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तो वर्ल्ड कप 2023 में सेमी फाइनल खेलने वाली टीम का नाम ऑफिशियल तौर पर 11 नवंबर को तय हो गया। एक नाम भारत का और वे जिस तरह से एक के बाद एक मैच जीत रहे थे- उससे तो उनका खेलना बहुत पहले ही तय हो गया था। 2023 वर्ल्ड कप में भारत का शानदार प्रदर्शन- लीग में टॉप टीम,18 पॉइंट जबकि और किसी ने 14 की गिनती को भी पार नहीं किया, लगातार 9 मैच जीते जिनमें से ज्यादातर एकतरफा। तो ऐसे में अगर क्रिकेट प्रेमियों ने वर्ल्ड कप चैंपियन की तरह सोचना शुरू कर दिया है तो क्या गलत है?

ये वर्ल्ड कप है- दुनिया की टॉप टीम के बीच मुकाबला वनडे के इस सबसे बड़े गौरव को हासिल करने के लिए। इस पूरे वर्ल्ड कप के दौरान जो एक मुद्दा लगातार चर्चा में रहा- वह है इसका फॉर्मेट। ये मानने वालों की कमी नहीं कि 9 मैच जैसा लंबा लीग राउंड रखने की सबसे बड़ी वजह है टॉप टीमों को पूरा मौका देना कि वे किसी भी उलटफेर को ‘शॉकर’ की तरह सहन कर लें और आगे बढ़ें। कितना अजीब लगता है कि 9 में से 4 मैच हारने वाली न्यूजीलैंड टीम सेमीफाइनल खेल रही है और वे चैंपियन भी बन सकते हैं। ज़रा सोचिए कि अगर ऐसा हुआ तो टीम इंडिया को कैसा लगेगा? इतना लंबा लीग राउंड होने की वजह से ही जब 45 मैच की लीग में 37 मैच खेले गए तब सेमीफाइनल की पहली टीम का नाम तय हुआ।

भारत की जीत का रिकॉर्ड 

पहले 5 मैच – लक्ष्य का पीछा करते हुए जीत

  • 52 गेंद बची और 6 विकेट से जीत- विरुद्ध ऑस्ट्रेलिया
  • 90 गेंद बची और  8 विकेट से जीत- विरुद्ध अफगानिस्तान
  • 117 गेंद  बची और 7 विकेट से जीत- विरुद्ध पाकिस्तान
  • 51 गेंद बची और 7 विकेट से जीत- विरुद्ध बांग्लादेश
  • 12 गेंद  बची और 4 विकेट से जीत- विरुद्ध न्यूजीलैंड

अगले 4 मैच – पहले बल्लेबाजी

  • 100 रन से जीत- इंग्लैंड 129 पर आउट
  • 302 रन से जीत- श्रीलंका 55 पर आउट
  • 243 रन से जीत- दक्षिण अफ्रीका
  • 83 पर आउट 160 रन से जीत- नीदरलैंड 250 पर आउट

इसे कमाल का या अद्भुत प्रभुत्व नहीं कहेंगे तो और क्या कहेंगे? बस यही प्रभुत्व/उम्मीद सबसे बड़ा ख़तरा है- अब टीम इंडिया को एक भी खराब मैच खेलने की इजाजत नहीं है। दो मैच ही तो और जीतने हैं। यही उम्मीद लीग राउंड की सबसे मजबूत टीम को उतना ही कमजोर बना देती और बाकी टीम के बराबर ले आती है। अब चारों टीम बराबर- हर एक को दो ही मैच जीतने हैं चैंपियन बनने के लिए। लीग राउंड में जो खेले सब पीछे रह गया- 9 मैच जीतने वाली टीम इंडिया और 5 मैच जीतने वाली न्यूजीलैंड अब बराबर फुटिंग पर हैं।

