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WTC फाइनल और उससे पहले के कुछ टेस्ट में ओपनर शुभमन गिल के कोई बड़ा स्कोर न बनाने से इंग्लैंड टूर में टीम इंडिया परेशान तो थी पर ये अंदाज़ा नहीं था कि आगे तो और भी बड़ा तमाशा होने वाला है। अचानक ही खबर आई
(तब इंग्लैंड के विरुद्ध टेस्ट सीरीज शुरू होने में लगभग एक महीना बचा था) कि शुभमन के पैर के निचले हिस्से में चोट है। पहले कहा गया कि पहले टेस्ट के लिए उपलब्ध नहीं पर बहुत जल्दी पता लग गया कि उनके लिए तो सीरीज ख़त्म ही समझो। उनके विकल्प की जो चर्चा दबी जुबान में हो रही थी, अब खुले आम होने लगी – मयंक अग्रवाल, लोकेश राहुल या फिर हनुमा विहारी? यहां तक सोचा गया कि अभिमन्यु ईश्वरन को प्रमोशन देकर, रिज़र्व लिस्ट से निकालकर ओपनर बना देंगे। टीम मैनेजमेंट चुप रही और मीडिया में बहस चलती रही।

शुभमन की चोट किसके लिए ओपनर बनने का दरवाजा खोलेगी, टीम इंडिया के लिए ये बड़ा ख़ास सवाल है क्योंकि अगर 5 टेस्ट की सीरीज में इंग्लैंड को अच्छी टक्कर देनी है तो ओपनर का बड़ी पार्टनरशिप देना और गेंद की चमक
उतारना बड़ा जरूरी है। शुभमन के ओपनर बनने से पहले मयंक अग्रवाल ने WTC राउंड में दो डबल सेंचुरी बनाई थीं जबकि राहुल 2019 के बीच से कोई टेस्ट नहीं खेले हैं। सभी क्रिकेट पंडित अपनी अपनी पसंद बता रहे थे।

तभी बम फटा। पता लगा कि टीम मैनेजमेंट तो इनमें से किसी को भी ओपनर के तौर पर फिट नहीं कर पा रही और 28 जून को एक ईमेल भेजकर शुभमन गिल की जगह लेने के लिए बैक अप में दो ओपनर मांग लिए। टीम में 4 विकल्प, तब भी कोई बाहर से चाहिए? तो क्या पहले, इस बारे में, बिना सोचे इंग्लैंड चले गए?

टीम मैनेजमेंट का स्पष्टीकरण – लोकेश राहुल और विहारी मिडिल आर्डर के बल्लेबाज़ हैं और मयंक अग्रवाल सही फार्म में नहीं। अब बचे ईश्वरन- उन्हें तो टेस्ट स्तर का मानते ही नहीं। साथ ही ये भी पता लग गया कि टीम मैनेजमेंट देवदत्त पडिक्कल और पृथ्वी शॉ को मांग रही है। इन दो की मांग कितनी सही है- इस पर चर्चा से पहले इस सवाल का जवाब जरूरी है कि अगर ईश्वरन की योग्यता में विश्वास ही नहीं था तो उसे चुना ही क्यों था? ये तो साफ़ संकेत था कि सेलेक्टर्स ने चुना और टीम पर थोप दिया!

यह फिर से लगभग वैसा ही किस्सा बन गया जैसा रोहित की फिटनेस का था और कप्तान को कुछ मालूम ही नहीं था। यहां तो ये साफ़ है कि टीम मैनेजमेंट की नज़र में टीम में 24 खिलाड़ी चुनने के बावजूद ओपनर सिर्फ रोहित शर्मा बचे- इसलिए गिल को चोट लगने पर उनकी जगह लेने और ओपनर मांग लिए। कपिल देव खुल कर बरसे – जिन्हें चुन कर साथ ले गए ,उन पर अब भरोसा न कर और खिलाड़ी माँगना उनके साथ अन्याय है जिन्हें पहले चुना और जो टूर पार्टी में हैं। बात ठीक है पर कपिल देव शायद 1986 के इंग्लैंड टूर को भूल गए- उन्होंने भी तो मदन लाल को, टूर टीम में न होने के बावजूद सीधे टेस्ट में खिला दिया और टीम में मौजूद मनोज प्रभाकर देखते रह गए।

