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ये महज एक संयोग है कि 28 सितंबर को दिल्ली कैपिटल्स के कप्तान रिषभ पंत के शरीर से लगकर गेंद दूर जाने पर,अश्विन के साथ, रन लेने के मामले में अभी बहस चल ही रही थी कि कुछ ही घंटे बाद, हज़ारों मील दूर, पूनम राउत ने कुछ ऐसा कर दिया कि क्रिकेट की दुनिया हैरान है- क्या आज भी ऐसा करने वाले क्रिकेटर हैं? किसने स्पिरिट ऑफ क्रिकेट को निभाया और किसने तोड़ा?

सबसे पहले उस मामले की बात करते हैं जिसमें आर अश्विन का नाम आ रहा है। ये 28 सितंबर के कोलकाता नाइट राइडर्स- दिल्ली कैपिटल्स मैच की बात है। बहस हुई जिसमें शामिल थे टिम साउथी, इयोन मोर्गन और आर अश्विन- दिनेश कार्तिक ने इसे ख़त्म कराया। बहस हुई कैपिटल्स की पारी के आखिरी ओवर में जब अश्विन को साउथी की पहली गेंद पर आउट कर दिया गया पर मुद्दा था पिछले ओवर की आखिरी गेंद का। हुआ ये कि नॉन-स्ट्राइकर सिरे पर रिषभ पंत को फील्डर राहुल त्रिपाठी द्वारा फेंकी गेंद लगी, गेंद दूर चली गई और अश्विन ने रन की आवाज़ लगा दी।

अब मामला स्पोर्ट्समैनशिप का आ गया कि ऐसी ओवर थ्रो पर रन लेना चाहिए या नहीं? प्लेइंग कंडीशंस नहीं रोकतीं ऐसा रन लेने से। अश्विन का कहना है कि उन्होंने क्रिकेट का कोई कानून नहीं तोड़ा। अश्विन की आलोचना बहुत आसान है पर सोचने वाली बात ये है कि हम उस खिलाड़ी को दोष क्यों देते हैं जो क्रिकेट को उसके नियमों के भीतर खेलता है? खिलाड़ियों को एमसीसी द्वारा बनाए कानून के भीतर खेलने का पूरा अधिकार है। जो भी हुआ उसमें ये स्पष्ट था कि पंत ने जानबूझकर गेंद को डिफ्लेक्ट नहीं किया।

तो आलोचना क्यों? असल में आम तौर पर जब गेंद यूं लगकर दूर जाती है तो बल्लेबाज अतिरिक्त रन नहीं लेते। इस बहस में शामिल मॉर्गन, संयोग से, तब इंग्लैंड के कप्तान थे, जब उनकी टीम ने क्रिकेट इतिहास में सबसे मशहूर ओवर थ्रो का फायदा उठाया। 2019 वर्ल्ड कप फाइनल के अंतिम ओवर में,गेंद बेन स्टोक्स के बैट से टकराई और बॉउंड्री के बाहर चली गई थी। इसी बॉउंड्री ने एकदम इंग्लैंड को जीत का दावेदार बना दिया।

आर अश्विन ने कहा है कि उन्हें नहीं पता था कि गेंद रिषभ पंत के शरीर से लगकर दूर गई- फिर भी वे कहते हैं कि ओवरथ्रो पर रन बनाना उनका हक़ था तो आलोचना क्यों?

क्रिकेट में बल्लेबाज के शरीर पर गेंद लगने के बाद रन, खेल में नियमों के तहत है लेकिन बल्लेबाज आम तौर पर इन अतिरिक्त रन के लिए नहीं दौड़ते। हाँ, अगर गेंद ऐसे में बाउंड्री पार कर जाए तब तो अंपायरों के पास बाउंड्री देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता और बल्लेबाज इससे इंकार नहीं कर सकते ।

मजे की बात ये है कि गेंद पंत के शरीर को लगी और रन लेने में वे भी शामिल थे, तब भीआलोचना सिर्फ उनके पार्टनर अश्विन की हो रही है। असल में अश्विन पहले ही गेंद फेंके जाने से पहले,अपनी क्रीज छोड़ने वाले नॉन-स्ट्राइकर्स को रन आउट करने के मामले में आलोचना झेल रहे हैं- हालांकि वहां भी उन्होंने कोई कानून नहीं तोड़ा। क्रिकेट बिरादरी भी बंट गई है इस मामले में- दिग्गज स्पिनर शेन वार्न ने अश्विन को लताड़ा तो सुनील गावस्कर ,वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर ने अश्विन को समर्थन दिया।

