हर रिपोर्ट कह रही है कि इस समय श्रेयस अय्यर और इशान किशन दोनों ही बीसीसीआई की हिट लिस्ट में टॉप पर हैं और इसीलिए नई सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट लिस्ट से उनका नाम गायब दिखाई दे तो हैरान होने की जरूरत नहीं। उनका कसूर- फिट और उपलब्ध होने के बावजूद इन दिनों रणजी ट्रॉफी में अपनी-अपनी टीम के लिए नहीं खेल रहे। यहां तक कि बीसीसीआई की तरफ से, इस गलती का संकेत (जो वास्तव में एक चेतावनी जैसा ही था) दिए जाने के बावजूद, बीसीसीआई के आदेश को नजरअंदाज किया। भारत में, स्टार खिलाड़ियों का घरेलू क्रिकेट और ख़ास तौर पर रणजी ट्रॉफी को नजरअंदाज करना कोई नया मुद्दा नहीं पर अब तक बीसीसीआई ने खुद इस पर आंखें बंद रखी थीं। अब जागे तो भी शायद इन दोनों को ये लगा कि कुछ नहीं होगा और धीरे-धीरे सब भूल जाएंगे।
संकेत ये है कि इस बार ऐसा नहीं होगा और बीसीसीआई इनकी मिसाल पर उन सभी को ये बताने की कोशिश कर रहा है जो रणजी मैचों की परवाह नहीं करते। मुंबई में, जनवरी 2024 में मुंबई के लिए एक रणजी मैच श्रेयस अय्यर ने खेला पर मजबूरी में। फार्म की तलाश में सही मैच प्रैक्टिस की जरूरत थी और बीसीसीआई के कहने पर आंध्र प्रदेश के विरुद्ध उस मैच में खेले। विश्वास कीजिए- ये 2018-19 सीज़न के बाद श्रेयस का पहला रणजी ट्रॉफी मैच था। वे 2021 में टेस्ट टीम में आए वाइट बॉल क्रिकेट के रिकॉर्ड की बदौलत, न कि रणजी ट्रॉफी रिकॉर्ड को देखकर।
भुवनेश्वर कुमार भी फुर्सत होते हुए रणजी ट्रॉफी नहीं खेलते- इस सीजन में जरूर 2 मैच खेले जिनमें 13 विकेट लिए। नोट कीजिए- जनवरी 2018 में जोहांसबर्ग टेस्ट के बाद से भुवनेश्वर पहली बार फर्स्ट क्लास क्रिकेट मैच खेले और नवंबर 2016 के बाद से अपने राज्य उत्तर प्रदेश के लिए पहली बार रणजी ट्रॉफी मैच।
यहां तो सीधा सा समीकरण था- एक बार टीम इंडिया के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट खेलना शुरू कर दो तो रणजी/दलीप ट्रॉफी जैसे फर्स्ट क्लास क्रिकेट टूर्नामेंट भूल जाओ। ये तो वे फार्म में नहीं थे तो सेलेक्शन कमेटी ने अहमदाबाद में इंग्लैंड लायंस के विरुद्ध इंडिया ए सीरीज/रणजी ट्रॉफी खेलने का विकल्प दिया। इस पर उन्होंने रणजी ट्रॉफी को चुना- 48 रन बनाए। जब शुभमन गिल भी रन नहीं बना रहे थे तो उनके लिए भी यही सलाह थी- वे जून 2022 के बाद से कोई रणजी ट्रॉफी मैच नहीं खेले हैं।
ये सब सीनियर ने विरासत में दिया है।
- विराट कोहली का आख़िरी फर्स्ट क्लास मैच (टेस्ट नहीं ले रहे) जुलाई 2015 में इंडिया ए-ऑस्ट्रेलिया ए।
- विराट कोहली का आख़िरी रणजी ट्रॉफी मैच नवंबर 2012 में दिल्ली- उत्तर प्रदेश।
- रोहित शर्मा का आख़िरी फर्स्ट क्लास मैच (टेस्ट नहीं ले रहे) जुलाई 2021 में इंडिया इलेवन-काउंटी सेलेक्ट इलेवन।
- रोहित शर्मा का आख़िरी रणजी ट्रॉफी मैच नवंबर 2015 में मुंबई-उत्तर प्रदेश।
मोहम्मद शमी नवंबर 2018 और मोहम्मद सिराज फरवरी 2020 के बाद से कोई रणजी टॉफी मैच नहीं खेले हैं। और किसी भी देश में स्टार क्रिकेटर यूं नेशनल क्रिकेट चैंपियनशिप नजरअंदाज नहीं करते। इसीलिए बीसीसीआई के कहने के बावजूद शायद श्रेयस और ईशान किशन ने बात को गंभीरता से नहीं लिया। क्रुणाल पांड्या और दीपक चाहर ने भी नहीं समझा।