शुभमन गिल की खराब फिटनेस इतना बड़ा पिटारा खोल देगी ये अंदाजा नहीं था। यहां तो मामला साफ़ है कि टीम ने बता दिया कि जबरदस्ती थोपा गया ईश्वरन को। इंग्लैंड में भारतीय टीम मैनेजमेंट और सेलेक्शन कमेटी के चेयरमैन चेतन शर्मा की सोच बिलकुल अलग अलग निकली – न सिर्फ ये बता दिया कि जब ईश्वरन को चुना तो मीटिंग में विराट मौजूद थे, उनके पृथ्वी शॉ और देवदत्त पडिक्कल को इंग्लैंड भेजने के अनुरोध को भी मानने से इंकार कर दिया।

तो आखिरकार बंगाल के ओपनर अभिमन्यु ईश्वरन ने 2019-20 के साधारण से रणजी सीजन और इंडिया ए के साथ न्यूजीलैंड के निराशाजनक टूर के बावजूद इंग्लैंड गई टीम में स्टैंड-बाय के तौर पर जगह कैसे बनाई? साफ़ है ईश्वरन टेस्ट क्रिकेट के लिए तैयार नहीं। अभिमन्यु ईश्वरन को जेम्स एंडरसन, स्टुअर्ट ब्रॉड, जोफ्रा आर्चर एंड कंपनी के विरुद्ध खेलने के लिए बहुत कच्चा माना जा रहा है। संयोग से इस सारी बहस के समय शॉ और पडिक्कल सीरीज के लिए श्रीलंका में थे और इसके 26 जुलाई को ख़त्म होने के बाद ही दोनों को भेजा जा सकता था तथा पर अब तो वहां भी प्रोग्राम बदल गया है। उसके बाद इंग्लैंड में क्वारंटीन में रहना होगा।

बेहतर क्रिकेट के नज़रिए से शॉ और ईश्वरन की तुलना भी नहीं की जा सकती है- पृथ्वी टैलेंट के मामले में ईश्वरन से मीलों आगे हैं। इसलिए उन्हें पहले ही इंग्लैंड में होना चाहिए था, न कि श्रीलंका में। दूसरी तरफ सेलेक्टर्स मुश्किल में फंस गए हैं- पहले तो पृथ्वी को चुना नहीं और अब चुनना ये मानने जैसा होगा कि ईश्वरन को चुनना गलत था। इससे ईश्वरन अपना बचा- खुचा आत्मविश्वास भी खो देगा। इस तरह शुभमन गिल की ख़राब फिटनेस ने टीम में पूरी तरह से अफरातफरी का माहौल बना दिया।

मजे की बात ये है कि ईश्वरन इस साल फरवरी-मार्च में इंग्लैंड के विरुद्ध घरेलू सीरीज से टीम के साथ हैं। इंग्लैंड में अभी भी चार ओपनर और तब भी दो और की जरूरत – इस सारे नज़ारे ने टीम इंडिया की कोई अच्छी छवि नहीं बनाई। लंबे टूर पर 15 खिलाड़ियों को चुनते हैं- अब तो 24 को चुना, तब भी ये हाल।

अब तो ये भी कहा जा रहा है कि जब से चेतन शर्मा सेलेक्शन कमेटी के चीफ बने हैं (इस साल जनवरी में) टीम मैनेजमेंट और उनकी सोच कई मुद्दों पर अलग रही है। इससे नुकसान किसका हो रहा है? भारतीय क्रिकेट का इतिहास ऐसे किस्सों से भरा है जिनमें कप्तान और सेलेक्शन कमेटी की अलग अलग सोच के कारण तमाशा हुआ। लाला अमरनाथ के कानपुर में जबरदस्ती जस्सू पटेल को खिलाने से आज तक भारतीय क्रिकेट ने बहुत लंबा सफर तय कर लिया है।

