क्या आप को आईपीएल के ये किस्से याद हैं :
- 2019 में, चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान एमएस धोनी, राजस्थान रॉयल्स के विरुद्ध मैच में, बेन स्टोक्स की एक ऊंची फुल टॉस को नॉन बॉल न देने पर, गुस्से में डगआउट से ग्राउंड में आ गए थे। हुआ ये था कि पहले तो अंपायर उल्हास गांधे ने गेंद ऊंची होने के लिए नो-बॉल का इशारा कर दिया पर जब स्क्वायर-लेग सहयोगी ब्रूस ऑक्सेनफोर्ड ने उन्हें इस फैसले को ओवर रूल करने के लिए कहा तो पहले तो बल्लेबाजों रवींद्र जडेजा और मिचेल सैंटनर ने बहस की और बाद में धोनी भी बहस में शामिल हो गए।
- एक मैच में, तेज गेंदबाज प्रसिद्ध कृष्णा ने एक वाइड फेंकी पर, उस पर, उनके राजस्थान रॉयल्स के कप्तान संजू सैमसन ने स्टंप्स के पीछे कैच का रिव्यू मांग लिया क्योंकि उन्हें लगा कि यह सही गेंद थी- वाइड नहीं।
- 2022 में रॉयल्स के एक और मैच में आखिरी ओवर- रोवमैन पॉवेल ने ओबेड मैककॉय की एक फुल टॉस पर 6 का शॉट लगाया पर जब अंपायरों ने कमर-ऊंची नो-बॉल का इशारा नहीं किया तो पहले तो दोनों बल्लेबाजों ने इस पर बहस की और उसे देखकर दिल्ली कैपिटल्स के कप्तान ऋषभ पंत ने गुस्से में असिस्टेंट कोच प्रवीण आमरे को ऑन-फील्ड अंपायरों के साथ बात करने ग्राउंड में भेज दिया।
- इसी तरह, पाकिस्तान के विरुद्ध 2022 के टी20 विश्व कप मैच में विराट कोहली ने जिस हाई फुल टॉस का सामना उसे अंपायर ने नो-बॉल दे दिया और ये मानने वालों की कमी नहीं कि इसी से ये मैच पलटा।
क्या ये सभी मिसाल, ये बताने के लिए कम हैं कि डिलीवरी सही है या नहीं इस पर भी बहस है और नाजुक स्थिति में तो इससे मैच का मिजाज ही बदल जाएगा। तब भी, टीम कुछ नहीं कर सकती थीं क्योंकि डिलीवरी के मुद्दे पर, ऑन-फील्ड अंपायर के फैसले पर रिव्यू लेने का कोई विकल्प नहीं था। ऐसा रिव्यू डीआरएस के दायरे में नहीं आता।
इसके उलट, मौजूदा डब्ल्यूपीएल के पहले ही मैच में, साइका इशाक की मोनिका पटेल को एक गेंद लेग साइड की तरफ थी और ग्राउंड अंपायर ने वाइड का इशारा कर दिया। मुंबई की कप्तान हरमनप्रीत ने गुजरात की पारी के 13वें ओवर की इस आखिरी गेंद पर वाइड कॉल को चुनौती दी और रिव्यू का इशारा किया तो लगा वे गलत हैं। कमेंटेटर भी नहीं जानते थे पर सच ये है कि डब्ल्यूपीएल प्लेइंग कंडीशन में लिखा है कि टीम, डीआरएस में न सिर्फ वाइड, ऊंचाई के लिए नो बाल का भी रिव्यू मांग सकती हैं।
इस तरह से रिव्यू का दायरा बढ़ गया पर गिनती में कोई बदलाव नहीं- अब भी दो नाकामयाब रिव्यू ले सकते हैं। अब ‘आउट’ या ‘नॉट आउट’ कॉल के साथ-साथ वाइड और नो-बॉल के लिए भी रिव्यू मांग सकते हैं। ये एक नई शुरुआत है जो आईपीएल में भी लागू रहेगी।
- जब हरमन के रिव्यू पर रिप्ले देखा तो पता चला कि गेंद वास्तव में कीपर के पास जाने से पहले बल्लेबाज के ग्लव्स से टकराई थी यानि कि वाइड नहीं थी।
- उसके बाद पहले डबल हैडर के, पहले मैच में, दिल्ली कैपिटल्स की बल्लेबाज जेमिमा रोड्रिग्स ने मेगन शुट्ट की एक फुल टॉस पर बाउंड्री शॉट लगाया पर जब देखा कि ऑन-फील्ड अंपायरों ने ऊंचाई के लिए, इस गेंद को नो-बॉल नहीं दिया है तो रिव्यू मांग लिया। रिप्ले और बॉल-ट्रैकिंग से पता चला कि गेंद, बल्लेबाज के लिए इतनी ऊंची नहीं थी कि ऊंचाई के लिए नो बॉल दे दें।
- डबल हेडर के दूसरे मैच में, जब यूपी को 3 गेंद में 6 रन की जरूरत थी तो एक डॉट बॉल निकल गई। ग्रेस हैरिस ने इस पर रिव्यू मांगा और गेंद वाइड के फैसले में बदल गई। इसने, जीत का समीकरण और आसान कर दिया। तब भी विवाद चल रहा है क्योंकि हैरिस गेंद खेलने की कोशिश में क्रीज में ऑफ साइड की ओर चली गई थी और लगता है टीवी अंपायर ने इस मुद्दे को नजरअंदाज कर दिया। गुजरात जायंट्स का तो मानना है कि ये ‘टर्निंग पॉइंट’ था।
इसका मतलब ये है कि ये सोचना गलत होगा कि इस रिव्यू के विकल्प की बदौलत, ऐसे हर विवाद खत्म हो जाएंगे पर बीसीसीआई ने जो नई शुरुआत की है उसका सही असर दिखाई दे रहा है और बहुत संभव है कि यही प्रयोग, ऐसे रिव्यू को इंटरनेशनल क्रिकेट में भी शामिल करने की वजह बनें
पिछले साल आईपीएल के दौरान भी, बार-बार विवाद देख कर, वाइड और नो बाल को डीआरएस के दायरे में लाने का मसला चर्चा में आया था पर आईसीसी एलीट पैनल के भूतपूर्व अंपायर साइमन टॉफेल का नजरिया था कि टी20 में वाइड और ऊंचाई वाली नो-बॉल को रिव्यू में शामिल करना गलत होगा। बहरहाल, हाल के किस्सों को ध्यान में रखते हुए, मौजूदा डब्ल्यूपीएल और 2023 आईपीएल के साथ, बीसीसीआई ने टीमों को डीआरएस में ऊंचाई के लिए नो-बॉल और वाइड के रिव्यू का विकल्प दे दिया। बोर्ड की कोशिश है अंपायरिंग गलती कम हों जो करीबी मुकाबले वाले टूर्नामेंट में महंगी साबित हो सकती है। बात सिर्फ एक नो बाल की नहीं है- अगली गेंद पर फ्री-हिट मिल जाता है जिस पर बल्लेबाज को रन आउट के अलावा किसी भी तरह से आउट नहीं किया जा सकता। तो ये बड़ा महंगा सौदा बन जाता है। ये सुविधा एक सीमा तक ही है क्योंकि सिर्फ दो गलत रिव्यू मिलते हैं।
- चरनपाल सिंह सोबती