पिछले दिनों दो क्रिकेटर कुछ अलग तरह की खबर के लिए चर्चा में रहे। नया बढ़िया घर या महंगी कार खरीदने की खबर तो छपती रहती हैं- ये खबर कुछ अलग हैं इन से।
खब्बू मीडियम तेज गेंदबाज टी नटराजन का जिक्र हो तो एक समय टीम इंडिया के इस नेट गेंदबाज के एकदम तीनों फॉर्मेट टीम में खेलने की अद्भुत दास्तान का जिक्र होता है।तमिलनाडु में सलेम के पास, चिन्नाप्पमपट्टी गांव में रहने वाले, 32 साल के नटराजन को आईपीएल 2020 में प्रभावशाली प्रदर्शन (16 मैच में 8.02 इकॉनमी रेट से 16 विकेट) के बाद ऑस्ट्रेलिया टूर के लिए नेट गेंदबाज के तौर पर भेजा था। किस्मत ऐसी रही कि टीम की इंजरी लिस्ट ने सीधे इंटरनेशनल क्रिकेटर बना दिया। इस समय रिकॉर्ड- 1 टेस्ट, 2 वनडे और 4 टी20 इंटरनेशनल और इनमें कुल 13 विकेट।
आईपीएल में कुल रिकॉर्ड- 47 मैच में 48 विकेट- 8.77 इकॉनमी रेट से। स्पष्ट है एक क्रिकेटर के तौर पर अभी उन्हें एक लंबी मंजिल तय करनी है। बहरहाल अभी से कुछ ऐसा कर दिया है जिसका जिक्र हमेशा मिसाल के तौर पर होगा। नटराजन के चमकने से पहले सलेम का जिक्र सिर्फ स्टील के लिए होता था- अब क्रिकेट की दुनिया में नटराजन की वजह से, इसे सब जानते हैं ठीक वैसे ही जैसे धोनी ने रांची को मशहूर किया।
पिछले दिनों तमिलनाडु प्रीमियर लीग खेली गई और इसके कुछ मैच सलेम में भी थे। नटराजन की लोकप्रियता की बदौलत ही सलेम को पिछले सीजन में, पहली बार इस लीग के मैच मिले थे पर वे घुटने की चोट की वजह से खेले नहीं। इस सीजन में खेले और विश्वास कीजिए- भीड़ क्रिकेट देखने से ज्यादा उन्हें देखने के लिए जुटती रही। सलेम क्रिकेट फाउंडेशन ग्राउंड पर लगी बड़ी स्क्रीन पर नटराजन का चेहरा आते ही शोर मानो भीड़ पागल हो गई हो और जोरदार जयकारे गूंजने लगे- ठीक वैसे ही जैसे बड़े स्क्रीन पर ‘रजनी’ की चाहत पर होता है। नटराजन लीग में Ba11sy Trichy टीम के लिए खेले। सलेम के क्रिकेट प्रेमी अपनी ‘मिट्टी के बेटे’ को पहली बार किसी बड़े मैच में खेलते देख रहे थे।
ऐसा क्यों? जवाब के लिए नटराजन के चिन्नाप्पमपट्टी चलना होगा- गांव में, सिर्फ स्कूल ग्राउंड थे और वहीं नटराजन भी खेले। इसलिए, पक्का इरादा कर लिया कि गांव में एक अच्छा ग्राउंड हो ताकि और दूसरे क्रिकेट खेलें और आगे बढ़ सकें। इसलिए खुद एक ग्राउंड बनवा दिया नटराजन ने- बिना सरकारी या किसी क्रिकेट एसोसिएशन की मदद। जमीन खरीदी और खेत को क्रिकेट ग्राउंड में बदला। खुद डिज़ाइन किया ग्राउंड को- 4 पिच, 2 प्रैक्टिस ट्रैक, एक जिम, कैंटीन और एक मिनी-गैलरी जिसमें 100 दर्शक बैठ सकते हैं।क्रिकेटर और दोस्त दिनेश कार्तिक ने इस ग्राउंड का उद्घाटन किया और वहां फिल्म स्टार योगी बाबू, प्रेमा, चेन्नई सुपर किंग्स के सीईओ विश्वनाथन, तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक सिगमानी तथा सचिव आरआई पलानी भी मौजूद थे।
इस खबर को भारत से बाहर भी चर्चा मिली और चिन्नाप्पमपट्टी को भारत के नक़्शे में ढूंढा गया- ऐसा गांव जहां इंटरनेट हर वक्त नहीं है, बिजली का भरोसा नहीं पर नटराजन क्रिकेट एकेडमी है आधा एकड़ जमीन पर। बच्चों के लिए फ्री कोचिंग- यही सलेम में एकेडमी खोलते तो पैसा आता पर वे अपनी जड़ों को नहीं भूले और आईपीएल से जो कमाया, क्रिकेट पर खर्च कर दिया। अपना घर तो वही है- जो पहले था।
नटराजन इसके लिए जयप्रकाश का नाम लेते हैं- उन की क्रिकेट को निखारा पर खुद सुविधा की कमी से डिस्ट्रिक्ट स्तर क्रिकेट से आगे नहीं बढ़ पाए। नटराजन चाहते हैं कि और किसी टेलेंट के साथ ऐसा न हो। उनकी आईपीएल टीम सनराइजर्स हैदराबाद ने उनकी इस चाहत पर एक वीडियो रिलीज की थी जिसमें नटराजन ने कहा था- एकेडमी शुरू कर गांव के युवा को वह मौका देना चाहते हैं जो उन्हें कभी नहीं मिला था- नंगे पैर गेंदबाजी, कुछ पैसे बचाए और कुछ उधार लेकर एक जोड़ी जूते खरीदे जिन्हें कई साल इस्तेमाल किया पर अब वे चाहते हैं कि अगली पीढ़ी क्रिकेट में अपना करियर देखे।
एकेडमी में कोच एन प्रकाश, नटराजन खुद न खेल रहे हों तो कोचिंग देते हैं। एकेडमी पहले शुरू की और उसके बाद ग्राउंड को निखारा। चिन्नाप्पमपट्टी ने नटराजन से पहले सिर्फ एक फर्स्ट क्लास क्रिकेटर दिया है- खब्बू ऑर्थोडॉक्स स्पिनर केआर शिवप्रकाशम जो 1990 में एक मैच खेले। आलीशान घर, अपार्टमेंट, फार्म हाउस और महंगी और खूबसूरत गाड़ियों पर नहीं- इस ग्राउंड पर अपना सारा पैसा लगा दिया इस उम्मीद से कि जो क्रिकेट खेलना चाहता है, उसे शुरू की ट्रेनिंग के लिए भटकना न पड़े।
ऐसा ही एक अचानक चमका नाम और है। आईपीएल 2023 ने वैसे तो कई अनकैप्ड भारतीय खिलाड़ी को चर्चा दिलाई पर रिंकू सिंह को सबसे ज्यादा- हिटिंग ने उन्हें केकेआर के लिए एक कीमती प्रॉपर्टी बना दिया। उन की शुरू की दिक्कतों की खूब स्टोरी छप चुकी हैं और संक्षेप में बस इतना ही कि गरीबी में पले-बढ़े और जिंदगी की हर जरूरत के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा।
अब यही रिंकू अपने शहर अलीगढ़ एक स्पोर्ट्स हॉस्टल बनवा रहे हैं- उन क्रिकेटरों के लिए जो रहने का इंतजाम न होने के कारण शहर नहीं आ सकते बेहतर क्रिकेट कोचिंग के लिए। शुरुआत का बजट- 50 लाख रुपये पर वे भी जानते हैं कि इससे ज्यादा पैसा लगेगा क्योंकि हॉस्टल को चलाना भी तो है। अगले साल मई तक इस के तैयार होने की उम्मीद है।
किसके लिए मिसाल बनेंगे ये दोनों युवा क्रिकेटर?
- चरनपाल सिंह सोबती