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एशिया के क्रिकेट देशों से दो क्रिकेटर पिछले दिनों विलेन के तौर पर ख़बरों में रहे पर कहीं न कहीं अपने -अपने देश के क्रिकेट सिस्टम के लिए चुनौती बने। इनमें से एक नाम बांग्लादेश के शाकिब अल हसन का है। ये कहना गलत नहीं होगा कि इंटरनेशनल क्रिकेट में जो चर्चा शाकिब को मिली, उनके और किसी क्रिकेटर को नहीं। रिकॉर्ड इसका गवाह है :

  • 57 टेस्ट में 3730 रन 5 सेंचुरी के साथ और 210 विकेट – ICC ऑलराउंडर रैंकिंग में नंबर 5 पर।
  • 212 वन डे इंटरनेशनल में 6455 रन 9 सेंचुरी के साथ और 269 विकेट – ICC ऑलराउंडर रैंकिंग में नंबर 1 पर।
  • 76 टी 20 इंटरनेशनल में 1567 रन और 92 विकेट – ICC ऑलराउंडर रैंकिंग में नंबर 2 पर।
  • इस तरह इस समय तीनों तरह की क्रिकेट में ICC ऑलराउंडर रैंकिंग में टॉप 5 में।

एक ऑलराउंडर के तौर पर आज क्रिकेट में टॉप में से एक पर जिस तरह से उनकी छवि एक विलेन की बनती जा रही है – क्या वे इसके हकदार हैं?

हाल के सालों में वे अपनी क्रिकेट टेलेंट से जितनी चर्चा में रहे – उससे ज्यादा झगड़ों, अंपायरों से बहस, बोर्ड से टकराव और खुलेआम गाइडलाइन्स तोड़ने के लिए। शायद उनका ‘कद’ इतना बड़ा है कि बोर्ड उसे संभाल नहीं पा रहा। मजे की बात ये है कि बांग्लादेश से बाहर खेलते हैं तो बड़े ‘सीधे’ बनकर क्योंकि मालूम है कि यहां उनके नखरे और गुस्से झेलने वाला कोई नहीं। दूसरे शब्दों में ये भी तो संभव है कि बांग्लादेश क्रिकेट के सिस्टम पर वे बौखला जाते हैं? सोचिए कि जो हरकत मीरपुर में डीपीएल में अबाहानी के विरुद्ध मोहम्मडन के लिए खेलते हुए की – क्या उसे कोई आईपीएल में झेलता? वे ऐसे पहले क्रिकेटर भी नहीं हैं जिन्होंने टेलेंट की बदौलत अपने कद को इतना ‘बड़ा’ समझ लिया कि बेकाबू हो गए पर आखिर में इससे नुकसान क्रिकेटर का ही हुआ।

शाकिब ने क्रिकेट में जिन ऊंचाइयों को हासिल किया वह उनका कोई और क्रिकेटर कभी नहीं कर पाया। क्या इससे उन्हें ये हक़ मिल जाता कि वे अपने व्यवहार को शर्मनाक बना दें? ऐसी प्रतिष्ठा पर, जिन विदेशी टी 20 लीग के कॉन्ट्रेक्ट की अकड़ पर वे अपने बोर्ड को अंगूठा दिखाते हैं, धीरे धीरे वे कॉन्ट्रेक्ट मिलने भी बंद हो जाएंगे।मौजूदा घटना पर बोर्ड ने तीन मैचों के लिए सस्पेंड किया, 5 लाख टका का जुर्माना लगाया और उनकी पूरी क्रिकेट की दुनिया में आलोचना हुई। मजे की बात ये है कि उस मोहम्मडन स्पोर्टिंग क्लब लिमिटेड- अबाहानी लिमिटेड मैच के दौरान ऐसा कुछ हुआ ही नहीं था कि वे अपना आपा खो बैठे और बाद में माफी मांगनी पड़ी। शाकिब ने दो गलती कीं :

