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टेस्ट टीम बनाना हमेशा एक चुनौती है क्योंकि यहां रन, स्ट्राइक रेट या विकेट की गिनती ही सब कुछ नहीं। किस मौके पर क्या किया उसका ज्यादा महत्व है और एक छोटा योगदान/विकेट भी टेस्ट को नाटकीय मोड़ दे सकता है। याद कीजिए एशेज के पहले टेस्ट में कमिंस की बैटिंग को।पाकिस्तान (5) और दक्षिण अफ्रीका एवं बांग्लादेश (4) ने इतने कम टेस्ट खेले कि उनके खिलाड़ी दावेदार बनने में पीछे रह गए- ये वास्तव में टेस्ट क्रिकेट के लिए एक चिंताजनक संकेत है। टीम तो बनाते ही हैं :

सबसे पहले ओपनर : उस्मान ख्वाजा (13 टेस्ट में 55 की औसत से 1210 रन ) का 2022 में टेस्ट क्रिकेट में वापस आने के बाद से, पहले से कहीं बेहतर खेलना जारी है। इस साल सिडनी में दक्षिण अफ्रीका, अहमदाबाद में भारत और एजबेस्टन में इंग्लैंड के विरुद्ध तीन यादगार शतक- 6 फिफ्टी और भी। इस साल, 1000 रन बनाने वाले अकेले बल्लेबाज।

उनके साथ दूसरे ओपनर रोहित शर्मा (8 टेस्ट में 41+ औसत से 545 रन) क्योंकि उनके रन से ज्यादा कप्तानी में ऐसा खेलने का मुद्दा है जिससे टीम को फायदा हो। 8 पारी तो ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध खेले- उसमें नागपुर में स्पिनिंग पिच पर तब शानदार शतक बनाया जब दोनों टीम से टॉप 6 में से कोई 50 भी पार न कर सका। वेस्टइंडीज के विरुद्ध टूर पर एक और शतक। इस टेस्ट इलेवन के कप्तान बनने के दावेदार।

नंबर 3 कौन होगा? केन विलियमसन (7 टेस्ट में 58 औसत से 696 रन) को चुनें तो विराट कोहली (8 टेस्ट में 55+ औसत से 671 रन) को छोड़ना पड़ेगा। साल की शुरुआत में विलियमसन ने कप्तानी छोड़ दी। वेलिंग्टन में इंग्लैंड द्वारा फॉलोऑन दिए जाने के बाद 1 रन की रोमांचक जीत में 132 बनाकर मैन ऑफ द मैच, श्रीलंका के विरुद्ध नाबाद शतक, दोहरा शतक तथा सिलहट में बांग्लादेश के विरुद्ध शतक। विराट ने भी  टीम के प्रदर्शन पर असर डालने में कोई कमी नहीं रखी और सेंचुरियन टेस्ट में उनके दूसरी पारी के 76 इस बात का सबूत हैं कि वे बल्लेबाजी को किस मुकाम पर ले गए हैं। इसलिए इनमें से किसी एक को अपनी पसंद से चुनेंगे।  

जो रूट (8 टेस्ट में 66 औसत से 787 रन और 18 औसत से 8 विकेट) नंबर 4 होंगे। पैट कमिंस के सामने अपनी पारी की पहली ही गेंद पर रिवर्स रैंप शॉट, वेलिंग्टन में न्यूजीलैंड और एजबेस्टन में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध दो बेहतरीन शतक। अब खेलने में मजा ले रहे हैं- कप्तानी गई तो तनाव भी।

मिडिल आर्डर को इसके बाद ट्रैविस हेड (12 टेस्ट में 43+ औसत से 919 रन) मजबूती देंगे- मेलबर्न में साल में 1000 रन का रिकॉर्ड बनाने से चूक गए। प्रमोशन मिली- अब उपकप्तान। भले ही मशहूरी में टीम के कई दिग्गजों से पीछे लेकिन काम बेमिसाल- वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में उनके 163 रन कौन भूलेगा?

