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 भारत में टी20 लीग की टीम बनाने की बदलती कीमत का अंदाजा लगाइए- 2008 में, मुंबई इंडियंस टीम बनी 446 करोड़ रुपये में और उस समय भारत में टीम बनाने के लिए अनसुनी थी ये रकम, 2022 में लखनऊ सुपर जायंट टीम बनी 7,090 करोड़ रुपये में और अब 5 डब्ल्यूपीएल टीमों के फ्रैंचाइजी अधिकार 4,669.99 करोड़ रुपये में बेच दिए।

अडानी स्पोर्ट्सलाइन ने सबसे महंगी अहमदाबाद टीम बनाई 1,289 करोड़ रुपये में। अगली तीन सबसे बड़ी टीम, मौजूदा आईपीएल फ्रेंचाइजी की हैं- मुंबई इंडियंस (912 करोड़ रुपये), रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (901 करोड़ रुपये) और दिल्ली कैपिटल्स (810 करोड़ रुपये) तथा हर एक ने अपने आईपीएल टीम वाले शहर को चुना ताकि जो मौजूदा बेस है, उसी का फायदा उठा लें जिससे खर्चा बचेगा। पांचवीं टीम- कैप्री ग्लोबल ने बनाई लखनऊ फ्रेंचाइजी 757 करोड़ रुपये में। ये सभी रकम 10 साल के लिए हैं।

ये महज क्रिकेट नहीं, व्यापार भी है। आईपीएल में कई टीमें 10 साल से पहले ही मुनाफे में आ गई थीं- क्या डब्ल्यूपीएल टीमें ऐसा कर पाएंगी? डब्ल्यूपीएल महिला क्रिकेट में एक क्रांति की शुरुआत तो है पर सबसे बड़ा सवाल ये है कि टीम खरीदने वाले अपना पैसा कैसे और कब वसूल कर पाएंगे? 
बीसीसीआई को मुश्किल के बारे में मालूम है और इसीलिए, इन नए फ्रेंचाइजी के साथ नई शर्तों का कॉन्ट्रैक्ट किया- इसमें सबसे ख़ास है पहले 5 साल के लिए रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल 20:80 (आईपीएल में ये 50:50)। दूसरी तरफ,ये बात खटकती है क़ि मार्च की डब्ल्यूपीएल विंडो निकाल कर सीधे ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध सीरीज से टकरा दिया डब्ल्यूपीएल को। इस टकराव से डब्ल्यूपीएल रेटिंग प्रभावित होगी।

ठीक है, गिनती में, अभी भी पुरुष क्रिकेट के बराबर नहीं- तब भी, एक भी गेंद फेंके जाने से पहले ही, डब्ल्यूपीएल ने बीसीसीआई को 5,620 करोड़ रुपये की कमाई करा दी। ब्रॉडकास्ट अधिकार वायाकॉम 18 ने 951 करोड़ रुपये में खरीद कर शुरुआत की और उसके बाद टीमें बनीं। हर साल का, टीम का, गणित देखिए:

कमाई हर साल 
बीसीसीआई से मिलेंगे पहले 5 साल के लिए रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल 20:80 के हिसाब से : लगभग 30 करोड़ रुपये। इसकी गणना ये है-जियो ने 5 साल के लिए मीडिया अधिकार खरीदे : 951 करोड़ रुपये में इसमें से बीसीसीआई को हर साल मिले : लगभग 190 करोड़ रुपये इस 190 करोड़ का 80 प्रतिशत हिस्सा : 152 करोड़ तो एक टीम का एक साल में हिस्सा : लगभग 30 करोड़ रुपये बीसीसीआई के स्पांसर (जैसे टाइटल स्पांसर टाटा, अन्य स्पांसर जिनके साथ अब तक कॉन्ट्रैक्ट हो चुका है जैसे अमुल, ड्रीम इलेवन एवं सिएट आदि) के पैसे में हिस्सा : एक अनुमान के अनुसार 15-18 करोड़ रुपये इसके ऊपर की कमाई टीम मालिक अपने स्पांसर से करेंगे। जब डब्ल्यूपीएल, उनके अपने शहर और स्टेडियम चली जाएगी तो गेट मनी  और ग्राउंड में विज्ञापन से भी कमाई आएगी