  • चरनपाल सिंह सोबती

WTC फाइनल और उससे पहले के कुछ टेस्ट में ओपनर शुभमन गिल के कोई बड़ा स्कोर न बनाने से इंग्लैंड टूर में टीम इंडिया परेशान तो थी पर ये अंदाज़ा नहीं था कि आगे तो और भी बड़ा तमाशा होने वाला है। अचानक ही खबर आई
(तब इंग्लैंड के विरुद्ध टेस्ट सीरीज शुरू होने में लगभग एक महीना बचा था) कि शुभमन के पैर के निचले हिस्से में चोट है। पहले कहा गया कि पहले टेस्ट के लिए उपलब्ध नहीं पर बहुत जल्दी पता लग गया कि उनके लिए तो सीरीज ख़त्म ही समझो। उनके विकल्प की जो चर्चा दबी जुबान में हो रही थी, अब खुले आम होने लगी – मयंक अग्रवाल, लोकेश राहुल या फिर हनुमा विहारी? यहां तक सोचा गया कि अभिमन्यु ईश्वरन को प्रमोशन देकर, रिज़र्व लिस्ट से निकालकर ओपनर बना देंगे। टीम मैनेजमेंट चुप रही और मीडिया में बहस चलती रही।

शुभमन की चोट किसके लिए ओपनर बनने का दरवाजा खोलेगी, टीम इंडिया के लिए ये बड़ा ख़ास सवाल है क्योंकि अगर 5 टेस्ट की सीरीज में इंग्लैंड को अच्छी टक्कर देनी है तो ओपनर का बड़ी पार्टनरशिप देना और गेंद की चमक
उतारना बड़ा जरूरी है। शुभमन के ओपनर बनने से पहले मयंक अग्रवाल ने WTC राउंड में दो डबल सेंचुरी बनाई थीं जबकि राहुल 2019 के बीच से कोई टेस्ट नहीं खेले हैं। सभी क्रिकेट पंडित अपनी अपनी पसंद बता रहे थे।

तभी बम फटा। पता लगा कि टीम मैनेजमेंट तो इनमें से किसी को भी ओपनर के तौर पर फिट नहीं कर पा रही और 28 जून को एक ईमेल भेजकर शुभमन गिल की जगह लेने के लिए बैक अप में दो ओपनर मांग लिए। टीम में 4 विकल्प, तब भी कोई बाहर से चाहिए? तो क्या पहले, इस बारे में, बिना सोचे इंग्लैंड चले गए?

टीम मैनेजमेंट का स्पष्टीकरण – लोकेश राहुल और विहारी मिडिल आर्डर के बल्लेबाज़ हैं और मयंक अग्रवाल सही फार्म में नहीं। अब बचे ईश्वरन- उन्हें तो टेस्ट स्तर का मानते ही नहीं। साथ ही ये भी पता लग गया कि टीम मैनेजमेंट देवदत्त पडिक्कल और पृथ्वी शॉ को मांग रही है। इन दो की मांग कितनी सही है- इस पर चर्चा से पहले इस सवाल का जवाब जरूरी है कि अगर ईश्वरन की योग्यता में विश्वास ही नहीं था तो उसे चुना ही क्यों था? ये तो साफ़ संकेत था कि सेलेक्टर्स ने चुना और टीम पर थोप दिया!

यह फिर से लगभग वैसा ही किस्सा बन गया जैसा रोहित की फिटनेस का था और कप्तान को कुछ मालूम ही नहीं था। यहां तो ये साफ़ है कि टीम मैनेजमेंट की नज़र में टीम में 24 खिलाड़ी चुनने के बावजूद ओपनर सिर्फ रोहित शर्मा बचे- इसलिए गिल को चोट लगने पर उनकी जगह लेने और ओपनर मांग लिए। कपिल देव खुल कर बरसे – जिन्हें चुन कर साथ ले गए ,उन पर अब भरोसा न कर और खिलाड़ी माँगना उनके साथ अन्याय है जिन्हें पहले चुना और जो टूर पार्टी में हैं। बात ठीक है पर कपिल देव शायद 1986 के इंग्लैंड टूर को भूल गए- उन्होंने भी तो मदन लाल को, टूर टीम में न होने के बावजूद सीधे टेस्ट में खिला दिया और टीम में मौजूद मनोज प्रभाकर देखते रह गए।