जब इस वर्ल्ड का का इतिहास लिखेंगे तो लीग राउंड की चर्चा जरूर होगी पर स्टोरी उस टीम से बनेगी जिसके पास कप होगा- जो अब दो मैच जीतेगा वह ‘ग्रेट’ टीम कहलाएगा। अभी कोई भी, टीम इंडिया की क्रिकेट में कोई कमी नहीं बता रहा- कुछ गलत हुआ तो कमियां बताने की लंबी लिस्ट सामने आ जाएगी। तब कोई लीग राउंड में अच्छा खेलने का जश्न नहीं मनाएगा। छोटा सा नॉकआउट राउंड और यहां कोई दूसरा चांस नहीं।

अब देखिए कि डर की वजह क्या है? पिछले कुछ साल से ग्लोबल टूर्नामेंट में भारत का रिकॉर्ड अच्छा नहीं है-

  • 2015 और 2019 वर्ल्ड कप के साथ-साथ 2017 चैंपियंस ट्रॉफी में भी अपने ग्रुप में टॉप थे लेकिन इनमें से किसी ट्रॉफी को नहीं जीत सके।
  • 2019-21 और 2021-23 वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल भी हारे।
  • 2016 और 2022 टी20 वर्ल्ड कप में सेमीफाइनल हारे।

इन सभी में भारत एक टॉप टीम की तरह खेला पर नॉकआउट जीतने की किलर इंस्टिंक्ट नदारद रही। ये तो ठीक है पर इससे नॉकआउट मैचों को खेलने के तरीके पर भी सवाल उठता है- एक बुरा दिन और उसमें भी हो सकता है कुछ ही मिनट गलती की हो और पूरे टूर्नामेंट की शानदार क्रिकेट बेकार- क्या ये सही है? इसीलिए एक नई सोच ये है कि नॉकआउट राउंड की संरचना बदलो। तो क्या हो नई संरचना?

1930 के दशक में ऑस्ट्रेलियाई फुटबॉल में जो सिस्टम इस्तेमाल हुआ उसे आईपीएल ने 2011 में क्रिकेट में लागू कर दिया। उसके बाद और कई लीग में भी ऐसा हो रहा है और इसकी सबसे बड़ी खासियत है- टॉप 2 टीम को एक और मौका- भले ही अपना पहला प्लेऑफ़ मैच हार गए हों। ज्यादा पीछे नहीं जाते और आईपीएल 2023 को ही देखिए- ग्रुप राउंड की टॉप 4 टीम क्रमशः गुजरात टाइटंस (20 पॉइंट्स), चेन्नई सुपर किंग्स (17), लखनऊ सुपर जाइंट्स (17) और मुंबई इंडियंस (16) क्वालीफायर 1 : चेन्नई सुपर किंग्स ने गुजरात टाइटंस को हराया एलिमिनेटर : मुंबई इंडियंस ने लखनऊ सुपर जाइंट्स को हराया क्वालीफायर 2 : गुजरात टाइटंस को एक और मौका मिला और उसमें मुंबई इंडियंस को हराया फाइनल : चेन्नई सुपर किंग्स ने गुजरात टाइटंस को हराया

अब इसी सोच का दूसरा पहलू देखते हैं। ये कोई भाग्य का खेल नहीं है। ये वर्ल्ड कप है- क्रिकेट का सबसे बड़ा टूर्नामेंट। जीतने के लिए सिर्फ स्किल नहीं, साहस/हिम्मत भी चाहिए। ये गुण है तो नॉक आउट भी जीतो। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि लीग में कैसा खेले- अगर आप में नॉकआउट के दबाव से निपटने की हिम्मत नहीं तो आप अच्छी टीम नहीं हैं।

द हंड्रेड ने सिस्टम को एक दिलचस्प मोड़ दिया- नंबर 2 और 3 ने एक सेमीफाइनल खेला। इसमें लीग राउंड की नंबर 1 टीम को कोई और लाइफ तो नहीं दी पर सीधे फाइनल खिला दिया।पारंपरिक सेमीफाइनल और फाइनल संरचना में, हर टीम बराबर- ग्रैंड स्लैम टेनिस के हर राउंड की तरह।

