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ऑफिशियल तौर पर बीसीसीआई ने ये कहना शुरू कर दिया है कि भारत, पहली बार 2023 क्रिकेट वर्ल्ड कप की मेजबानी अकेले करने के लिए पूरी तरह तैयार है। मैच 5 अक्टूबर से 19 नवंबर तक 10  स्टेडियम में और वार्म-अप मैच 29 सितंबर से 3 अक्टूबर तक 2 अलग स्टेडियम में। पहला मैच इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के बीच 5 अक्टूबर को अहमदाबाद में और टिकट बिक्री की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। टिकट कैसे खरीद सकते हैं इसका जिक्र भी कर चुके हैं (पढ़ें https://allaboutcric.com/information/its-time-to-buy-the-world-cup-ticket/)। सबसे ख़ास बात ये कि टिकट ऑनलाइन मिल रहे हैं।

टिकट ऑनलाइन यानि कि भीड़ और धक्का-मुक्की से छुटकारा- ये पढ़ने में कितना अच्छा लग रहा है/मैच देखना कितना आसान लग रहा है। अगली एक बात में ही हो सकता है इस सोच को झटका लगे। बीसीसीआई से आप हाल फिलहाल तो इतने आराम वाले इंतजाम की उम्मीद नहीं कर सकते। ऑनलाइन टिकट खरीदने का मतलब कतई ये नहीं कि सीधे स्टेडियम में एंट्री। ऐसा नहीं होगा क्योंकि वर्ल्ड कप के लिए ई-टिकट नहीं बेचे जा रहे। स्टेडियम में एंट्री के लिए कागज़ पर छपा टिकट दिखाना जरूरी होगा और ऑनलाइन टिकट खरीदने के बाद ये छपा टिकट आपको अलग से, लेना होगा- किस-किस शहर में कहां से, ये अभी बीसीसीआई ने तय नहीं किया है। पुराना अनुभव बताता है कि इसी में हिम्मत/संयम का इम्तिहान होगा।

इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका जैसे देश, दुबई, शारजाह और अबू धाबी भी कई साल से क्रिकेट/किसी भी इवेंट में सिर्फ ई-टिकट बेच रहे हैं- इधर ऑनलाइन टिकट खरीदा और उसी क्षण टिकट आपके मोबाइल पर। भारत में भी एयर, यहां तक कि रेलवे ऑनलाइन बुकिंग में भी ई-टिकट ही मिलते हैं। तो क्रिकेट ही नहीं, खेलों की दुनिया में सबसे ज्यादा पैसे वाले बोर्ड में से एक, बीसीसीआई ने ई-टिकट का इंतजाम क्यों नहीं किया? पैसा है, साधन हैं, देश में इसके लिए एक्सपरटाइज़ की कमी नहीं- तो क्यों बीसीसीआई अभी भी एक पिछड़े बोर्ड की तरह से काम कर रहा है?

बीसीसीआई सेक्रेटरी जय शाह ने बड़े गर्व से कहा- वर्ल्ड कप मैचों के लिए ऑनलाइन टिकट लेने वालों को फिजिकल टिकट की जरूरत होगी और वही दिखाना होगा स्टेडियम में एंट्री के लिए। बीसीसीआई के पास पहली बार, अकेले भारत में वर्ल्ड कप आयोजित करते हुए एक और स्तर पर बेहतर बनने का ये बहुत अच्छा मौका था पर सच ये है कि न तो ऐसा करने के बारे में समय पर सोचा और न चाह थी।

इस मामले में जब जागे तो बहुत देर हो चुकी थी इसलिए अब दलील ये कि ई-टिकट की शुरुआत, प्रयोग के तौर पर, पहले किसी दो टीम वाली सीरीज के मैचों से करेंगे- उस अनुभव में जो कमियां रहीं, उन्हें दूर कर, तब कई टीम वाले वर्ल्ड कप जैसे इवेंट में उनकी शुरुआत करेंगे। जय शाह के मुताबिक़ अहमदाबाद और लखनऊ जैसे बड़ी दर्शक क्षमता वाले स्टेडियम में  ई-टिकट मैनेजमेंट में दिक्कत आ सकती है जिस वजह से अभी ई-टिकट नहीं बेच रहे। दुनिया दिक्कत ख़त्म करने के लिए कई साल पहले ही ई-टिकट पर शिफ्ट कर चुकी है जबकि बीसीसीआई को इसमें दिक्कत दिखाई दे रही है। अब तो ये दलील भी खोखली ही होगी कि हर किसी के पास जरूरी नहीं कि मोबाइल हो।