अब आते हैं पूनम राउत के मामले पर। सवाल ये है कि अंपायर आउट न दे,तब भी क्या बेटर का पवेलियन लौट जाना सही है? क्या यह अंपायर के फैसले का अपमान है, एक टीम गेम खेलने के बावजूद बेटर ने अपना स्वार्थ देखा या ये स्पिरिट ऑफ क्रिकेट है?

ऑस्ट्रेलिया बनाम भारत टेस्ट में नॉट आउट दिए जाने के बावजूद पूनम राउत ने दूसरे दिन ईमानदारी का एक बेमिसाल नमूना पेश किया- तब भारत पहली पारी के 81वें ओवर में 217-2 के स्कोर पर अच्छी स्थिति में था। पूनम ने ऑफ स्टंप के बाहर सोफी मोलिनक्स की गेंद को खेला। विकेटकीपर एलिसा हीली के ग्लव्स में गेंद,ऑस्ट्रेलियाई फील्डर ने अपील की लेकिन अंपायर फिलिप गिलेस्पी ने ‘नॉट आउट’ कहा- तब भी पूनम बस पवेलियन चली गईं- ‘वाक आउट’ की लगभग ख़त्म हो चुकी व्यवस्था को पूनम ने नई लाइफ लाइन दे दी।

आज की क्रिकेट में, अंपायर के आउट न देने पर कौन करता है वाक आउट? सचिन तेंदुलकर ने ऐसा कई बार किया- पर हर बार नहीं किया। यही सुनील गावस्कर के बारे में कहा जा सकता है। कमेंट्री के दौरान, सुनील गावस्कर ने खुद बताया कि वर्ल्ड कप में 60 ओवरों में 36 रन बनाने के दौरान वे दूसरी गेंद पर आउट हो गए और चूंकि किसी ने अपील नहीं की थी, इसलिए वह रुके रहे।आज की क्रिकेट में इसे मूर्खता कहने वाले ज्यादा हैं। सबसे मशहूर किस्सा वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में एडम गिलक्रिस्ट का है ।

महिला क्रिकेटरों को तो टेस्ट खेलने के मौके ही कम मिलते हैं- इसे ध्यान में रखते हुए, जो पूनम ने किया वह अनोखा है। पूनम के अपने 12 साल के इंटरनेशनल करियर में सिर्फ चौथा टेस्ट खेल रही थी।

ऐसे पल क्रिकेट और उसके चाहने वालों को छू जाते हैं। एडम गिलक्रिस्ट का कैच 2003 में पोर्ट एलिजाबेथ में अरविंद डी सिल्वा की गेंद को छूने के बाद लपका गया था। गिलक्रिस्ट ने कप की अपनी डायरी में लिखा- मैं खुद के साथ ईमानदार था। ये भी सोचा कि अपना नज़रिया देख रहा हूँ- टीम के प्रति मेरी जिम्मेदारी का क्या होगा?अगर हम यह मैच हार जाते तो मुझे कैसा लगता?’

थामेट्रिकॉन स्टेडियम में सेंचुरी बनाने वाली स्मृति मंधाना ने मैच के बाद कहा- ‘एक बार तो मन में ख्याल आया कि तुमने ऐसा क्यों किया? यह कुछ ऐसा है जिसका हम सभी बहुत सम्मान करते हैं।’ सेवन नेटवर्क के लिए कमेंट्री में पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान लिसा स्टालेकर ने भी तारीफ की।

यह देखते हुए कि ये टेस्ट महिला क्रिकेट में टेस्ट खेलने के दुर्लभ अवसर में से एक था- भारत और ऑस्ट्रेलिया 15 साल में पहली बार एक-दूसरे के विरुद्ध टेस्ट खेल रहे थे, पूनम राउत का फैसला और भी हिम्मत और तारीफ वाला बन जाता है।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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