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आईसीसी क्रिकेट कमेटी की डरबन मीटिंग में लिए गए फैसलों की खूब चर्चा हुई पर हैरानी की बात है कि जो सबसे जरूरी मुद्दा था- उस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। ये मुद्दा है टेस्ट क्रिकेट में धीमे ओवर रेट का- सालों से कोशिश हो रही है कि ओवर रेट धीमा न हो, खेल की तेजी पर कोई असर न आए पर कोई फायदा नहीं हुआ। कप्तान और खिलाड़ियों पर जुर्माना लगाने से अगर ओवर रेट तेज हो जाता तो किसी चर्चा की जरूरत ही न पड़ती। इसके बाद जुर्माने में पॉइंट्स भी शामिल कर लिए- आपको याद होगा कि ऑस्ट्रेलिया ने 2021 के पहले डब्ल्यूटीसी फाइनल में खेलने का मौका, इसी पॉइंट्स पेनल्टी के कारण गंवाया था। टी20 और वनडे में ओवर रेट धीमा होने पर आखिरी कुछ ओवरों में सर्कल के अंदर एक अतिरिक्त फील्डर की प्लेइंग कंडीशन का असर हुआ पर टेस्ट क्रिकेट के लिए सही पेनल्टी फार्मूला तलाश ही किया जा रहा था।

इसे पढ़ कर निश्चित तौर पर यही संकेत मिलता है कि और सख्ती की जरूरत है ताकि गेंदबाज खुद ओवर रेट तेज करने पर ध्यान दें। इसके उलट जो नई प्लेइंग कंडीशन न सिर्फ बनाई, उसे लागू भी कर दिया- उसमें तो खिलाड़ियों को रियायत दे दी है। यही एक रहस्य और चर्चा का मुद्दा है कि आईसीसी ने ऐसा क्यों किया?

नई कंडीशन ये है कि डब्ल्यूटीसी में ओवर-रेट पेनल्टी के लिए, पॉइंट्स की कटौती तो जारी रहेगी पर खिलाड़ियों पर नकद मैच फीस का जुर्माना कम लगेगा- 100 % मैच फीस के जुर्माने की कंडीशन खत्म और अब अधिकतम मैच फीस का 50% जुर्माना ही लग सकता है। अब एक ओवर कम फेंका तो 5% मैच फीस का जुर्माना जबकि पहले एक मैच में 5 ओवर कम फेंकने पर सीधे 100% जुर्माना था। और देखिए- अगर कोई टीम 80 ओवर पर नई गेंद लेने के मार्क से पहले आउट हो जाती है तो धीमें ओवर रेट के बावजूद कोई जुर्माना नहीं लगाया जाएगा। पहले ये कंडीशन 60 ओवर पर थी।

ऐसा क्यों किया? इस बारे में, इस क्रिकेट कमेटी के चीफ सौरव गांगुली का कहना है- ‘कमेटी इस बात पर सहमत थी कि धीमे ओवर रेट पर डब्ल्यूटीसी पॉइंट्स पेनल्टी जारी रहे लेकिन खिलाड़ियों की टेस्ट क्रिकेट खेलने में रूचि बरकरार रखने के लिए उन की 100% मैच फीस को खतरे में नहीं डालना चाहिए। बेहतर ओवर-रेट जरूरी पर साथ ही साथ ये संदेश भी देना है कि हम खिलाड़ियों को टेस्ट क्रिकेट खेलने से नहीं रोक रहे हैं।’ और देखिए- इस नई कंडीशन को मौजूदा डब्ल्यूटीसी राउंड के शुरू से लागू कर दिया यानि कि 16 जून से शुरू हुई एशेज से।

सबसे ज्यादा परेशान करने वाली खबर ये है कि ये कटौती, आईसीसी ने क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) के दबाव में की और इसमें खिलाड़ियों ने खुद बड़ी एक्टिव भूमिका निभाई। ये फैसला होने तक मौजूदा, रोमांचक एशेज सीरीज के 3 टेस्ट हो चुके थे और दोनों टीम, इन तीनों टेस्ट में ओवर रेट में धीमी रही थीं और खिलाड़ियों की पूरी मैच फीस जा रही थी। खिलाड़ियों की दलील थी कि ये भी तो देखो कि तीनों टेस्ट कितने रोमांचक रहे- हमारे इस खेल से क्या टेस्ट क्रिकेट को फायदा नहीं हुआ? दलील ठीक है पर इसका मतलब ये तो नहीं कि किसी सीरीज के बीच में ऐसी कंडीशन बदल दो कि खिलाड़ियों पर लगी पेनल्टी कम हो जाए? आईसीसी का ऐसा कहना कि एशेज टीमों के दबाव में ये नहीं हुआ- कोई हैरानी की बात नहीं। जुर्माने पर ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी ज्यादा शोर कर रहे थे।

