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ICC वन डे क्रिकेट रेंकिंग में इस समय टॉप बल्लेबाज़ बाबर आज़म और उनका रिकॉर्ड है – 81पारी में 3985 रन 56.9 औसत और 89.6 स्ट्राइक रेट से 14 सेंचुरी के साथ। अगर करियर की पहली 81 पारी का रिकॉर्ड देखें तो आपको ये जानकार हैरानी होगी कि एक बल्लेबाज़ ने इससे भी ज्यादा रन बनाए है – 4041 रन 53.6 औसत और 90.2 स्ट्राइक रेट से 12 सेंचुरी के साथ। जब ये पता लगे कि जिस बल्लेबाज़ का रिकॉर्ड बाबर से भी बेहतर है उसी ने अब इंग्लैंड में काउंटी चैंपियनशिप के एक मैच में एक पूरे दिन बल्लेबाजी करते हुए 278 गेंद पर 37* रन बनाए तो कैसा लगेगा? बात यहीं ख़त्म नहीं होती- इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज की तैयारी शुरू कर चुकी टीम इंडिया को सलाह दी गई कि वे इस 37* के स्कोर वाली इनिंग्स की वीडियो रिकॉर्डिंग देखें!

कौन है ये बल्लेबाज़? और कोई नहीं दक्षिण अफ्रीका के हाशिम अमला। सबसे पहले उनके 37* की बात करते हैं। हैंपशायर के 488 रन के जवाब में सरे की टीम पहली पारी में सिर्फ 72 रन पर आउट हुई। यहां से शुरू हुई मैच ड्रॉ कराने के लिए मेहनत। मैच का आख़िरी दिन और दूसरी पारी में सरे ने 2-6 से आगे खेलना शुरू किया और हर खिलाड़ी ‘गो-स्लो’ में जुट गया। देखिए क्या हुआ :

  • 10 में से सिर्फ एक बल्लेबाज ने 30+ का स्ट्राइक रेट दर्ज़ किया।
  • सरे ने 122-8 स्कोर बनाकर मैच बचा लिया।
  • हेंपशायर ने कुल 63 मेडन फेंके और सरे ने 104.5 ओवर में ये 122 रन बनाए।
  • 1.16 : इस पारी का रन रेट (104.5 ओवर में 122-8) – 2000 के बाद से 100+ ओवर की पारी में दूसरा सबसे कम रन रेट (टॉप पर : 0.99 – 2015 में भारत के विरुद्ध दक्षिण अफ्रीका – टेस्ट बचाने की नाकामयाब कोशिश में 143.1 ओवर में 143 रन, दिल्ली)।

हाशिम अमला ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट की कुछ सबसे धीमी पारी में से एक खेली और द रोज बाउल में आख़िरी पूरे दिन आउट न होकर कुल 278 गेंद पर 37* बनाए। अब देखिए हाशिम अमला के कुछ ख़ास रिकॉर्ड (सभी फर्स्ट क्लास क्रिकेट से) :

  • 278 गेंद : 40 से कम के स्कोर के लिए एक बल्लेबाज के सबसे कम गेंद खेलने का नया रिकॉर्ड ।
  • अमला ने लगभग 6 साल पहले भारत के विरुद्ध एक टेस्ट में सिर्फ 25 रन बनाने के लिए 244 गेंद खेलीं थीं और एबी डिविलियर्स (297 गेंद में 43) के साथ मिलकर हार टालने की कोशिश की थी। टेस्ट में अमला का 10.24 का स्ट्राइक रेट 2008 के बाद से फर्स्ट क्लास क्रिकेट में सबसे कम है (कम से कम 200 गेंद खेलना) और अब सरे वाली पारी (13.30 स्ट्राइक रेट) इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर।
  • अमला – पहली 100 गेंद पर सिर्फ तीन रन।
  • मैच की पहली पारी में 65 गेंद पर 29 रन यानि कि पूरे मैच में 343 गेंद पर 66 रन और स्ट्राइक रेट हुआ 19.24 – पिछले 15 साल में 300+ गेंद खेलने के बाद दूसरा सबसे कम स्ट्राइक रेट (रिकॉर्ड : 19.20, नईम इस्लाम जूनियर, नेशनल क्रिकेट लीग, 2015, विरुद्ध राजशाही डिवीजन, 328 गेंद पर 63 रन)।
  • 40 से कम रन की पारी के लिए सबसे ज्यादा 278 गेंद खेलीं (उनके बाद : 277 गेंद – ट्रेवर बेली (38) इंग्लैंड – ऑस्ट्रेलिया, लीड्स 1953)।
  • 0.72 : अमला – रयान पटेल के बीच चौथे विकेट की पार्टनरशिप का रन रेट,(2010 के बाद से 25+ ओवर की चौथी सबसे धीमी पार्टनरशिप)। अमला और पटेल ने 28.5 ओवर में 21 रन जोड़े – इसमें अमला 2 रन।
  • 125 वीं गेंद तक कोई बाउंड्री शॉट नहीं।
  • 100+ गेंद की सबसे धीमी काउंटी चैम्पियनशिप पारी : ब्रायन हार्डी ने 1974 में चेम्सफोर्ड में एसेक्स – हेम्पशायर मैच में 142 मिनट में 4 रन बनाए (ये कह सकते हैं कि लगभग 125 गेंद खेली होंगी)।
  • बिल स्कॉटन ने 1890 में ग्रेवेसेंड में नॉट्स – केंट के लिए लगभग दो घंटे में 6* रन बनाए (ये कह सकते हैं कि लगभग 130 गेंद खेली होंगी)।
  • डेविड एकफील्ड ने 1983 में लेस्टर में एसेक्स – लेस्टरशायर के लिए 100 मिनट में 1* बनाया।
  • जहां गेंद की गिनती मालूम है (यानि 1997 के बाद से) – साउथम्प्टन 2021 में हेम्पशायर – समरसेट मैच में फेलिक्स ऑर्गन के 108 गेंद पर 7 रन।

अगर बल्लेबाज़ ऐसा खेलेंगे तो गेंदबाज़ी में भी कोई न कोई रिकॉर्ड तो बनेगा ही। खब्बू कीथ बार्कर की गेंदबाज़ी : 22 ओवर में 3-9,17 मेडन – 2001 के बाद से 20+ ओवर में सबसे किफायती गेंदबाजी। अमला ने उनकी 84 गेंद पर 7 रन बनाए यानि कि बाकी 48 गेंदों पर 2 रन।

अब इन सभी रिकॉर्ड को पढ़ने के बाद ये तो साफ़ हो जाता है कि सभी का इरादा धीमी बल्लेबाज़ी के रिकॉर्ड बनाने का नहीं, पिच पर टिक कर मैच को ड्रा की तरफ ले जाने का था। अमला ने कहा – ‘हर बल्लेबाज एक स्कीम में खेला। ये एक लड़ाई थी- हर कोई रन बनाना चाहता है, लेकिन हमारे पास एक वजह थी।’ इस कोशिश के बावजूद, सरे को सीज़न में अपनी टीम की स्थिति बेहतर बनाने में क्या फायदा मिला – ये एक अलग मसला है।

टीम इंडिया को अमला की पारी की रिकॉर्डिंग क्यों देखनी चाहिए? अगर उस दिन सॉउथम्पटन में कोई एक बल्लेबाज़ ऐसे ही पिच पर टिक जाता तो WTC का इतिहास शायद कुछ और ही होता। कुछ तो सीखने को मिलेगा?

  • चरनपाल सिंह सोबती

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