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सबसे पहले एक नई खबर : भारत सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग से संबंधित नए आईटी लॉज़ रिलीज किए। इसमें ख़ास बात ये कि सरकार ने गेमिंग इंडस्ट्री को खुद अपनी गाइडलाइन्स तय करने के लिए कहा- खुद तय करें कि क्या करने की इजाजत है और क्या नहीं। इस बात को अपनी भाषा में लिखें तो साफ़ है कि सरकार को कुछ समझ नहीं आ रहा कि इस दिन-रात बढ़ रही इंडस्ट्री को किस आधार पर और कैसे कंट्रोल करें? सुप्रीम कोर्ट ने कहा ये स्किल का खेल है, कई लोग इसे सट्टेबाजी जैसा मानते हैं क्योंकि इनाम की रकम उनमें बांटी जा रही है जिनका नाम कोई नहीं जानता। अगर क्रिकेटरों को भी इनाम मिले क्या तब भी ये इतना ही गलत है?

अब अपनी बात पर आते हैं। इस साल 30 मार्च को, आईपीएल से एक दिन पहले, क्रिकपे नाम के एक फैंटसी क्रिकेट प्लेटफार्म का एक विज्ञापन देखने को मिला। क्रिकेट मैच के बीच एक प्रशंसक पिच तक पहुंच गया और अभी-अभी अपने 100 रन पूरे करने वाले बल्लेबाज के हाथ में 1 करोड़ रुपये का चेक थमा दिया। बल्लेबाज ने शुक्रिया कहा तो जवाब मिला- ‘मुझे नहीं, उन्हें धन्यवाद दो’ और स्टैंड में बैठे अशनीर ग्रोवर की तरफ इशारा कर दिया।

ये क्या माजरा है और पहले से भरे फैंटसी क्रिकेट बाजार में एक और एंट्री ! इसी का नाम है क्रिकपे। कैसे अलग है ये अन्य दूसरों से? BharatPe और SharkTank से मशहूर हुए अशनीर ग्रोवर ने माधुरी जैन ग्रोवर और असीम घावरी के साथ मिलकर इस नए क्रिकेट गेमिंग ऐप को लॉन्च किया आईपीएल के बिलकुल साथ। एक स्टडी के मुताबिक़ Dream11 और My11Circle जैसे ऐप्स पहले ही भारत में फैंटेसी स्पोर्ट्स के लिए 90 मिलियन यूजरबेस बना चुके हैं और पूरे आसार हैं कि गेमिंग 2027 तक लगभग 9 बिलियन डॉलर इंडस्ट्री बन जाएगी।

आम तौर पर फैंटेसी क्रिकेट ऐप्स रेवेन्यू-शेयरिंग मॉडल पर काम करते हैं- कम्पीटीशन होस्ट किया और यूजर (इसमें हिस्सा लेने वाले) से ली एंट्री फीस और हर गेम के दौरान कुल इकट्ठी रकम से अपना कट रख कर बाकी रकम, जो यूजर जीतते हैं उनमें बांट देते हैं। इस तरह जिसका ऐप, वह और जीतने वाले यूजर दोनों पैसे कमाते हैं। साथ में विज्ञापन और यूजर डेटा से भी कमाई। तो क्रिकपे इन से कैसे अलग है? अब कुछ ख़ास फैक्ट नोट कीजिए :

  1. दावा है कि ये दुनिया का एकमात्र ऐसा ऐप है जिससे, ऐप वाले, यूजर और जो क्रिकेट खेल रहे हैं/आयोजित कर रहे हैं- वे भी पैसे कमाते हैं।
  2. एंट्री फीस वह रकम जो यूजर अपने पसंदीदा क्रिकेटरों को इनाम में देना चाहते हैं- हर क्रिकेटर को 100 रुपये से 100,000 रुपये तक।
  3. क्रिकेटर ने इनाम ले लिया तो ही क्रिकपे भी अपना कट लेगा अन्यथा यूजर के पैसे वापस।
  4. ये है तो फैंटेसी गेम पर क्रिकेटर को भी इनाम मिलेगा उसके प्रदर्शन के लिए।

इसी सिद्धांत पर अलग-अलग गेम, अलग-अलग तरह के यूजर के लिए हैं। इस क्रिकपे मॉडल की कामयाबी का प्रमोटर कंपनी थर्ड यूनिकॉर्न को इतना भरोसा है कि पहले ही $36 मिलियन (INR 290 करोड़) की वैल्यूएशन पर $5 मिलियन (INR 40 करोड़) जुटा लिए हैं जो 2023 में सीड-स्टेज स्टार्टअप में सबसे ऊंची वैल्यूएशन में से एक है। जनवरी 2023 में लॉन्च, थर्ड यूनिकॉर्न में म्यूजिक दुनिया के बादशाह के साथ-साथ फूड इंडस्ट्री के मशहूर हल्दीराम फैमिली ऑफिस और अर्ली स्टेज फंड वेंचर कैटेलिस्ट्स, क्रिकेटर शिखर धवन का वेंचर कैपिटल फंड दा-वन वेंचर्स और मुंबई स्थित कंटेंट क्रिएटर फर्म सुपर फैट स्टूडियोज सबसे बड़े इन्वेस्टर हैं।