खर्चा हर साल 
टीम की कीमत : टीम की कुल कीमत का 10 प्रतिशत 
टीम के लिए सालाना सैलरी : अधिकतम 12 करोड़ रुपये 
इसमें अन्य स्टाफ का खर्चा 6 से 8 करोड़ रुपये मानकर कुल खर्चा 20 करोड़ रुपये ले सकते हैं होटल का खर्च, स्टेडियम के लिए मेजबान क्रिकेट एसोसिएशन को दी फीस और अन्य लागत जोड़ें तो ये 6 से 8 करोड़ रुपये के बीच कुछ भी हो सकती है। इस तरह प्रति साल खर्च 128 से 130 करोड़ रुपये बना।

बीसीसीआई ने टीम मालिकों को एक तोहफा भी दिया है- डब्ल्यूपीएल के पहले सीजन में ये देखते हुए कि टीम अपने-अपने शहर में मैच आयोजित नहीं कर रहीं। बीसीसीआई, पहले सीजन का मैचों के आयोजन (मैच आयोजित करने वाले ग्राउंड की फीस और अन्य इंतजाम) कर रहे हैं और टीम मालिकों को सिर्फ अपनी-अपनी टीम का इंतजाम करना है। इससे टीम का खर्चा बचा।

ये कमाई और खर्चा देखते हुए, यही कहेंगे कि ये एक ऐसा इन्वेस्टमेंट है जहां मालिक एक विकासशील ब्रैंड का हिस्सा बन रहे हैं। ये भी राहत है कि कोविड का डर लगभग खत्म है और दर्शक स्टेडियम आ रहे हैं। तब भी, लगभग 50 करोड़ रुपये की कमाई से खर्चे की तुलना करें तो हिसाब नुकसान का है। उम्मीद है आईपीएल टीम वाले मालिक सबसे पहले मुनाफे में आएंगे क्योंकि मौजूदा टीम के लिए एडमिनिस्ट्रेशन स्टाफ ही डब्ल्यूपीएल टीम भी चला देगा।

अगर आईपीएल को देखें तो उसमें सीज़न 1 में हर टीम की स्पांसरशिप कमाई औसतन 30-45 करोड़ रुपये थी जो इनफ्लेशन को नजरअंदाज कर दें ,तब भी डब्ल्यूपीएल से ज्यादा है  लेकिन ये कैसे भूल जाएं कि 2008 में, पुरुषों का क्रिकेट पहले से ही बहुत लोकप्रिय था और भारत सबसे बड़े दर्शकों के साथ, सबसे बड़ा क्रिकेट बाजार था। इसलिए वास्तव में  डब्ल्यूपीएल में जो पैसा आ रहा है- वह भी कम नहीं।  
जानकार ये मान कर चल रहे हैं कि मीडिया अधिकार की बिक्री के दूसरे राउंड से डब्ल्यूपीएल फ्रेंचाइजी का मुनाफा आएगा। आईपीएल के पहले 5 सीजन में सिर्फ एक-दो टीमों ने पैसा कमाया था। 2018 के मीडिया राइट्स के बाद सभी ने मुनाफा दर्ज करना शुरू कर दिया और बहुत जल्दी पिछला घाटा भी बराबर हो गया।

उम्मीद ये करें कि जैसे आईपीएल में स्पांसरशिप कमाई हर साल बढ़ रही है (एक मिसाल : आईपीएल में 2008 में टाइटल स्पॉन्सरशिप वैल्यू 200 करोड़ रुपए थी जो बढ़कर 440 करोड़ रुपए हो गई और इसी तरह से मीडिया अधिकार 48,390 करोड़ रुपये पर पहुंच गए) वैसा ही डब्ल्यूपीएल में होगा। इस साल, गेट मनी जीरो है (सभी मैच मुंबई में और बोर्ड के) पर अगले साल से होम एंड अवे फॉर्मेट से टिकटिंग और मर्चेंडाइजिंग रेवेन्यू आएगा। साथ में, ये कैसे भूल जाएं कि जब एक बार ब्रैंड बन जाए तो कई अलग-अलग जरिए से भी पैसा आने लगता है।बस जरूरत ये है कि डब्ल्यूपीएल फ्रेंचाइजी 2023 से शुरू हुए पहले राउंड के 2027 में खत्म होने तक हौसला रखें। 

  • चरनपाल सिंह सोबती

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