शुभमन गिल की खराब फिटनेस इतना बड़ा पिटारा खोल देगी ये अंदाजा नहीं था। यहां तो मामला साफ़ है कि टीम ने बता दिया कि जबरदस्ती थोपा गया ईश्वरन को। इंग्लैंड में भारतीय टीम मैनेजमेंट और सेलेक्शन कमेटी के चेयरमैन चेतन शर्मा की सोच बिलकुल अलग अलग निकली – न सिर्फ ये बता दिया कि जब ईश्वरन को चुना तो मीटिंग में विराट मौजूद थे, उनके पृथ्वी शॉ और देवदत्त पडिक्कल को इंग्लैंड भेजने के अनुरोध को भी मानने से इंकार कर दिया।

तो आखिरकार बंगाल के ओपनर अभिमन्यु ईश्वरन ने 2019-20 के साधारण से रणजी सीजन और इंडिया ए के साथ न्यूजीलैंड के निराशाजनक टूर के बावजूद इंग्लैंड गई टीम में स्टैंड-बाय के तौर पर जगह कैसे बनाई? साफ़ है ईश्वरन टेस्ट क्रिकेट के लिए तैयार नहीं। अभिमन्यु ईश्वरन को जेम्स एंडरसन, स्टुअर्ट ब्रॉड, जोफ्रा आर्चर एंड कंपनी के विरुद्ध खेलने के लिए बहुत कच्चा माना जा रहा है। संयोग से इस सारी बहस के समय शॉ और पडिक्कल सीरीज के लिए श्रीलंका में थे और इसके 26 जुलाई को ख़त्म होने के बाद ही दोनों को भेजा जा सकता था तथा पर अब तो वहां भी प्रोग्राम बदल गया है। उसके बाद इंग्लैंड में क्वारंटीन में रहना होगा।

बेहतर क्रिकेट के नज़रिए से शॉ और ईश्वरन की तुलना भी नहीं की जा सकती है- पृथ्वी टैलेंट के मामले में ईश्वरन से मीलों आगे हैं। इसलिए उन्हें पहले ही इंग्लैंड में होना चाहिए था, न कि श्रीलंका में। दूसरी तरफ सेलेक्टर्स मुश्किल में फंस गए हैं- पहले तो पृथ्वी को चुना नहीं और अब चुनना ये मानने जैसा होगा कि ईश्वरन को चुनना गलत था। इससे ईश्वरन अपना बचा- खुचा आत्मविश्वास भी खो देगा। इस तरह शुभमन गिल की ख़राब फिटनेस ने टीम में पूरी तरह से अफरातफरी का माहौल बना दिया।

मजे की बात ये है कि ईश्वरन इस साल फरवरी-मार्च में इंग्लैंड के विरुद्ध घरेलू सीरीज से टीम के साथ हैं। इंग्लैंड में अभी भी चार ओपनर और तब भी दो और की जरूरत – इस सारे नज़ारे ने टीम इंडिया की कोई अच्छी छवि नहीं बनाई। लंबे टूर पर 15 खिलाड़ियों को चुनते हैं- अब तो 24 को चुना, तब भी ये हाल।

अब तो ये भी कहा जा रहा है कि जब से चेतन शर्मा सेलेक्शन कमेटी के चीफ बने हैं (इस साल जनवरी में) टीम मैनेजमेंट और उनकी सोच कई मुद्दों पर अलग रही है। इससे नुकसान किसका हो रहा है? भारतीय क्रिकेट का इतिहास ऐसे किस्सों से भरा है जिनमें कप्तान और सेलेक्शन कमेटी की अलग अलग सोच के कारण तमाशा हुआ। लाला अमरनाथ के कानपुर में जबरदस्ती जस्सू पटेल को खिलाने से आज तक भारतीय क्रिकेट ने बहुत लंबा सफर तय कर लिया है।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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