अब सवाल ये है कि फैंटेसी गेमिंग बाजार पहले से भरा हुआ तो इसमें क्रिकपे के लिए जगह कैसे बनेगी? इसी को ध्यान में रखकर एक और फर्क : हाल फिलहाल ये ऐप आईपीएल या भारत के मैचों में एक्टिव। अब आप नोट कीजिए कि पैसा कैसे बंटेगा :

मान लीजिए ऐप पर एक गेम के लिए इकट्ठे हुए 100 करोड़ रुपये इसमें से प्लेटफ़ॉर्म ने रिजर्व रखे 20 करोड़ रुपये (इसमें से 10 करोड़ ऐप का कट और 10 करोड़ रुपये क्रिकेटरों/आयोजकों के)तो इनाम का पूल हुआ 80 करोड़ रुपये जो 10 करोड़ रुपये रखे, उसमें से बंटवारा : 1.5% बीसीसीआई/बोर्ड को + 1.5% मैच की दो टीम को + बाकी क्रिकेटरों को प्रदर्शन के आधार पर।

अब कई और सवाल सामने आते हैं जैसे क्रिकेटर तो स्पॉन्सरशिप और मैच फीस से करोड़ों कमाते हैं तो वे फैंटेसी गेमिंग वालों से पैसा क्यों लेंगे? ऐप वाले इसे हमेशा अच्छा लगने वाले ‘एक्स्ट्रा मनी’ के मनोविज्ञान से जोड़ रहे हैं। आईपीएल में कीमत फिक्स लेकिन परफॉर्म नहीं करते तो पब्लिक ट्रोलिंग। इसी तरह, विज्ञापनों से पैसा बनाने पर तब आलोचना जब परफॉर्म नहीं करते। ये ऐप पैसा उस खिलाड़ी को देता है जो परफॉर्म करता है- उसे नहीं जो कैमरे या सुर्ख़ियों में चर्चा में है। जब क्रिकपे का यूजर देखेगा कि उनके पैसे से कौन क्रिकेटर कितना जीत रहा है तो यूजर खुद को उस खिलाड़ी के ‘करीब’ महसूस करता है।

अशनीर ग्रोवर इस दलील से सहमत नहीं कि क्रिकेटरों के पास पहले से पैसा है तो उन्हें और पैसे की जरूरत नहीं- उनके हिसाब से ऐसे तो मुकेश अंबानी को भी और पैसों की क्या जरूरत? बहुत खूबसूरत दिखने वाले क्रिकेटर नहीं तो विज्ञापन भी नहीं मिलते। तब ग्राउंड की कमाई के अतिरिक्त भी पैसा चाहिए- खास तौर पर तब जब अच्छा प्रदर्शन करते हैं। धीरे-धीरे गेमिंग की इनामी रकम किसी दिन विज्ञापन की कमाई को भी पार कर जाएगी। गणित देखिए :

भारत दुनिया का सबसे बड़ा फैंटेसी गेमिंग मार्केट और अकेले क्रिकेट में 40,000 करोड़ रुपये क्रिकेट बोर्ड और क्रिकेटरों का इसमें 10% हिस्सा 40 करोड़ रुपये और ये कोई छोटी रकम नहीं मैच की ही बात करें तो प्लेयर ऑफ द मैच के 10-20 लाख रुपये से कहीं ज्यादा भी मिलने लगेंगे

बीसीसीआई, राज्य क्रिकेट बोर्ड और क्रिकेटरों को पैसा मिलेगा बिना किसी कॉन्ट्रैक्ट और बदले में ऐप के लिए कुछ नहीं करना। पैसे से टीडीएस कटेगा यानि कि इनकम टैक्स वालों का लफड़ा भी खत्म। जिसे जो भी पैसा देंगे उसे साफ़-साफ़ ऐप पर बताएंगे। इसलिए खिलाड़ी को ‘मैच फिक्सिंग’ जैसे आरोप से पैसा लेने का डर भी नहीं। उनके सलाहकार में पूर्व क्रिकेटर आकाश चोपड़ा भी हैं। क्रिकेटर या बोर्ड खुद पहले से अलग-अलग फैंटेसी प्लेटफार्म से जुड़े हैं तो वे इसे गलत कैसे कह सकते हैं? ड्रीम 11, भारत का सबसे बड़ा फेंटेसी स्पोर्ट्स प्लेटफार्म है- रोहित शर्मा, हार्दिक पांड्या, आर अश्विन और श्रेयस अय्यर का इससे कॉन्ट्रैक्ट है। इसी तरह विराट कोहली- मोबाइल प्रीमियर लीग (MPL) के साथ जबकि My11Circle में शुभमन गिल और मोहम्मद सिराज हैं। विदेशी खिलाड़ियों को नकद इनाम का मामला अभी कुछ स्पष्ट नहीं। बीसीसीआई अभी तक चुप है।

नया ऐप और नई गेमिंग। मजा लीजिए और नई-नई स्टोरी का इंतजार कीजिए।

– चरनपाल सिंह सोबती

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