fbpx

सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी का, आईपीएल ऑक्शन से पहले आयोजन ख़ास तौर पर इसलिए प्लान किया था ताकि आईपीएल टीम नई घरेलू टेलेंट को देख सकें। वर्ल्ड कप के दिनों में इसे खेलने का अन्यथा कोई मतलब नहीं था। इसका, इससे अच्छा सबूत और क्या होगा कि एक घरेलू नेशनल चैंपियनशिप का फाइनल और उस पर एक टीम पंजाब- तब भी मोहली का पीसीए स्टेडियम लगभग खाली पड़ा था। फिर भी कुछ ख़ास प्रदर्शन की बदौलत ये टूर्नामेंट, इस सीजन में चर्चा बटोरने में कामयाब रहा। रियान पराग के टूर्नामेंट में 7 स्कोर 50+ के स्कोर नया रिकॉर्ड थे तो पंजाब ने 4 नाकामयाब कोशिश के बाद इस टाइटल को पहली बार जीता। सबसे ख़ास बात है इस टीम का एक मैच विनर यूनिट के तौर पर खेलना न कि कुछ ख़ास प्रदर्शन वाली टीम बनकर खेलना जैसा कि युवराज और हरभजन के समय में होता था। बीसीसीआई ने बहरहाल अपनी परंपरा को निभाया और अपने ही, इस बड़े टी20 टूर्नामेंट में दिखाए प्रदर्शन को ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध टी20 सीरीज के लिए टीम चुनते हुए बिलकुल नजरअंदाज कर दिया।    

फाइनल क्रुणाल पांड्या की बड़ौदा के विरुद्ध और पंजाब ने मौके से प्रभावित हुए बिना क्रिकेट खेली। अनमोलप्रीत सिंह की पावर-हिटिंग (61 गेंद में 113, 58 गेंद में 100), नेहल वढेरा के  27 गेंद में 61, इन दोनों के बीच चौथे विकेट के लिए 138 रन की पार्टनरशिप और इसी से 223-4 का बड़ा स्कोर बनाया। पंजाब की पारी में- आखिरी 21 गेंद पर 9 छक्के और 3 चौके, आख़िरी 10 ओवर में 143 रन (पहले 10 ओवर में 80)। जवाब में, बड़ौदा  203-7 जिसमें खब्बू पेसर अर्शदीप (4/23- इससे पहले के मैचों में सिर्फ 6 विकेट लिए थे) ने उस समय रन रोके जब मैच हाथ से निकल रहा था।

संयोग से ये बड़ौदा और पंजाब दोनों के लिए पांचवां फाइनल था (रिकॉर्ड) तथा दोनों टीम आपस में इससे पहले  2011-12 का फाइनल खेली थीं- तब बड़ौदा ने अपने 2 टाइटल में से पहला पंजाब को हराकर जीता था। बड़ोदा ने 2020-21 के सेमीफाइनल में भी पंजाब को हराया था। इस बार टाइटल और 80 लाख रुपये का इनाम पंजाब के रहे। पंजाब के लिए वैसे भी ये टाइटल ख़ास है क्योंकि 1993 से टाइटल का जो सूखा चला आ रहा था वह ख़त्म हुआ- तब रणजी ट्रॉफी जीते थे। कुछ ख़ास ऐसे फैक्टर हैं जिन्होंने पंजाब की जीत में ख़ास भूमिका निभाई। देखिए –

