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WTC फाइनल में, ICC ने BSI ग्रेड 1 ड्यूक बॉल इस्तेमाल की क्रिकेट के लिए। ड्यूक ग्रेड 1 लाल क्रिकेट बॉल का इस्तेमाल 2012 से इंग्लैंड में टेस्ट क्रिकेट और काउंटी क्रिकेट में किया जा रहा है।

कई क्रिकेट पंडित ने पहले ही कह दिया था कि WTC फाइनल में इस्तेमाल ड्यूक बॉल भारत के टॉप बल्लेबाजों के लिए भी एक चुनौती होगी, ख़ास तौर पर उनके लिए जो एकदम नई ‘चैरी’ को खेलेंगे। पकिस्तान के भूतपूर्व कप्तान और इंग्लैंड में खेल चुके सलमान बट्ट ने कहा था – ‘ये ड्यूक बॉल 8-9 ओवर के बाद ज्यादा स्विंग होती हैं। हर बल्लेबाज को ड्यूक पर दिक्कत होगी और रोहित एवं कोहली भी बच नहीं पाएंगे। मौसम भी स्विंग और सीम को मदद देता है।’ अब सब जानते हैं कि इस ड्यूक बॉल पर न्यूजीलैंड के पेसर ने क्या कमाल दिखाया?

ये तो एक टेस्ट का दर्द है। अभी तो इस ड्यूक बॉल से वहां 5 टेस्ट और खेलने हैं। सभी जानते हैं इस बारे में। तभी तो काइल जैमीसन ने भी विराट कोहली के लिए, उनके कहने के बावजूद, आरसीबी नेट्स पर भी ड्यूक बॉल से गेंदबाज़ी नहीं की।

न्यूजीलैंड की तैयारी देखिए। IPL खेलने आए जेमीसन के बैग में दो ड्यूक बॉल थीं, जो वे साथ लाए थे। न्यूजीलैंड की टीम ने टेस्ट सीरीज और WTC फाइनल के लिए इंग्लैंड जाने से कई दिन पहले ही ड्यूक बॉल से प्रैक्टिस शुरू कर दी थी – लिंकन में। वे अपने देश में इस गेंद से नहीं खेलते – कूकाबुरा से खेलते हैं । BCCI ने टीम इंडिया के लिए ऐसा कोई इंतज़ाम नहीं किया। फाइनल के बाद न्यूजीलैंड के बल्लेबाज डेवोन कॉनवे ने माना कि ड्यूक बॉल पर तैयारी से उनकी टीम को काफी मदद मिली। इंग्लैंड में तीन टेस्ट मैचों की इस तैयारी ने उनके लिए क्या नतीजा पेश किया, अब सभी जानते हैं। टीम इंडिया को तो अभी 5 टेस्ट और खेलने हैं।

जब इस सीजन में वारविकशायर के लिए कुछ मैच खेलकर हनुमा विहारी टीम इंडिया में शामिल हुए तो उन्होंने टीम को जो पहला इनपुट दिया, वह ड्यूक बॉल के बारे में ही था – ये गेंद कितनी स्विंग करती है और इसे खेलना है तो क्या करो। खुद उनके साथ भी तो यही हुआ था- अप्रैल में नॉटिंघमशायर के विरुद्ध जो पहला चैंपियनशिप मैच खेला उसमें 23 गेंद में खाता भी नहीं खोला और आउट। काउंटी के लिए तीन मैचों में सिर्फ एक स्कोर 50 वाला बनाया। विहारी ने जो भी सलाह या तकनीक बताई – वह किसी काम नहीं आई। ड्यूक बॉल का कमाल पहली बार चर्चा में नहीं है। अगर इंग्लैंड में क्रिकेट खेलना एक चुनौती माना जाता है तो उसके लिए ये गेंद और मौसम, दोनों बहुत कुछ जिम्मेदार हैं।

क्या आपको याद है कि भारत की 2018 की इंग्लैंड में सीरीज के बाद क्या हुआ था? टीम इंडिया ने कहा था कि भारत में भी टेस्ट, एस जी से नहीं, ड्यूक से खेलो। अचानक इस बदली पसंद की क्या वजह थी – वह भी तब जबकि टीम इंडिया को अपनी पिचों पर टेस्ट जीतने में अपनी एस जी गेंद से बड़ी मदद मिलती है। इस बदली पसंद की वजह थी इंग्लैंड में ड्यूक बॉल को खेलने में जो दिक्कत आई थी – उसके पीछे का दर्द। स्पिन दिग्गज शेन वार्न ने भी न सिर्फ इस पसंद की वकालत की – ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका और पाकिस्तान में इस्तेमाल हो रही कूकाबुरा गेंद की निंदा भी की। बड़े देशों में से सिर्फ इंग्लैंड और वेस्टइंडीज में टेस्ट मैच ड्यूक बॉल से खेले जाते हैं।

टीम इंडिया के क्रिकेटरों की इस मांग को तब और भी समर्थन मिला जब उस साल भारत-वेस्टइंडीज सीरीज में प्रयोग एसजी गेंदों को टीम ने ‘घटिया’ बताकर नेगेटिव रिपोर्ट दी। इस मांग में दो सबसे ख़ास वोट कप्तान विराट कोहली और टॉप स्पिनर रविचंद्रन अश्विन के थे। बहरहाल जैसी कि उम्मीद थी, वही हुआ और BCCI ने इस मांग को नहीं माना। हाँ, गेंद बनाने वालों को सलाह दे दी कि गेंद की क्वालिटी घटिया मत होने दो। उस समय इंडिया ए के कोच और भूतपूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ ने भी भारत में ड्यूक बॉल से खेलने की मांग का साथ नहीं दिया था। सबसे बड़ी दलील थी कि इस गेंद को लाए तो भारत की क्रिकेट का पूरा सिस्टम हिल जाएगा – टेस्ट ड्यूक से खेलो तो घरेलू क्रिकेट भी इसी से खेलनी होगी। पैसा कौन देगा इसके लिए – एक ड्यूक बॉल की कीमत, एक एसजी गेंद से लगभग 5 गुना ज्यादा थी तब। बड़ी तादाद में इम्पोर्ट करने में भी दिक्कत आती – ये भी नहीं मालूम था की इस गेंद को बनाने वाली कंपनी इतना बड़ा आर्डर पूरा भी कर पाएगी?

उस समय ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज ग्लेन मैक्ग्रा, एमआरएफ पेस फाउंडेशन के सलाहकार के तौर पर भारत में थे। जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था – गेंदबाजी के लिए कमाल की गेंद पर बल्लेबाज इसे ज्यादा पसंद नहीं करते।

वैसे आपको ये जानकर हैरान होगी कि इससे मिलते जुलते हालात की वजह से ही एक बार BCCI ने दलीप ट्रॉफी में ऑस्ट्रेलिया की कूकाबुरा गेंद से खेलने का फैसला किया था। दलीप ट्रॉफी में कूकाबुरा गेंद से खेलने का प्रयोग कैसा रहा- ये एक अलग किस्सा है। संक्षेप में इतना ही कि आज कोई ये याद भी नहीं रखना चाहता कि कूकाबुरा गेंदों से भारत की घरेलू क्रिकेट में खेले।

इस सबके बावजूद , कहीं ऐसा न हो कि 2021 की इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज ख़त्म होने पर विराट कोहली फिर से ड्यूक बॉल की वकालत करते नज़र आएं।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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