नामीबिया पर सुपर 12 में जीत के साथ ही भारत के लिए टी 20 वर्ल्ड कप खत्म हो गया और साथ ही टी 20 इंटरनेशनल में विराट कोहली की कप्तान के तौर पर इनिंग्स। 50 टी 20 इंटरनेशनल में कप्तान और ये कोई मजाक रिकॉर्ड नहीं है। वे तो कप्तान के तौर पर टीम इंडिया की पहचान थे। आगे कप्तान नहीं होंगे पर उनके साथ कई पॉजिटिव जुड़े रहे जिन के लिए टी 20 इंटरनेशनल में कप्तान के तौर पर उनके दौर को हमेशा याद किया जाएगा।
ध्यान दीजिए- उन्हें हटाया नहीं गया, खुद कप्तानी छोड़ी। सुनील गावस्कर ने हमेशा कहा कि एक अच्छे कप्तान की सबसे बड़ी पहचान यह कि वह समझ ले कि उसकी कप्तानी की शेल्फ लाइफ क्या है? विराट कोहली के साथ, अब तक सेलेक्टर कम से कम कप्तान पर चर्चा से तो बचे रहे थे। ये सोच भी गलत है कि बोर्ड ने विराट को कप्तानी छोड़ने का कोई संकेत दिया। राहत तो मिलेगी टी 20 में कप्तानी छोड़ने पर – वे मानते हैं कि ये एहसास होने लगा था कि अब वर्कलोड को सही तरह से मैनेज करने का समय आ गया है। ठीक है कई नतीजे उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे, पर ये भी सच है कि उनके साथ टीम ने वास्तव में अच्छी क्रिकेट खेली।
कप्तान और कोच के बीच तालमेल या उनके एक सुर में सोचने की जब भी मिसाल देनी होगी तो रवि शास्त्री – विराट कोहली की मिसाल देंगे। सिर्फ मनपसंद खिलाड़ी नहीं मांगे, मनपसंद कोच भी माँगा। कोई तो बात थी, तभी तो बोर्ड ने इसे माना।
कप्तानी करियर का रिकॉर्ड : मैच – 50, जीत – 32 (2 सुपर ओवर जीत सहित), हार – 16, कोई नतीजा नहीं – 2 मैच। सिर्फ 6 खिलाड़ी उनसे ज्यादा मैच में कप्तान और इस दौरान भारत को एक टॉप टीम बनाया। महेंद्र सिंह धोनी के बाद दूसरे सबसे सफल भारतीय टी 20 इंटरनेशनल कप्तान (42 जीत)। वे मशीन की तरह से खेले और दुनिया के उन गिने चुने कप्तान में से एक जो तीनों तरह की क्रिकेट में कामयाब रहे। कुछ ख़ास उपलब्धियां :
- भले ही न्यूजीलैंड को उनके करियर की सबसे बड़ी रुकावट पर ये भी सच है कि न्यूजीलैंड में टी 20 इंटरनेशनल सीरीज वाले एकमात्र भारतीय कप्तान।
- टॉस न जीत पाना हाल के महीनों में बड़ी चर्चा में रहा पर सीरीज में सभी टॉस जीतने वाले एकमात्र भारतीय कप्तान- तीनों टॉस जीते जब भारत ने 2019 में अमेरिका और कैरिबियन टूर में टी 20 इंटरनेशनल में वेस्टइंडीज से मैच खेले।
- कप्तान के तौर पर 50 मैच में 1570 रन 47.58 औसत से- जिन कप्तान के नाम 500 रन हैं उनमें सबसे बेहतर औसत, हालांकि हाल के महीनों में वे अपनी सबसे बेहतर फार्म में नहीं थे। सबसे ज्यादा रन बनाने वाले कप्तानों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर।
विराट कोहली ऐसे कप्तान रहे जिसने दिखाया कि टी 20 जीतने के लिए टीम को अच्छे ऑलराउंड पेस और स्पिन आक्रमण की बराबर जरूरत है। टीम की संरचना पर उनकी अपनी सोच थी- कोई खुश है या नहीं, इसकी कभी चिंता नहीं की। मर्जी की टीम चुनी- जिन खिलाड़ियों पर विश्वास किया, उनका पूरा साथ दिया। टी 20 वर्ल्ड कप में हार्दिक पांड्या की मिसाल ही लीजिए- उनका खेलना सही था या गलत, इसकी चिंता नहीं की। इसीलिए टीम बदलने से कभी नहीं डरे- विराट कोहली ने कप्तान के तौर पर 50 मैच में 42 खिलाड़ी प्रयोग किए। इनमें से कोई भी 40 मैच नहीं खेला। चार सिर्फ एक- एक मैच खेले।
ऐसे कप्तान रहे जिसने आक्रामक रवैया नहीं छोड़ा- जीत मिले या न मिले। सभी ने कोहली के कप्तानी के साहसिक और तेज तर्रार ब्रैंड की कप्तानी की तारीफ़ की- इस माहौल से दूसरी टीम को झुकने के लिए मजबूर किया। किसी ने उनकी टीम इंडिया के विरुद्ध मैच को आसान नहीं समझा। अभी भी यही कह रहे हैं – जिस दिन ग्राउंड पर उनका आक्रामक नजरिया और जोश कम, क्रिकेट खेलना बंद कर देंगे।
एक साथ तीन तरह की क्रिकेट की टीमों की कप्तानी करना आसान नहीं- कोहली ने कभी इसे दबाव या बोझ नहीं समझा। कभी नहीं कहा कि कप्तानी उनकी क्रिकेट या जिंदगी खराब कर रही है। टीम की हार की जिम्मेदारी लेने से कभी नहीं डरे। कभी हार के लिए किस्मत को जिम्मेदार नहीं ठहराया। हालाँकि सभी जानते हैं कि किस्मत हमेशा उनके साथ नहीं रही।
सही ट्रेनिंग और बेहतर फिटनेस से कोई समझौता नहीं और खुद उसकी मिसाल बने। उनके साथ भारत टॉप फील्डिंग टीम बना।
आधुनिक भारत के क्रिकेट इतिहास में एक युग के अंत के तौर पर मौजूदा दौर को याद किया जाएगा- इसे एक संयोग ही कहेंगे कि अगर टी 20 इंटरनेशनल में कप्तान के तौर पर वे रिटायर तो कोच रवि शास्त्री के साथ पार्टनरशिप भी ख़त्म।
- चरनपाल सिंह सोबती