जिस संरचना पर ये वर्ल्ड कप खेले- उसकी सबसे बड़ी कमी ये है कि मैच की गिनती बहुत ज्यादा हो जाती है। अब देखिए- 2024 टी20 वर्ल्ड कप में 20 टीम ने खेलना है और वहां यही संरचना रखें तो राउंड-रॉबिन लीग में 190 मैच बन जाएंगे। दो ग्रुप बनाएं तो भी गिनती 90 रहेगी। यदि नॉक आउट हटा दें और सीधे एक ग्रुप बनाकर खेलें जैसे इंग्लैंड में काउंटी चैंपियनशिप जहां आखिर में सबसे ज्यादा पॉइंट वाली टीम विजेता और उसे इस वर्ल्ड कप पर लागू करते तो सबसे बड़ी कमी है- यदि एक टीम काफी बेहतर है (जैसे इस बार भारत) तो टूर्नामेंट में कई मैच बचे होने पर ही चैंपियन तय हो जाएगा और सारा रोमांच खत्म। एक और सिस्टम 1980 और 2000 के दशक के बीच ऑस्ट्रेलियाई समर में खेले ट्रायंगुलर रहे- उन्होंने फाइनल को ‘बेस्ट ऑफ थ्री’ बना दिया। जब भारत, वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में हारा, तब भी तो यही मांग हुई थी कि कम से कम 3 टेस्ट की सीरीज तो खेलते।

नॉक आउट में क्या होगा इसकी भविष्यवाणी कोई नहीं कर सकता। टीम इंडिया ने लगातार 9 मैच में सबसे बेहतरीन वनडे क्रिकेट खेला है। 1983 और 2011 में भी अच्छी टीम थी पर इतने प्रभावशाली अंदाज में नहीं खेले थे कि मैच एकतरफा बना दिए हों। इसलिए इस बार नॉकआउट चिंता में डाल रहे हैं।

वर्ल्ड कप जैसे बड़े टूर्नामेंट की संरचना/प्रोग्राम में कैसा गेम चलता है- इसे समझना आसान नहीं। कहते तो हैं कि एक ग्रुप फॉर्मेट में हर टीम बराबर पर ध्यान दीजिए कि जैसे-जैसे मैच की गिनती बढ़ती जाती है- चर्चा में पॉइंट्स के साथ नेट रन रेट भी आ जाता है। टीम ये हिसाब लगाने लगती हैं कि किसी और से पॉइंट बराबर हुए तो नेट रन रेट में आगे निकलने के लिए कितने रन से (कितने ओवर में) जीतना जरूरी है। इसके लिए जरूरी है मैच ऐसी टीम के साथ हो जिसके विरुद्ध आप ऐसा कर सको। क्या इसीलिए, इस साल भारत ने आखिरी ग्रुप मैच सबसे निचली रैंकिंग वाली टीम नीदरलैंड के विरुद्ध खेला? इसकी जरूरत नहीं पड़ी पर इंतजाम तो था। हो सकता है कि यह महज एक संयोग हो पर 2022 टी20 वर्ल्ड कप में भारत ने जिम्बाब्वे के विरुद्ध और 2021 टी20 वर्ल्ड कप में, नामीबिया के विरुद्ध आख़िरी ग्रुप मैच खेला। ऐसा पैटर्न और किसी टीम के प्रोग्राम में नहीं मिलेगा।

यह सच है कि भारत 2015 वर्ल्ड कप के बाद से, वर्ल्ड कप में सिर्फ 3 मैच हारा है लेकिन पिछले दो वर्ल्ड कप में, सब ने माना कि भारत वर्ल्ड कप जीतने वाली सबसे फेवरिट टीम में से एक था। इस वर्ल्ड कप में भारत उतनी ही बेहतर टीम है जितना ऑस्ट्रेलिया 2003/07 में था। इन दोनों वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया एक भी मैच नहीं हारा। इस बार टीम इंडिया यही रिकॉर्ड बनाए और नॉकआउट की मुश्किल को पार करे- यही उम्मीद है।

चरनपाल सिंह सोबती

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