  • अबाहानी की पारी के पांचवें ओवर में – अंपायर ने एलबीडब्ल्यू की अपील को नहीं माना तो अंपायर से बहस और नॉन स्ट्राइकर सिरे पर स्टंप्स पर लात मारकर उन्हें गिरा दिया।
  • 5 गेंद बाद बारिश के कारण अंपायरों ने खेल रोकने का इशारा किया तो नॉन स्ट्राइकर सिरे के तीन स्टंप उठाए और खतरनाक तरीके से पिच पर फेंक दिए। बाद में अबाहानी के कोच खालिद महमूद के साथ बहस – ये जानते हुए भी कि वे क्रिकेट बोर्ड के डायरेक्टर भी हैं। न तो ऐसा पहली बार हुआ कि गेंदबाज़ खुश नहीं था अंपायर के फैसले से और दूसरे मामले में, वास्तव में, खेल रोके जाने के समय उनकी टीम फायदे की स्थिति में थी। शाकिब की पत्नी के अलावा और किसी ने उनका साथ नहीं दिया – कोई क्यों शाकिब के नखरे झेले? खुद बांग्ला देश बोर्ड भी तय कर ले कि शाकिब को काबू करना है तो ये ज्यादा मुश्किल नहीं। आईपीएल हो या अन्य कोई लीग – वे बोर्ड से मिले NOC की बदौलत ही खेल पाते हैं और बोर्ड के NOC के बिना उनका प्रोफेशनल करियर भी दांव पर लग जाएगा।

शाकिब विवादों के लिए अजनबी नहीं पर ये सिलसिला कब तक चलेगा? कोई खिलाड़ी कभी अपने देश की क्रिकेट से बड़ा नहीं बन पाया – कितने ही करियर इस वजह से खराब हो चुके हैं। टीवी पर एक अश्लील इशारा, स्टेडियम में दर्शक को पीटना, बिना मंजूरी कैरेबियन प्रीमियर लीग में खेलना, सटोरियों की रिपोर्ट करने में देरी, आउट हो जाने के बाद बैट से स्टंप्स को तोड़ना तथा अंपायर के फैसले का विरोध और उससे बहस .. ये हरकतें सिर्फ उनका गैर पेशेवर नजरिया ही दिखाती हैं। सिर्फ बोर्ड को ये तय करना है कि वे उन्हें सुधारना चाहते हैं।

अब इस सबका दूसरा पहलू। आज जो शाकिब की चर्चा है उसमें कहीं न कहीं, बांग्ला देश क्रिकेट बोर्ड पर भी उंगली उठ रही है। क्या शाकिब के गुस्से के लिए बोर्ड का सिस्टम भी कहीं न कहीं जिम्मेदार है ? सच ये है कि शाकिब बांग्लादेश प्रीमियर लीग के अलावा वहीं घरेलू क्रिकेट ज्यादा नहीं खेलते। इस बार एक बड़ी ख़ास बात ये रही कि शाकिब पर जुर्माना लगाने के साथ साथ बोर्ड ने इन घटनाओं में अंपायरों की भूमिका पर भी सवालिया निशान लगाया और जांच का आदेश दिया। वहां क्रिकेट की सबसे प्रभावशाली टीम अबाहानी लिमिटेड और उसके मालिक वहां का एक कामयाब कॉर्पोरेट घराना। वे कई स्पोर्ट्स क्लब के मालिक हैं और उन पर मीडिया में ये आरोप लगता रहता है कि अपने पैसे से अक्सर ऐसा कुछ करा लेते हैं जिससे उन्हें फायदा हो। यहां तक कहा जाता है कि बोर्ड में बड़े पद उन्हें ही मिलते हैं, जिन्हें इस कम्पनी का समर्थन हासिल हो।

इमरान परवेज रिपन और महफुजुर रहमान लिटू उस अबाहानी – मोहम्मडन स्पोर्टिंग मैच के अंपायर थे। अंपायरों की इस जोड़ी ने ही अबाहानी के सबसे ज्यादा मैचों में अंपायरिंग की है। मशहूर इंटरनेशनल अंपायर बुलाए जाने पर भी इन लीग के मैचों के लिए नहीं आते। इसीलिए ये अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि कुछ तो ऐसा था जिस पर शाकिब एकदम भड़क गए। ये ठीक है कि ऐसा व्यवहार शाकिब के साथ फिट नहीं बैठता पर ये भी सच है कि अलग अलग देश में खेलते हुए वे इस तरह की अंपायरिंग देखने के आदी नहीं रहे।

इसीलिए पहली बार बोर्ड ने कहा की मसला सिर्फ शाकिब पर जुर्माना नहीं है – ऊपर से नीचे तक क्रिकेट सिस्टम ठीक करना है। बोर्ड चीफ नजमुल हसन इसके लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा – ‘हम इस टूर्नामेंट की मेजबानी पर लगभग 10 लाख अमेरिकी डालर खर्च कर रहे हैं और तब भी सही क्रिकेट न हो तो क्या फायदा?’ अब ये समय ही बताएगा कि क्या बोर्ड वास्तव में अपने क्रिकेट सिस्टम को कुछ बदल पाया?

  • चरनपाल सिंह सोबती

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