पिछले साल पीठ की सर्जरी के बाद श्रेयस लौटे और वर्ल्ड कप में खेले पर टेस्ट फॉर्म नदारद ही रही- वापसी के बाद से 8 पारी में 20.71 औसत से 145 रन और इंग्लैंड के पहले दो टेस्ट में 35, 13, 27 और 29 के स्कोर ने टीम में उनकी जगह पर सवाल खड़े कर दिए। आखिरी 3 टेस्ट के लिए टीम की घोषणा से ठीक पहले,श्रेयस ने पीठ और कमर में चोट की शिकायत की और बीसीसीआई ने उनकी बात पर विश्वास करते हुए- उन्हें एनसीए में भेज दिया हालांकि वे बड़े आराम से दो टेस्ट के बीच के दिनों की फुर्सत का फायदा उठाकर रणजी में खेल सकते थे।
जब उन्हें तीसरे टेस्ट की टीम से बाहर किया तो वास्तव में उन्हें ख़राब फिटनेस का झूठा बहाना (एनसीए से नितिन पटेल की रिपोर्ट में साफ़ लिखा है कि उन्हें कोई नई तकलीफ नहीं है) करने की जगह असम के विरुद्ध और आगे के रणजी मैच में खेलना चाहिए था। रणजी क्वार्टर फाइनल में जब मुंबई की टीम बड़ौदा के विरुद्ध जूझ रही थी तो ख़राब फिटनेस का बहाना करने वाले श्रेयस वास्तव में अपनी आईपीएल टीम के लिए एक प्री सीजन फिल्म की शूटिंग में ‘धोती’ पर चर्चा कर रहे थे।
ईशान किशन ने वर्ल्ड कप के बाद ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध टी20ई से ब्रेक मांगा जो उन्हें नहीं मिला। दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध दो टेस्ट के बाद एकदम टीम से ब्रेक ले लिया- तब उनकी मानसिक स्थिति का सवाल उठा और सभी की हमदर्दी थी उनके साथ। हैरानी तो ये कि नया क्रिकेट करियर होने के बावजूद उन्हें टीम में जगह की कोई चिंता नहीं और चीफ कोच राहुल द्रविड़ के ये कहने के बावजूद कि कुछ क्रिकेट खेलेंगे तो वापस लौटेंगे- गायब रहे। रणजी मैच खेलने की जगह अपनी आईपीएल टीम के कप्तान हार्दिक पांड्या के साथ ट्रेनिंग ले रहे थे। बीसीसीआई ने साफ़ कहा कि कम से कम झारखंड के सीजन के आखिरी गेम में तो खेलो- किशन गायब ही रहे।
इसलिए ये दोनों खुद अपना सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट खोने के लिए तैयार हैं और उनके साथ किसी की हमदर्दी नहीं होगी। इस समय किशन के पास ग्रेड सी जबकि अय्यर के पास ग्रेड बी कॉन्ट्रैक्ट है।
दोनों आईपीएल के लिए पहले दिन से फिट और उपलब्ध रहेंगे। यही सब देखकर ही तो बीसीसीआई में ये सोच काम कर रही है कि जिनके पास सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट है उन्हें घरेलू टूर्नामेंट में खेलना होगा। इसके उलट नया चलन ये है कि टीम इंडिया में न चुना गया तो घरेलू क्रिकेट भी न खेलो और आईपीएल की तैयारी करो। इसीलिए अगर बीसीसीआई की तरफ से एक सख्त पॉलिसी बने तो कोई हैरानी नहीं होगी- जो, उपलब्ध और फिट होने के बावजूद घरेलू क्रिकेट नहीं खेलेंगे वे आईपीएल भी नहीं खेल पाएंगे। बीसीसीआई सेक्रेटरी जय शाह ने खुद टॉप क्रिकेटरों को इस बारे में चिठ्ठी में बता दिया है कि घरेलू क्रिकेट की कीमत पर आईपीएल को वरीयता देने का नया चलन बीसीसीआई को हजम नहीं हो रहा। घरेलू क्रिकेट हमेशा वह आधार है जिस पर भारतीय क्रिकेट आज खड़ी है और इस सोच के प्रति बीसीसीआई का नजरिए में कोई बदलाव नहीं है।
कौन-कौन इससे सबक लेगा और क्या बदलाव होगा- ये तो समय बताएगा।
- चरनपाल सिंह सोबती