बीसीसीआई ने आईपीएल 2023 के उन नजारों को कैसे नजरअंदाज कर दिया जब इसी तरह से ऑनलाइन टिकट खरीदने के बाद, फिजिकल टिकट लेने के लिए लाइन में हजारों की भीड़ थी जिससे कोई भी बड़ी दुर्घटना हो सकती थी। जो वहां थे- उन पर बरसी पुलिस की लाठियों का तो जिक्र ही नहीं कर रहे। मुंबई के क्रिकेट प्रेमियों ने ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध महिला क्रिकेट के मैचों की फ्री एंट्री में भी इसी को झेला- फ्री एंट्री के लिए भी फिजिकल टिकट लेना जरूरी था स्टेडियम में एंट्री के लिए। यही तमाशा डब्ल्यूपीएल में हुआ। इसलिए बीसीसीआई के पास आईपीएल के दौरान ई-टिकट की, कुछ स्टेडियम में शुरुआत कर, वर्ल्ड कप के दौरान सिर्फ ई-टिकट की बिक्री के इंतजाम का पूरा समय और मौका था।  सच तो ये कि वर्ल्ड कप की मेजबानी मिलते ही इस की कोशिश शुरू हो जानी चाहिए थी।

जय शाह अब कह रहे हैं कि इस बार फिजिकल टिकट लेना मुश्किल नहीं होगा और हर सेंटर पर 7-8 काउंटर होंगे वर्ल्ड कप की फिजिकल टिकट देने के लिए। जानकार इस इंतजाम से कतई प्रभावित नहीं और ये साफ़ है कि फिर से टिकट ब्लैक-मार्किट में बिकेंगे। भारत में ऐसा होना कोई अनोखी घटना नहीं। अमेरिका और यूरोप में स्पोर्ट्स देखना महंगा है लेकिन एक सुखद अनुभव भी। भारत में उलटा है- क्रिकेट टिकट की कीमत बढ़ती जा रही हैं पर अनुभव हर साल और खराब होता जा रहा है। जय शाह के अपने शहर में आईपीएल 2023 के फाइनल से बेहतर मिसाल और कौन सी होगी- वहां हर दिक्कत की जड़ ये पेपर टिकट ही थे।

और देखिए- आप मैच के शहर में ही रहते हैं तो आप किसी तरह से फिजिकल टिकट लेने के लिए समय निकाल लेंगे पर जो दूसरे शहर/देश से आ रहे हैं मैच देखने वाले टिकट कैसे लेंगे? क्या एक दिन वाला मैच देखने, एक हफ्ता पहले ही आ जाएं? इस तरस खाने वाली स्थिति/गड़बड़ी के लिए कौन जिम्मेदार है?
क्रिकेट मैचों में  फिजिकल टिकट लेने में काफी दिक्कत को देखते हुए ही ई-टिकट की मांग काफी समय से की जा रही है पर बीसीसीआई ने इस जरूरत पर कोई ध्यान नहीं दिया। याद कीजिए वह दिन जब इस साल आईसीसी हेडक्वार्टर में नए रेवेन्यू मॉडल पर बहस हो रही थी और मुद्दा था बीसीसीआई को आईसीसी की कमाई में से सबसे बड़ा लगभग 40% हिस्सा देना तो उससे कुछ हजार मील दूर भारत में  क्रिकेट स्टेडियम में टिकट कलेक्शन सेंटर के बाहर लाठीचार्ज किया जा रहा था- उन पर जो आईपीएल के लिए फिजिकल टिकट लेने आए थे।

जबरदस्त धूप, भीषण गर्मी, बिना छाया लोग टिकट के लिए घंटों इंतजार करते रहे। अफरा-तफरी में लाठियां भांजी जा रही थीं। ये सब देखने, मेजबान एसोसिएशन या बीसीसीआई की ओर से कोई मौजूद नहीं था। टिकटिंग पार्टनर के,सफ़ारी सूट पहने बाउंसर यूं बरस रहे थे मानो टिकट खरीदकर आपने कोई गुनाह किया है- इतने धक्के तो बिना टिकट स्टेडियम में एंट्री की कोशिश पर भी शायद न खाने पड़ते। अहमदाबाद में दोनों प्लेऑफ़ मैचों के दौरान भयानक भगदड़ जैसा नजारा था। किसे चिंता है?

  • चरनपाल सिंह सोबती

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