गड़बड़ ये हुई कि उस्मान ख्वाजा ने खुद राज खोल दिया। उस्मान के मुताबिक़ उन्होंने और टीम के अन्य कुछ साथियों ने आईसीसी में अपने ‘अच्छे दोस्त’- आईसीसी जनरल मैनेजर क्रिकेट ऑपरेशंस वसीम खान को फोन किया और इस बारे में ‘कुछ करने’ का अनुरोध किया। ‘पावरफुल’ वसीम खान मदद के लिए ऐसे तैयार हुए कि सीधे क्रिकेट कमेटी के सामने ये मुद्दा पेश कर दिया और एशेज सीरीज के तीसरे और चौथे टेस्ट के बीच, जुर्माने वाली नई प्लेइंग कंडीशन को पेश कर, जुर्माने को घटाकर 50% करवा दिया। जिस बात को, क्रिकेट की दुनिया में हजम नहीं किया जा रहा वह ये है कि सीरीज के बीच में एक कंडीशन को बदलकर आईसीसी ने एक नई परंपरा को शुरू कर दिया है और इस बदलाव से इस सीरीज की दोनों टीम को फायदा मिल रहा है। अगर इस किस्से में, भारतीय खिलाड़ी और टीम इंडिया होते तो उन्हें क्या-क्या ‘टाइटल’ दिए जाते- आप इसका अंदाजा आसानी से लगा सकते हैं।

मजे की बात ये है कि जिस कमेटी ने ये ये बदलाव किया, उस के चीफ वे सौरव गांगुली हैं जिन्हें धीमी ओवर रेट पॉलिसी में कप्तान/क्रिकेटर के तौर पर सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। अब ध्यान दीजिए :

उस्मान ख्वाजा कैसे जानते हैं वसीम खान को- खुद उस्मान ने कहा कि वसीम तब पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड में थे जब वे पाकिस्तान सुपर लीग में खेले। इस दौरान जानने का मौका मिला और अब वे आईसीसी में जीएम हैं। ख्वाजा ने बात करने से पहले कप्तान पैट कमिंस और चीफ कोच एंड्रयू मैकडोनाल्ड को राजी किया था।
एंड्रयू मैकडोनाल्ड कैसे जानते हैं वसीम खान को- दोनों इंग्लैंड में एक साथ लेस्टरशायर में थे- वसीम चीफ एग्जीक्यूटिव और एंड्र्यू कोच।

ये पहला मौका नहीं है जब वसीम खान किसी बड़े क्रिकेट मुद्दे की वजह से चर्चा में हैं। वसीम खान ने, हर सीमा को लांघ कर इस साल मार्च में ही कह दिया था कि पाकिस्तान अपने वर्ल्ड कप मैच भारत में नहीं खेलेगा। वे बोले थे- ‘मुझे लगता है मैच किसी न्यूट्रल जगह पर होंगे- ठीक वैसे ही जैसे भारत के एशिया कप मैच किसी न्यूट्रल ग्राउंड में होंगे।’

एक और ख़ास बात नोट कीजिए- इस पूरी चर्चा का मतलब है ख्वाजा ने खुले आम ओवर-रेट पेनल्टी पॉलिसी की आलोचना की और आईसीसी ने इसे बिना दिक्कत हजम भी कर लिया। ये वही आईसीसी है जिसने जून में, डब्ल्यूटीसी फाइनल के दौरान, टीवी अंपायर के फैसले पर कमेंट की वजह से शुभमन गिल पर 15% मैच फीस का जुर्माना लगाया। इसका मतलब ये हुआ कि शुभमन पर वास्तव में, उनकी मैच फीस का 115% जुर्माना लगा क्योंकि धीमे ओवर रेट की वजह से टीम इंडिया पर 100% का जुर्माना लगा। इसका तो मतलब ये हुआ कि जो आईसीसी की पॉलिसी की खुलेआम आलोचना करे उसे तो कोई सजा नहीं पर जो सिर्फ अंपायर के एक फैसले की आलोचना करे उस पर, उसकी मैच फीस का 15% जुर्माना !

  • चरनपाल सिंह सोबती

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