इन दिनों, भारत में, वनडे क्रिकेट की, देवधर ट्रॉफी खेली जा रही है। इंटरनेशनल क्रिकेट की गहमा-गहमी में, अन्य हर ट्रॉफी की तरह इस पर भी पूरा ध्यान नहीं और शायद इसीलिए बीसीसीआई ने ट्रॉफी का आयोजन करते हुए एक बड़े रिकॉर्ड को नजरअंदाज कर दिया- इस ट्रॉफी के आयोजन के 50 साल हो गए। ये भी कह सकते हैं कि इसके साथ ही भारत में वनडे क्रिकेट की शुरुआत के 50 साल हो गए। ऐसा पहला मैच था साउथ जोन-ईस्ट जोन, 1973-74 देवधर ट्रॉफी में।
विश्व क्रिकेट में पहला ,मान्यता प्राप्त लिमिटेड ओवर क्रिकेट मैच मई 1963 में जिलेट कप में खेला गया लेंकशायर और लेस्टरशायर के बीच- 65 ओवर का मैच था ये। देख लीजिए भारत ने लिमिटेड ओवर क्रिकेट को अपनाने में कितने साल लगा दिए। अगर 1975 में पहला वर्ल्ड कप खेलने का प्रोग्राम न बना होता तो शायद बीसीसीआई ने 1973 में भी इस शुरुआत के बारे में न सोचा होता। इस ट्रॉफी के, इस सफर के, कुछ ख़ास माइलस्टोन :
- तब इस में सभी 5 जोनल टीम खेलती थीं- नार्थ ,साउथ, ईस्ट, वेस्ट और सेंट्रल। तब बड़े-बड़े स्टार भी खेलते थे इसके मैचों में और इसे ऑल-स्टार सीरीज़ भी कहते थे
- प्रोफ़ेसर डीवी देवधर, जिन्हें ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ़ इंडियन क्रिकेट भी कहते हैं- उनका नाम बोर्ड ने, इस नई ट्रॉफी को दिया हालांकि वनडे क्रिकेट से उनका कोई नाता ही नहीं था।
- इसे लीग फॉर्मेट पर खेलते थे। पहले सीज़न 1973-74 में साउथ जोन चैंपियन थी- इसे सबसे ज्यादा नार्थ जोन ने जीता है। पहला मैच साउथ जोन-ईस्ट जोन था जिसे साउथ जोन ने 6 विकेट से जीता। भारत लिस्ट ए क्रिकेट आयोजित करने वाला 9वां देश था।
- एस वेंकटराघवन को छोड़कर बाकी सभी ने लिस्ट ए डेब्यू किया- वेंकटराघवन इससे पहले इंग्लैंड में ऐसे फॉर्मेट के टूर्नामेंट में खेल चुके थे।
- 2023-24 सीजन में, वास्तव में, देवधर ट्रॉफी की वापसी हुई है- 4 साल के बाद। इस सीजन की और ख़ास बात- 9 साल बाद टूर्नामेंट की जोनल फॉर्मेट में वापसी (2014-15 सीज़न के बाद पहली बार) और पुडुचेरी का नाम लिस्ट ए मैच आयोजित करने वालों की लिस्ट में शामिल। इस बार नई जोनल टीम नार्थ-ईस्ट भी खेल रही है।
- हाल के सालों की ये परंपरा है कि ट्रॉफी का भारत के इंटरनेशनल क्रिकेट प्रोग्राम से टकराव है और स्टार क्रिकेटर नहीं खेल रहे। यहां तक कि युवा खिलाड़ी भी रुचि नहीं ले रहे हैं जबकि कई बार इसी ट्रॉफी के बाद सेलेक्शन कमेटी की मीटिंग हुई और टीम इंडिया का चयन हुआ। एक मिसाल- 2014 में ख़ास तौर पर देवधर ट्रॉफी के बाद ही सेलेटर्स ने 2015 वर्ल्ड कप के लिए 30 संभावित खिलाड़ियों को चुना था।
- विनोद कांबली टॉप स्कोरर- वेस्ट जोन के लिए 28 मैच में 5 शतक के साथ 68 औसत से 1294 रन- अब तक 8 खिलाड़ियों के नाम 1000 रन और इनमें सिर्फ विनोद कांबली और संजय मांजरेकर का नाम बड़े क्रिकेटर के तौर पर ले सकते हैं।
- ज्ञानेंद्र पांडे (सेंट्रल जोन) और उत्पल चटर्जी (ईस्ट जोन) टॉप गेंदबाज- 40 विकेट।
- आख़िरी सीजन 2019 था और इंडिया बी ने इंडिया सी को 51 रन से हराकर टाइटल जीता था ।
- फॉर्मेट में समय के साथ हुए बदलाव– 1973-74 से 2014-15 के बीच, क्वार्टर फाइनल में दो टीम खेलीं और विजेता, सेमीफाइनल में अन्य 3 जोन टीम में शामिल हो गए। उसके बाद ये नॉकआउट टूर्नामेंट था। – 2015-16 सीज़न से विजय हजारे ट्रॉफी के विजेता को भी इस ट्रॉफी में खेलने का मौका मिला और इसीलिए बचे खिलाड़ियों से इंडिया ए और इंडिया बी टीम बनाकर 2017-18 सीज़न तक राउंड-रॉबिन फॉर्मेट में खेले। टॉप 2 टीम फाइनल में पहुंचीं।
- तमिलनाडु (2016-17 सीज़न) देवधर ट्रॉफी जीतने वाली एकमात्र स्टेट टीम है।
- 2018-19 और 2019-20 सीज़न में इंडिया ए, इंडिया बी और इंडिया सी टीम खेलीं राउंड-रॉबिन फॉर्मेट में। टॉप 2 टीम फाइनल में। फॉर्मेट में फिर से बदलाव की वजह 2019 का वर्ल्ड कप था- विजय हजारे ट्रॉफी के विजेता को नहीं खिलाया और सिर्फ 7 महीने दूर वर्ल्ड कप को ध्यान में रखते हुए इंडिया ए, इंडिया बी और इंडिया सी टीम खिला दीं ताकि सेलेक्टर्स उन खिलाड़ियों को खेलते देख सकें जो, उनके नजरिए में दावेदार हैं।
- इस समय ट्रॉफी विजेता के लिए इनाम 40 लाख रुपये- हारने वाले फाइनलिस्ट को 20 लाख रुपये।
प्रोफ़ेसर डीवी देवधर के जिक्र के बिना ये संदर्भ अधूरा रह जाएगा। उन्हें ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ़ इंडियन क्रिकेट भी कहते हैं। जब भारत ने 1932 में पहला टेस्ट खेला तो ‘बूढ़ा’ मान कर नहीं चुना (40 साल के थे) हालांकि बहुत अच्छी क्रिकेट खेल रहे थे। 1993 में उनका निधन हुआ 101 साल 222 दिन की उम्र में। 1911 से 1946 तक का फर्स्ट क्लास क्रिकेट करियर जिसमें रिकॉर्ड- 81 मैच में 4522 रन 9 शतक के साथ 39.92 औसत से।
- चरनपाल सिंह सोबती