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राजकोट टेस्ट के दूसरे दिन के खेल की हर चर्चा, उस खबर के सामने पीछे रह गई जो उस दिन रात लगभग 11 बजे के आस-पास आई- रविचंद्रन अश्विन पारिवारिक मेडिकल इमरजेंसी की वजह से तीसरे टेस्ट में आगे नहीं खेलेंगे।

विराट कोहली सहित कई खिलाड़ी पहले से ही गंवा चुकी थी टीम इंडिया लेकिन यहां इस खबर का मतलब अलग था- अश्विन का टेस्ट के बीच टीम से हटना यानि कि टेस्ट में आगे के तीन दिन उस सीनियर के बिना खेलना होगा जो बैट और गेंद दोनों से टीम के खेल में योगदान दे सकता है। वे टेस्ट से क्यों हटे- बीसीसीआई की रिलीज में इसका कोई जिक्र नहीं था। यही बहुत है कि बीसीसीआई ने खबर लीक होने से पहले खुद बता दिया और उनके लिए पूरी सपोर्ट का वायदा करने के साथ-साथ, सभी से अपील की कि इस मुश्किल में अश्विन को पूरी ‘प्राइवेसी’ दें- मजे की बात ये कि इसके कुछ ही मिनट बाद बीसीसीआई के एक सीनियर वाईस-प्रेसीडेंट ने अपने ट्वीट में ‘प्राइवेसी’ की इस अपील की धज्जियां उड़ाकर ये बता दिया कि अश्विन की मां बीमार हैं।

टेस्ट का ये दिन वैसे भी चर्चा के नाम पर अश्विन का था- बल्लेबाजी (89 गेंद में 37 रन) के दौरान पिच के प्रोटेक्टेड हिस्से पर भागने के लिए 5 रन की पेनल्टी दी अंपायर जोएल विल्सन ने (जिसकी बदौलत इंग्लैंड ने अपनी पारी 5-0 के स्कोर से शुरू की जो वास्तव में एक समय बिना कोई मान्य गेंद खेले 6-0 था और ऐसा टेस्ट क्रिकेट में पहली बार हुआ) और बाद में, जैक क्रॉली को आउट कर टेस्ट क्रिकेट में 500 विकेट लेने वाले 9वें गेंदबाज और अनिल कुंबले के बाद दूसरे भारतीय बन गए।

अश्विन के टीम से बाहर होने के बाद जिस मुद्दे की सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा चर्चा हुई वह था अश्विन की जगह टीम में किसी दूसरे खिलाड़ी के खेलने का यानि कि ऐसा ‘उन्हीं की तरह का’ सब्स्टीट्यूट जो बैटिंग और गेंदबाजी भी करेगा। हैरानी है कि क्रिकेट लॉ इस बारे में स्पष्ट होने के बावजूद ऐसा सोचा भी गया। अश्विन की जगह सिर्फ फील्डिंग सब्स्टीट्यूट आ सकता था- वह भी अंपायर और दूसरी टीम के कप्तान बेन स्टोक्स की सहमति से। वही हुआ और तीसरे दिन देवदत्त पडिक्कल फील्डिंग सब्स्टीट्यूट थे। मौजूदा गाइड लाइन में बस इतनी रियायत जरूर है कि वे विकेटकीपिंग कर सकते हैं- वह भी अंपायर की इजाजत से। पडिक्कल पहले से टेस्ट की टीम में थे।

जिस प्लेइंग कंडीशन की गलतफहमी में ‘फुल टाइम’ सब्स्टीट्यूट के बारे में सोचा गया उसमें क्लॉज 1.2 में ये लिखा है कि कप्तान टॉस से पहले अंपायर को जब लिखित में खिलाड़ियों का नाम दे दें तो उसके बाद, अगर कोई बदलाव करना हो (वह भी खेल शुरू होने से पहले तक) तो दूसरे कप्तान की सहमति जरूरी है। अश्विन का केस एक सामान्य सब्स्टीट्यूट जैसा ही था, क्रिकेट लॉ की नजर में क्योंकि जो भी हुआ- टेस्ट शुरू होने के बाद हुआ। फुल टाइम सब्स्टीट्यूट सिर्फ कनकशन और कोविड के केस में आ सकते हैं।

दो मिसाल से ये सारी बात बिलकुल स्पष्ट हो जाएगी:

