे और जब बैटिंग के लिए उनका नंबर आया तो टेक्निकल तौर पर वे अभी बैटिंग नहीं कर सकते थे- दक्षिण अफ्रीका की पारी के दौरान ग्राउंड से बाहर रहने के कारण। ऐसा हुआ तो क्या करेंगे- ये एडवांस में सोचना टीम मैनेजमेंट का काम था जो नहीं किया। नतीजा- जिस अगले बल्लेबाज को भी तेंदुलकर के साथ तैयार बैठना चाहिए था पर जब जरूरत आई तो वे वीवीएस लक्ष्मण शॉवर में थे। बैटिंग आर्डर में अगला नंबर सौरव गांगुली का था और वे तो अभी बैटिंग का सोच भी नहीं रहे थे। आनन-फानन में उन्हें बैटिंग के लिए सजाया गया और तब वे निकले- स्मिथ को तब तक देरी की वजह मालूम हो गई थी और उन्होंने अपील नहीं की।

ऑफिशियल क्रिकेट में टाइम आउट की जो मिसाल मौजूद हैं उन सभी में वजह बल्लेबाज का समय पर बैटिंग के लिए न पहुंचना है। इंटरनेशनल क्रिकेट में तो गांगुली से भी पहले ये रिकॉर्ड बन गया होता पर वहां भी वजह पर हमदर्दी दिखा दी कप्तान ने। बैटिंग के लिए तैयार डेविड स्टील ड्रेसिंग रूम से पवेलियन गेट तक का रास्ता भटक गए और बेसमेंट में पहुंच गए।

खैर मैथ्यूज के किस्से के कुछ और पहलू भी है जो आगे के लिए बड़ा अच्छा सबक हैं। एंजेलो मैथ्यूज अगर गड़बड़ हेलमेट के साथ एक गेंद खेल लेते और उसके बाद हेलमेट बदलते तो कोई उन्हें न रोकता। ऐसा सोचना आसान है- सच्चाई नहीं। जो फिलिप ह्यूज के साथ हुआ उसके लिए एक गेंद ही काफी थी। वैसे भी अब तो लॉ में ये भी लिखा है कि बल्लेबाज का हर इक्विपमेंट सही होना चाहिए- इसलिए अंपायर उन्हें टूटे हेलमेट से खेलने से रोक सकते थे।

शाकिब ने कुछ भी गलत नहीं किया। उनकी तो इस बात के लिए तारीफ होनी चाहिए कि वे सही लॉ जानते थे। और जहां तक स्पिरिट ऑफ़ क्रिकेट का सवाल है उसकी चर्चा एक अलग टॉपिक है पर एंजेलो मैथ्यूज को ये याद करना जरूरी है कि जब वह 2014 में कप्तान थे और जोस बटलर को सचित्रा सेनानायके को नॉन स्ट्राइकर सिरे पर क्रीज से आगे निकलने के लिए आउट किया तो उन्होंने भी अपील वापस नहीं ली थी और तब लॉ में ही खेलने की दुहाई दी थी। शाकिब ने जो किया वह क्रिकेट लॉ के दायरे में था। 

  • चरनपाल सिंह सोबती

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *