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किसी का ध्यान इस तरफ नहीं कि बांग्लादेश जैसी टीम के विरुद्ध सीरीज में भारत का प्रदर्शन कितना निराशाजनक था- टी20 सीरीज़ 2-1 से जीते और वनडे सीरीज़ 1-1 से ड्रा। ये उपलब्धि है डब्ल्यूपीएल खेलने के बाद? टीम की ज्यादातर खिलाड़ी फार्म में नहीं, गलत चयन, नियमित कोचिंग स्टाफ का न होना और बीसीसीआई का इस तरफ कतई ध्यान न देना कि मैचों को किस तरह से आयोजित किया जाना है- चर्चा के बड़े मुद्दे हैं। कप्तान हरमनप्रीत ने हार की जिम्मेदारी तो नहीं ली पर अपने गुस्से और कप्तान की शालीनता को लांघकर खराब व्यवहार से, सारी सुर्खियां बटोर लीं। उन पर दो इंटरनेशनल न खेलने का प्रतिबंध और तीसरे वनडे की 75% मैच फीस का जुर्माना लग चुका है।

इसका मतलब ये है कि टीम इंडिया अगले दो इंटरनेशनल स्मृति मंधाना की कप्तानी में खेलेगी। संभवतः ये एशियन गेम्स के मैच होंगे और अगर स्मृति क्वार्टर फाइनल और सेमी फाइनल में में कप्तान होंगी तो फाइनल की टीम में, हरमन के लौटने (?) के बाद भी, उन्हें ही कप्तान रहना चाहिए- इसका मतलब ये है कि हरमन की कप्तानी पर भी सवालिया निशान लग गया है। भारतीय क्रिकेट का इतिहास ऐसी मिसाल से भरा है जब टीम के खराब प्रदर्शन पर कप्तान बदले- उस नजरिए से भी हरमन ने खुद ही सेलेक्टर्स को मौका दे दिया, भले ही वे खुद, बैट के साथ इतनी नाकामयाब नहीं रहीं कि ऐसा फैसला लिया जाता। टीम इंडिया को, इस वक्त ऐसे झटके की जरूरत नहीं थी और ये है हरमन के खराब व्यवहार का असली नुकसान।

तीसरे वनडे में, आउट दिए जाने पर गुस्से में स्टंप तोड़ दिया। सबसे बड़ी गलती ये की कि मैच के बाद भी, प्रेज़ेंटेशन के दौरान संयम न रखा- अंपायरों की खुलेआम आलोचना की जिसकी कोड ऑफ़ कंडक्ट उन्हें कतई इजाजत नहीं देता, हाई कमिशनर को प्रेजेंटेशन में न बुलाए जाने का जिक्र किया- जो कतई उन की जिम्मेदारी के दायरे में नहीं आता और दूसरी टीम को बराबर मानकर उन्हें सम्मान नहीं दिया। इतना अनुभव तो है उन्हें कि ये सब करते हुए मालूम होगा कि इस सब का नतीजा क्या होगा? इसलिए आईसीसी का एक्शन कतई हैरानी वाला नहीं।

जब गुस्सा ठंडा हो जाएगा तो पक्का है कि उन्हें खुद भी अहसास हो जाएगा कि अंपायरिंग पर गुस्से के बावजूद सावधान/डिप्लोमेटिक रहने की जरूरत थी- आखिरकार टीम इंडिया की कप्तान हैं। अपनी नाराजगी जाहिर करना गलत नहीं पर कब और कैसे- यही चुनने की आर्ट खिलाड़ी को एक ‘अलग’ केटेगरी में ले जाती है। माइकल होल्डिंग ने भी स्टंप्स को किक किया- वे तब कप्तान नहीं थे। बिशन सिंह बेदी ने खराब अंपायरिंग पर वेस्टइंडीज में गुस्सा दिखाया तो भारत की पारी ही बीच में समाप्त घोषित कर दी या साहीवाल में वाक आउट किया पर व्यवहार में शालीनता का दायरा नहीं तोड़ा। अगर अंपायर के हर गलत फैसले पर सचिन तेंदुलकर ने बैट स्टंप पर मारे होते तो शायद उनके रिकॉर्ड में इसकी भी बड़ी गिनती होती- निराश हुए पर अपने ऊपर काबू रखा और अंपायर के फैसले को ही ‘सही’ माना।

वहां स्निकोमीटर/बॉल-ट्रैकिंग/डीआरएस का न होना, बीसीसीआई का दोष है या फिर टीम इनके बिना खेलने के लिए तैयार रहे। टीम के अच्छा न खेलने की निराशा ड्रेसिंग रूम का मामला था और उसका यूं प्रदर्शन सही नहीं था। क्या बांग्लादेश में ऐसी पिचों की उम्मीद नहीं थी- इसलिए साफ़ है कि टीम बिना किसी होम वर्क के गई और इस टीम से न जीत पाने को हजम नहीं कर पाई। अगर हरमन, उस तीसरे वनडे में ऐसे मुकाम पर आउट होतीं जब टीम की जीत पक्की होती तो शायद उनका रिएक्शन फर्क होता। टीम का रिकॉर्ड सीधे उनके ‘पारे’ से जुड़ गया।

बांग्लादेश में, बरसात के मौसम में, स्पिनरों की मदद करने वाली धीमी, सूखी पिच ही मिलनी थीं और टीम इंडिया इसके लिए तैयार नहीं थी। बीसीसीआई का लगातार, टीम कोच का मजाक बड़ा भारी पड़ रहा है। मालूम है कि टीम चेज करने में परफेक्ट नहीं पर तरीके में कोई सुधार नहीं। झूलन गोस्वामी जैसी तेज गेंदबाज की तलाश में जवाब है वे अमनजोत और पूजा वस्त्राकर जो वास्तव में काम चलाऊ या चेंज सीमर हैं। बाकी का काम सेलेक्टर्स ने कर दिया। कोई नहीं जानता-

  • रेणुका सिंह टीम से क्यों बाहर है?
  • शिखा पांडे पर विश्वास न दिखाकर यूं ही ‘अंदर-बाहर’ की पॉलिसी से क्या हासिल हो रहा है?
  • जो पूजा इस सीरीज की टीम में थी- एशियाई खेलों के लिए रिजर्व में है।
  • अंजलि सरवानी ने भारत में अच्छी शुरुआत की- तब भी दक्षिण अफ्रीका में नेट गेंदबाज बना दिया।
  • अमनजोत ने विश्व कप से पहले दक्षिण अफ्रीका में खेलना शुरू किया लेकिन कुछ मैचों के बाद बाहर।
  • तीसरे वनडे में मैच जिस मुकाम पर था जीत की जिम्मेदारी टॉप बल्लेबाज होने के नाते जेमिमा रोड्रिग्स की थी।
  • ऋचा घोष टीम में क्यों नहीं थी?

बाकी की कसर ख़राब फार्म ने पूरी कर दी- हरमन के 3 वनडे में सिर्फ 71 रन, शफाली वर्मा 2022 के बाद से, 31 पारियों में 21.80 औसत और 121.14 के साधारण स्ट्राइक-रेट से 676 रन, स्मृति के टॉप बल्लेबाज होने के बावजूद 28.90 औसत और 122.97 स्ट्राइक रेट से 2023 में 12 पारी में 289 रन जिसमें ऑफ स्पिन को न खेल पाना शामिल, पावर-हिटर्स मिल नहीं रहे जबकि ये ऐलिस कैप्सी, नैट साइवर-ब्रंट, एशले गार्डनर, ग्रेस हैरिस और ताहलिया मैकग्रा जैसी पावर-हिटिंग का ज़माना है। वनडे सीरीज में बांग्लादेशी गेंदबाजों की 812 गेंद में से 440 डॉट गेंद रहीं, टी 20 सीरीज 338 गेंद में से 164 डॉट गेंद थीं- ये है डब्ल्यूपीएल शुरू करने वाले देश की टीम की क्रिकेट।

बहस ऐसी बातों पर होनी थी- हो रही है किसी ऐसे मुद्दे की जिसकी जरूरत ही नहीं थी। हैरी दी- भारत में बैट पकड़ने वाली ढेरों लडकियां ‘हरमनप्रीत कौर’ बनने की ख्वाहिश रखती हैं, आप रोल मॉडल हैं, मिताली राज के रिटायर होने के बाद भारत में महिला क्रिकेट का सबसे चर्चित चेहरा/प्रतीक, आपकी टेलेंट का सम्मान किया जाता है, डब्ल्यूपीएल जीतने का गौरव आपसे कोई छीन नहीं सकता और वे 171 जो अद्भुत थे। ये है आपकी पहचान- इसे खराब न करें। आपके एक्शन को सही ठहराने वाले कम हैं- गलत बताने वाले कहीं ज्यादा। इसे प्रोफाइल का एक ख़राब चेप्टर समझ कर ध्यान टीम इंडिया की बेहतर क्रिकेट पर लगाना होगा।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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