  • पहली- 2009 में एजबेस्टन में एशेज टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया की घोषित टीम में ब्रैड हैडिन थे पर वार्म-अप के दौरान उनकी उंगली टूट गई- ऐसे में टेस्ट शुरू होने से पहले टीम में ग्राहम मनौ (Graham Manou) आ गए- इंग्लिश कप्तान की इजाजत से।
  • दूसरी जो अश्विन के केस जैसी है- 1983 में, एंटीगा में वेस्टइंडीज-भारत 5वें टेस्ट के दौरान गॉर्डन ग्रीनिज को खबर मिली बेटी के बीमार होने की। वे जब बेटी की देखभाल के लिए घर लौटे तो बैटिंग कर रहे थे और 154* पर थे। तब भी ऐसा नहीं कि किसी और ने भी उनकी जगह बैटिंग की- वे रिटायर नॉट आउट रहे और उनके पास टेस्ट में वापस लौटने का पूरा विकल्प था। यही विकल्प बचे तीन दिन के लिए अश्विन के पास भी था।

ऐसी मिसाल भी हैं जब कप्तान ख़ास रियायत देते रहे हैं पर ऐसी नहीं कि फुल टाइम सब्स्टीट्यूट ही आ गया। अगर यहां बीसीसीआई की तरफ से ऐसी कोई कोशिश की जाती तो एक गलत सिलसिले की शुरुआत हो जाती। विशेष रियायत की एक बहुत अच्छी मिसाल- टाइटन कप 1996 (बैंगलोर) में ऑस्ट्रेलिया की बल्लेबाजी के दौरान विकेटकीपर इयान हीली को चोट लगी तो कप्तान तेंदुलकर ने पोंटिंग (सब्स्टीट्यूट) को विकेटकीपिंग की भी इजाजत दी।

आर अश्विन की गेंदबाजी की बात करें तो टेस्ट में 500 विकेट के जिस रिकॉर्ड का बड़ी बेसब्री से इंतजार था वह राजकोट में बना। नाथन लियोन  और अब अश्विन- इन दो ऑफ स्पिनर के कुछ ही दिन के अंदर 500 विकेट का रिकॉर्ड बनाने से, गायब हो रही ऑफ स्पिन को लाइफ लाइन मिली है।

500 टेस्ट विकेट क्लब में स्पिनर देखें तो मुथैया मुरलीधरन (133 टेस्ट, 800 विकेट), शेन वार्न (145,708), अनिल कुंबले (132, 619) और नाथन लियोन (127, 517) इस समय अश्विन से ऊपर हैं पर अश्विन ने तो अभी 100 टेस्ट (98,501) भी नहीं खेले। इस रिकॉर्ड में अश्विन के लिए 25714 एक ख़ास गिनती है- गेंद जो 500वां विकेट लेने तक फेंकी और ये स्पिनर के सबसे कम गेंद में 500 विकेट का रिकॉर्ड है (पेसर में भी सिर्फ ग्लेन मैक्ग्रा तेज)।

स्पिनर से तुलना में कुछ और रिकॉर्ड  :

  • सबसे कम टेस्ट में 500 विकेट के रिकॉर्ड में सिर्फ मुरलीधरन (87) उनसे तेज और इसी तरह पारी की गिनती में भी मुरलीधरन (144) तेज हैं (184- अश्विन)।
  • मुरलीधरन और नाथन लियोन के बाद 500 विकेट का रिकॉर्ड बनाने वाले अश्विन सिर्फ तीसरे ऑफ स्पिनर।

तुलना में ये नजरअंदाज नहीं कर सकते कि अश्विन बैटिंग में कैसे थे? इन 9 गेंदबाज में से अश्विन ने 5 शतक बनाए- बाकी सभी ने मिलकर 2। इन 9 में अश्विन अकेले  ऐसे हैं जिनके टेस्ट रिकॉर्ड में बल्लेबाजी का औसत गेंदबाजी से बेहतर है (26.67-23.93=+2.74) और टेस्ट में 3000+ रन और 500+ विकेट सिर्फ शेन वार्न (3154 और 708), स्टुअर्ट ब्रॉड (3662 एवं 604) और अश्विन (3308 और 501) के नाम।

हैरानी है कि तब भी अश्विन ने हमेशा खुद को एक ‘एक्सीडेंटल स्पिनर’ कहा। 

  • चरनपाल सिंह सोबती

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