  • कोच (आविष्कार साल्वी) की मेहनत और सच ये है कि वे टीम की रीढ़ की हड्डी बने और टीम की खेलने की कल्चर को बदला। वे सितंबर 2022 में चीफ कोच बने थे और उनके साथ उस सीज़न के सभी तीन घरेलू टूर्नामेंट के नॉकआउट में खेले। साल्वी के लिए भी यह उनकी पहली बीसीसीआई ट्रॉफी है पर उम्मीद है कि ये तो शुरुआत है।
  • पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन का अपनी टी20 लीग (शेर-ए-पंजाब टी20 कप) ऑफ-सीज़न में मोहाली में खेलना- खिलाड़ियों को टी-20 क्रिकेट की वह प्रेक्टिस मिली जो बड़े काम आई।   
  • रांची में आंध्र के विरुद्ध मैच में 275-6 रन का इस ट्रॉफी में रिकॉर्ड स्कोर (पिछला रिकॉर्ड : मुंबई, 2019, विरुद्ध सिक्किम- 258 रन) टीम के लिए टॉनिक बना- सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में सबसे बड़ा स्कोर, अभिषेक शर्मा- 9 चौकों और 9 छक्कों की मदद से 51 गेंद में 112 रन जिसमें 100 रन 42 गेंद में,  93 रन ओपनिंग पार्टनरशिप अभिषेक शर्मा और प्रभसिमरन सिंह (24) के बीच, अनमोलप्रीत सिंह 26 गेंद में 300 से ज्यादा के स्ट्राइक रेट से 87 रन जिसमें 6 चौके और 9 छक्के शामिल थे। पंजाब ने 105 रन से मैच जीत लिया।
  • ये किसी भी भारतीय टी20 टीम का भी सबसे बड़ा स्कोर है (पिछला रिकॉर्ड : रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर- 2013 में पुणे वॉरियर्स इंडिया के विरुद्ध  263 रन) और एक मैच में एक टीम के सबसे ज्यादा छक्के का भी नया रिकॉर्ड 22 छक्के के साथ (पिछला रिकॉर्ड : उसी आईपीएल मैच में आरसीबी के 21 छक्के)। 
  • पिछले चार सीज़न में, पंजाब ने सभी फॉर्मेट में 6 बार नॉकआउट खेले पर ये पहला फाइनल था।
  • कोच ने फिटनेस पर सबसे ज्यादा जोर दिया- जो यो-यो टेस्ट बेंचमार्क जो पिछले साल 16.1 था- इस बार बढ़ाकर 16.5 कर दिया है।
  • मनदीप सिंह को फिर से कप्तान बनाने का फैसला भी कोच का था। पंजाब ने जूनियर स्तर पर टाइटल जीते पर सीनियर में नहीं। इसी चुभन में मनदीप ने 2021 में कप्तानी से इस्तीफा दे दिया। कोच ने उन्हें फिर से कप्तान बनवाया।   
  • टीम के ज्यादातर खिलाड़ी पहले से आईपीएल टीमों का हिस्सा थे और जो 12 फाइनल खेले वे सभी आईपीएल क्रिकेटर थे। कई वहां नियमित नहीं खेल पा रहे थे पर शेर-ए-पंजाब टी20 कप ने टेलेंट दिखाने का मौका दिया। सनराइजर्स हैदराबाद- अभिषेक, अनमोलप्रीत, सनवीर, मयंक, मुंबई इंडियंस- नेहल, रमनदीप, पंजाब किंग्स- अर्शदीप, प्रभसिमरन, बलतेज, हरप्रीत, कोलकाता नाईट राइडर्स- मनदीप, आरसीबी- सिद्धार्थ।
  • साल्वी ने मोहाली में एक ऑफ-सीजन कैंप लगाया- पिछले कई सालों में कभी ऐसा कैंप नहीं लगा था और वहां खिलाड़ियों को अपने कम्फर्ट जोन से बाहर लाना सबसे बड़ी उपलब्धि था।
  • एसोसिएशन ने टीम को पूरा सपोर्ट किया- जो सुविधा मांगी- वह मिली। कोई सवाल नहीं पूछा।
  • टीम के 7 बल्लेबाज में से 5 का स्ट्राइक रेट 160+ था। टीम के तौर पर हर 10 गेंद पर एक छक्का और हर 4 गेंद पर एक चौका- दोनों टूर्नामेंट में रिकॉर्ड। कुल 114 छक्के (उनके बाद : असम 85)।पंजाब – पहली बार सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी चैंपियन 

टूर्नामेंट में पंजाब का सफर :

  • सौराष्ट्र- 37 रन से हार 
  • आंध्र- 105 रन से जीत  
  • रेलवे- 120 रन से जीत  
  • मणिपुर- 8 विकेट से जीत  
  • गुजरात- 36 रन से जीत  
  • गोवा- 56 रन से जीत  
  • अरुणाचल- 9 विकेट से जीत  
  • उत्तर प्रदेश- 5 विकेट से जीत  
  • दिल्ली- 6 विकेट से जीत  
  • बड़ौदा- 20 रन से जीत

टाइटल विजेता : 3 – तमिलनाडु, 2 – कर्नाटक, बड़ौदा, गुजरात, 1- महाराष्ट्र, दिल्ली, बंगाल, पूर्वी क्षेत्र, उत्तर प्रदेश, मुंबई, पंजाब

इस टूर्नामेंट की सबसे बड़ी निराशा पिछले सीजन के चैंपियन मुंबई रहे- हालत ये कि सलेक्शन कमेटी के चीफ राजू कुलकर्णी ने टीम के कुछ सीनियर के रवैये और प्रदर्शन पर ख़ास निराशा दिखाई। ये इशारा किसकी तरफ है ये अंदाजा लगाना कोई मुश्किल नहीं। टीम क्वार्टर फाइनल में बड़ौदा से हार के बाद टूर्नामेंट से बाहर हुई। कुलकर्णी ने साफ़ कहा- कुछ सीनियर उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। यहां तक कि सीनियर ने डिसिप्लिन भी नहीं दिखाया। 

  • चरनपाल सिंह सोबती

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *