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भारत ने 2023 महिला अंडर 19 टी20 विश्व कप जीत लिया- पोटचेफ्सट्रूम में इंग्लैंड पर 7 विकेट से जीत के साथ। शफाली वर्मा की टीम ने भारतीय क्रिकेट के लिए, पहले महिला विश्व टाइटल के दर्द वाले इंतजार को खत्म कर दिया यानि कि 19 साल की शफाली वर्मा, अपने देश को क्रिकेट विश्व कप में जीत दिलाने वाली इतिहास की पहली महिला बनीं।

इस फाइनल से पहले, भारत बड़े इवेंट फाइनल में नंबर 2 ही रहा था- 2005 से तीन विश्व कप फाइनल (2 वनडे और 1 टी20) और साथ में कॉमनवेल्थ गेम्स भी। कहानी इतनी निराशाजनक हो गई थी कि अब यूं लग रहा है मानो कोई अभिशाप खत्म हुआ। ये कितनी खास बात है, वह सीनियर टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर की स्टेटमेंट से पता चल जाता है- ‘अंडर19 टीम की जीत एक प्रेरणा है। कोई भी विश्व टाइटल जीतना बहुत बड़ी बात है … मुझे उम्मीद है कि हम सीनियर इवेंट में इसे दोहरा पाएंगे।’

क्या टूर्नामेंट से पहले इस अंडर 19 टीम की जीत के बारे में सोचा गया था? टीम में दो सुपरस्टार थे लेकिन यह कहना सही होगा कि टाइटल जीता नई खिलाड़ियों की बदौलत। जैसे 1983 में वर्ल्ड कप जीत की झलक कुछ ही दिन पहले बर्बीस वनडे में मिल गई थी (जिसे किसी ने पहचाना नहीं था), वही इस बार भी हुआ। पिछले दिसंबर में मुंबई में न्यूजीलैंड डेवलपमेंट टीम को 5  टी20 की सीरीज में 5-0 से हराया- भारत अंडर 19 महिला टीम की, दो टीम वाली पहली इंटरनेशनल सीरीज। तब कप्तान थी श्वेता सहरावत और नोट करने वाली बात थी टीम की एक-दूसरे के साथ मिलकर खेलने की खुशी। उस सीरीज का प्रदर्शन ही विश्व कप की टीम चुनने का आधार बना।

लगभग दो महीने बाद, टीम ने पहला अंडर 19 महिला टी20 विश्व कप जीतकर इतिहास रचा- ऐसी कामयाबी जिसे ऐतिहासिक कहना गलत नहीं होगा क्योंकि भारतीय महिला क्रिकेट के लिए पहली आईसीसी ट्रॉफी और इसे पूरी टीम के प्रदर्शन के आधार पर हासिल किया। टूर्नामेंट में 7 मैच में 6 जीत और हर जीत में अलग-अलग खिलाड़ी ख़ास।

भारत को अगर विश्व कप में फेवरिट में से एक माना था तो इसकी एक बहुत बड़ी वजह थी सीनियर टीम की इंटरनेशनल स्टार शफाली वर्मा और ऋचा घोष की टीम में मौजूदगी। तब भी, ख़ास बात ये कि भारत ने सिर्फ इन दो की बदौलत नहीं, पूरी टीम की कोशिश से टाइटल जीता। शफाली वर्मा ने भी फाइनल के बाद कहा- ‘मैं सही शब्दों को नहीं कह सकती, लेकिन पूरी टीम को धन्यवाद- जिस तरह से मिल कर खेले और एक-दूसरे को सपोर्ट किया, वह अद्भुत था। मैं इस बैच को हमेशा मिस करूंगी।’

शफाली वर्मा और ऋचा घोष ने अपनी भूमिका निभाई पर वे नई लड़कियों को चमकने से रोक नहीं सकीं। ये कहना भी सही होगा कि अगर कल के नजरिए से देखें तो शफाली और ऋचा दोनों ही वैसा नहीं खेलीं जिससे यह लगता कि उनके पास सीनियर इंटरनेशनल क्रिकेट का अनुभव है। सहरावत (न्यूजीलैंड के विरुद्ध सीरीज में कप्तान) इस बार उप-कप्तान थीं और टीम की चट्टान की तरह बैटिंग की- टूर्नामेंट में टॉप स्कोरर। डब्ल्यूपीएल के नीलाम में उन्हें इसका फायदा जरूर मिलेगा। इसी तरह से जी त्रिशा और सौम्या तिवारी (न्यूजीलैंड सीरीज में टॉप स्कोरर) ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।

गेंदबाजी में अटैक ने सभी को हैरान किया : लेग स्पिनर पार्शवी चोपड़ा- भारत की सबसे ज्यादा विकेट लेने वाली खिलाड़ी, मन्नत कश्यप- नई गेंद से फेवरिट गेंदबाज, सोनम यादव- खब्बू स्पिनर, ऑफ स्पिनर- अर्चना देवी और अंत में तीतास साधु- दाएं हाथ की तेज गेंदबाज। शफाली ने कहा- ‘हर दिन सपोर्ट स्टाफ ने हमारा समर्थन किया, हमें याद दिलाया कि हम यहां सिर्फ जीतने आए हैं।’

आखिर में कोच नूशिन अल खदीर का जिक्र जरूरी। 2005 में सेंचुरियन में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध महिला वनडे विश्व कप फाइनल में जो टीम हारी थी वे उसमें थीं और 17 साल के बाद खुद को भारतीय महिला घरेलू सर्किट पर सबसे चतुर और सफल कोच  में से एक साबित कर दिया।  
इस टीम के लिए आगे क्या है? जीतना एक आदत है। इस टीम में से कुछ अभी ही, सीनियर भारतीय टीम के लिए खेल सकती हैं। अंडर 19 विश्व कप में मिला अनुभव, उनके काम आएगा। 

  • चरनपाल सिंह सोबती

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