रवींद्र जड़ेजा (7 टेस्ट में 35 औसत से 281 रन और 19 औसत से 33 विकेट) टीम में ऑलराउंडर। वे टीम इंडिया के नंबर 6 और अक्सर एकमात्र स्पिनर। ऑस्ट्रेलिया जैसी टीम के सामने- 4 टेस्ट में 18 औसत से 22 विकेट जिसमें दिल्ली में 7-42 (करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन) और 4 घंटे में कीमती 70 रन भी। वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में 48 रन तो 3-58 भी। फील्डिंग भी शानदार रहती है।

लोर्कन टकर (4 टेस्ट में 44 औसत से 351 रन, विकेटकीपर- 7 आउट) का नाम पढ़कर झटका लग सकता है क्योंकि मशहूर नहीं और आयरलैंड पर ध्यान कौन देता है? टकर के 4 टेस्ट में रन,13 टेस्ट खेले एलेक्स कैरी से कहीं बेहतर हैं। और मजेदार बात- सिर्फ 19 फर्स्ट क्लास मैच का करियर जिसमें बार-बार कहते रहे कि अभी तो टेस्ट क्रिकेट सीख रहे हैं। मीरपुर में, स्कोर 51-5 था तो अपना पहला 100 बनाया, गॉल में श्रीलंका की हार में 80 रन और लॉर्ड्स में इंग्लैंड के विरुद्ध 44 रन। उनकी जगह पाकिस्तान के रिजवान (2 टेस्ट में 127) भी दावेदार लिस्ट में आ सकते हैं।

अब आती है गेंदबाजों की बारी। लिस्ट में पहला नाम रविचंद्रन अश्विन (7 टेस्ट में 24 की औसत से 150 रन और 17+ औसत से 41 विकेट) और तब भी कई टेस्ट में प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं मिली- ख़ास तौर पर डब्ल्यूटीसी फाइनल जो शायद भारत की हार की वजह बना। ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध सीरीज में 18 की औसत से 25 विकेट लिए। विदेश में टीम की पहली पसंद नहीं हैं और सेंचुरियन टेस्ट ने इस दलील को और मजबूती दी।

पेस अटैक पैट कमिंस (11 टेस्ट में 15+ औसत से 254 रन और 27 औसत पर 42 विकेट) से शुरू- एजबेस्टन में उनके 44* ने इंग्लैंड से पहला एशेज टेस्ट छीन लिया और आखिर में एशेज का फैसला किया। कप्तान बनने के लिए सभी के फेवरिट नहीं थे पर वर्ल्ड टेस्ट चैंपियन जीते और और एशेज भी। इस साल की टीम के कप्तान के वे भी दावेदार हैं और रोहित और उनमें से किसी को भी अपनी पसंद से कप्तान बनाएंगे। 

मिशेल स्टार्क (9 टेस्ट में 165 रन और 29 औसत पर 38 विकेट)- 8 साल बाद आईपीएल कॉन्ट्रैक्ट, कीमत 24+ करोड़ रुपये- ये जिक्र इसलिए कि अगर इन सब सालों में पूरा ध्यान ऑस्ट्रेलिया के लिए खेलने पर न लगाया होता तो कितना कमा सकते थे? इंग्लैंड गए जहां रिकॉर्ड औसत दर्जे का था और टीम में जगह भी तय नहीं थी- दो महीने बाद लौटे तो एशेज में 27 औसत पर 23 विकेट के रिकॉर्ड के साथ। हो सकता है रिटायर हो चुके स्टुअर्ट ब्रॉड (11 टेस्ट में 112 रन और 26 औसत पर 38 विकेट) को चुनना सभी को पसंद न आए- मार्क वुड उनसे तेज, क्रिस वोक्स ने विकेट सस्ते में लिए और जोश हेजलवुड का स्ट्राइक रेट कम, तब भी ब्रॉड को चुन रहे हैं, उनकी टेस्ट पर असर डालने की पहचान से- लाबुशेन को पहली गेंद पर आउट करना, लॉर्ड्स में जॉनी बेयरस्टो का रन-आउट, आख़िरी गेंद पर 6 लगाया, बेल्स स्विच और आखिरी दो विकेट- ये सब कभी भूलेंगे नहीं। तेज गेंदबाज में सबसे ज्यादा विकेट उनके थे- कमिंस ने साल के आख़िरी टेस्ट में रिकॉर्ड उनसे छीना।

तो बन गई साल की टेस्ट इलेवन।

चरनपाल सिंह सोबती

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