ऑफिशियल तौर पर, अभी तक कुछ नहीं कहा गया है पर सच ये है कि आज की क्रिकेट के ‘बिग 3’ महिला चैंपियंस लीग शुरू करने पर बातचीत कर रहे हैं। भारत में पहली महिला प्रीमियर लीग की हाई-प्रोफाइल कामयाबी से इतना तो तय हो चुका है कि इस क्रिकेट के लिए भी दर्शक और स्पांसर मौजूद हैं और जो आईपीएल लांच के बाद किया-वही अब महिला क्रिकेट में करने का इरादा है। ऑस्ट्रेलिया, भारत और इंग्लैंड, अगले साल से ही महिला ट्वेंटी-20 चैंपियंस लीग शुरू करने के लिए बातचीत कर रहे हैं- चूंकि अभी तक कुछ तय नहीं हुआ इसलिए ऑफिशियल तौर पर इस बारे में कुछ नहीं बताया है।
क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया, बीसीसीआई और ईसीबी- इस पर चर्चा कर रहे हैं और लॉर्ड्स एशेज टेस्ट और ओवल में डब्ल्यूटीसी फाइनल के दौरान भी, इस बारे में, आपस में मीटिंग की। ये खबर हाल फिलहाल क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के ऑफिस से लीक हुई है। जब, पिछले दिनों, डरबन में आईसीसी मीटिंग हुई तो वहां फिर से इस पर चर्चा हुई। इस नई लीग की सोच के पीछे सबसे बड़ी प्रेरणा है- बीसीसीआई का डब्ल्यूपीएल के मीडिया अधिकार वायकॉम18 को 5 साल के लिए 16.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर में बेचना, डब्ल्यूपीएल के दौरान बड़ी भीड़ और टीवी दर्शक की रिकॉर्ड गिनती। इसका मतलब है- महिला क्रिकेट के लिए भी बड़ा बाजार मौजूद है।
डरबन आईसीसी मीटिंग में महिला क्रिकेट से सम्बंधित सबसे बड़ी घोषणा थी- आगे से पुरुष और महिला वर्ल्ड कप के लिए बराबर इनामी रकम होगी। बात सिर्फ पैसे की नहीं- महिला क्रिकेट के लिए ये एक बड़ी खबर है। अब अगर वास्तव में चैंपियंस लीग शुरू हो पाई तो क्रिकेटरों को खेलने का और बेहतर मौका मिलेगा।
अब ये तो समझ में आ ही गया कि 2008 में आईपीएल लॉन्च होने पर पुरुष टी20 चैंपियंस लीग शुरू करने की नकल का इरादा है पर महिला क्रिकेट के लिए इसका महत्व अलग होगा। तब चैंपियंस लीग के मीडिया अधिकार स्टार स्पोर्ट्स ने लगभग 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर में खरीदे थे। ये टूर्नामेंट सिर्फ 6 साल खेले और रोक दिया था। इसकी सबसे बड़ी वजह थी- इवेंट के आयोजन के हिसाब से दर्शक न जुटा पाना। इंग्लैंड इस सफर के बीच में ही बाहर हो गया था और उसके बाद भारत, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका ही पार्टनर रह गए थे।
इस सीजन में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच महिला एशेज में रोमांचक मुकाबला, डब्ल्यूपीएल, डब्ल्यूबीबीएल और हंड्रेड को जो लोकप्रियता मिली उसी के अगले कदम के तौर पर इस चैंपियंस लीग को देखा जा रहा है। पिछले दो महिला टी20 वर्ल्ड कप में भी ऐसा ही मुकाबला हुआ। पुरुष चैंपियंस लीग को फिर से शुरू करने पर कोई बात नहीं हो रही और सारी चर्चा महिला इवेंट के लिए है।
सिर्फ 3 बोर्ड के इस चर्चा में शामिल होने का मतलब ये नहीं कि सिर्फ इन 3 की टीम ही इस में खेलेंगी- संभव है कि टूर्नामेंट में कैरेबियन से भी टीम आ सकती हैं। ये भी संभव है कि ये टूर्नामेंट पूरी तरह से प्राइवेट हो। प्राइवेट सेक्टर की क्रिकेट में बड़े पैमाने पर एंट्री की जो बातें हो रही हैं- हो सकता है इसी इवेंट से उस की भी शुरुआत हो जाए।
अब ये साबित हो चुका है कि महिला क्रिकेट में डब्ल्यूपीएल की शुरुआत ने इस क्रिकेट को देखने का एक नया नजरिया दिया है। जनवरी में 5 फ्रेंचाइजी हासिल करने पर लगभग 580 मिलियन डॉलर खर्च किए गए। ब्रॉडकास्ट अधिकार 5 सालों के लिए 117 मिलियन डॉलर में बेचे गए- दुनिया में महिला स्पोर्ट्स में प्रति गेम के हिसाब से दूसरा सबसे बड़ा कॉन्ट्रैक्ट (इससे बड़ा : अमेरिका में बास्केटबॉल लीग)। फ्रांस में एसकेईएमए बिजनेस स्कूल में स्पोर्ट्स और जिओ-पॉलिटिकल इकॉनमी के प्रोफेसर साइमन चैडविक ने कहा- ‘इतनी बड़ी रकम महिला क्रिकेट की ताकत का न सिर्फ एक संकेत है, बल्कि आने वाले बदलाव को भी प्रतीक है।’
फरवरी में, टाटा ग्रुप 5 साल के लिए टाइटल स्पांसर बने- हालांकि जो रकम वह दे रहे हैं, उसे ऑफिशियल तौर पर नहीं बताया पर ये अंदाजा आसानी से लगा सकते हैं कि ये कोई कम रकम नहीं होगी। प्रोफेसर चैडविक ने कहा- ‘जितना ज्यादा पैसा क्रिकेट में आएगा, उतना ही ज्यादा पैसा खिलाड़ियों की डेवलपमेंट, बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर जुटाने और इवेंट शुरू करने पर खर्च हो सकेगा। हालांकि पैसा हर मुश्किल का समाधान नहीं, लेकिन इस स्थिति में, यह मदद करेगा।’
- चरनपाल सिंह सोबती