कितनी हैरानी की बात है कि 3 मार्च 2021 को PSL बीच में रुक गई और 2 मई को IPL 2021 बीच में रुक गई। दोनों PCB और BCCI को अपने सबसे चर्चित और पैसा लाने वाले टी 20 टूर्नामेंट के बीच में रुकने पर जोरदार झटका लगा – ख़ास तौर पर टूर्नामेंट आयोजित करने की समझ पर सवालिया निशान लगा। समानता यहीं ख़त्म नहीं होती – दोनों लीग पूरी होने जा रही हैं UAE में। ये तो ठीक है कि UAE में कोविड का प्रकोप कम है पर ये भी तो सच है कि इस प्रकोप से बचने के लिए ही तो बायो बबल बनाया था। अगली समानता ये कि इन दोनों लीग में बायो बबल फेल हुआ – जैसा ‘वाटर टाइट’ होना चाहिए था, वैसा नहीं था।
IPL : कोविड संकट सामने देखकर भी BCCI वाले कहते रहे ‘आल इज वैल’ और चेतावनी के संकेत अनदेखा करने का कोई फायदा नहीं हुआ। सिस्टम फेल हुआ। देश में बढ़ रहे लाशों के ढेर और चारों तरफ खतरे के बावजूद सावधानी में कमी रही। शुरू में ही गवर्निंग काउंसिल की सलाह थी कि इस साल भी UAE में खेल लो पर नहीं माने। पिछले सीजन के वहां के सफल आयोजन के बावजूद सिर्फ ये साबित करने में लगे रहे कि बोर्ड खुद इन हालत में भी कामयाब आईपीएल आयोजित कर सकता है और उसी में मुंह की खानी पड़ी।
अगर भारत में ही खेलना था तो टीमों को एक शहर से दूसरे शहर नहीं भेजना था। एयरपोर्ट पर वायरस की चपेट में आने के खतरे के बारे में मालूम था तब भी :
* सब मैच मुंबई में नहीं खेले – क्या इसलिए कि तब बोर्ड सेक्रेटरी जय शॉ के शहर अहमदाबाद को आईपीएल के ख़ास मैच कैसे मिलते? * 6 वेन्यू चुन लिए और IPL काफिले के ट्रांसफर का जोखिम मोल ले लिया। 6 शहरों में 60 मैचों का 52 दिन का टूर्नामेंट। * उस पर कोई सख्ती नहीं और कई बार बायो बबल में छेद हुआ।
अगर मैच खाली स्टेडियम में ही खेलना है तो भारत में खेले या UAE में उससे क्या फर्क पड़ता? अब तो ये भी पता लग गया है कि खुद बायो बबल भी एक तमाशा था। BCCI को सलाह दी गई थी कि IPL के लिए फुटबाल की इंडियन सुपर लीग (IS) के इंतज़ाम को देखो – उनके लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज ग्रुप की एक कंपनी ने फोकल बायो-सिक्योर एयर पॉकेट बनाया था। 20 नवंबर, 2020 से 13 मार्च, 2021 तक 114 दिन ये लीग चली पर ये एयर पॉकेट 195 दिनों तक चला। BCCI ने इसे नहीं माना। नतीजा सामने है।
PSL : PCB ने कई सही फैसले लिए पर हर गलती/ ढील भारी पड़ी। वहां क्या हुआ ये जानने के लिए, अब बचे मैचों के लिए UAE में जो इंतज़ाम किया है, उसे देखते हैं। फर्क अपने आप पता लग जाएगा। UAE में बायो बबल की मैनेजमेंट यू के की सिक्योरिटी – आई टी कंपनी रेस्ट्रेटा को दी है – IPL के 13 वें सीजन के बायो-बबल का कॉन्ट्रेक्ट BCCI ने भी इसी कंपनी को दिया था और एक भी गड़बड़ नहीं हुई। सख्ती थी पर किसी को शिकायत नहीं थी। PCB ने खुद माना है कि कराची की तुलना में अबू धाबी में ज्यादा ध्यान रखेंगे। क्या इंतज़ाम है अबू धाबी में PSL के लिए : * चूँकि खिलाड़ी और स्टाफ अलग अलग जगह से आए और ऐसे में इन पर क्वारंटीन के अलग अलग दिन लागू किए – कराची में सिर्फ तीन दिन का क्वारंटीन था।* जिस दिन पहुंचे – टेस्ट। बायो बबल में शामिल होने के पहले 7 दिनों में तीन और टेस्ट। जो दक्षिण अफ्रीका और भारत से आए – उनका 8/9 वें दिन एक और टेस्ट। * होटलों में क्वारंटीन सख्ती से लागू और कोई भी किसी से नहीं मिल सकता।* अलग अलग दिन अबू धाबी पहुँचने वालों को टीम होटल में भी अलग फ्लोर पर रखा।
* जो पहले कोविड पॉजिटिव हो चुका है या वैक्सीन के दोनों शॉट लगवा लिए – उसका भी कोई लिहाज नहीं।
* लीग के दौरान कभी भी टेम्परेचर और लक्षणों की जांच।
* लीग के लिए तीन बबल – बबल ए खिलाड़ियों,सपोर्ट स्टाफ, मैच ऑफिशियल, होटल स्टाफ और PCB अधिकारियों के लिए। * कराची के उलट टीमें अलग-अलग होटल में (प्रति होटल दो टीम, अलग-अलग मंजिल पर) और उनका हर इंतज़ज़म अलग अलग – कराची में सभी 6 टीम एक होटल में ठहरी थीं, परिवार साथ रहे तथा सफर करते थे। इस बार परिवार साथ हैं ही नहीं। * बबल बी – अलग होटल में ब्रॉडकास्ट प्रोडक्शन क्रू और इवेंट मैनेजमेंट स्टाफ के लिए ।
* बबल सी – ग्राउंड स्टाफ के लिए।
* जीपीएस फोब ट्रैकिंग डिवाइस – तीनों बबल में शामिल हर एक के पास है ये। इन्हें स्विमिंग, ट्रेनिंग और खेल के अतिरिक्त हर वक़्त समय पहनना होगा। ये ट्रैकिंग दूसरों के साथ लाइव इंटरैक्शन का पता लगाने के लिए है। जैसे ही बायो बबल तोड़ा – ये डिवाइस कण्ट्रोल रूम में घंटी बजा देगी। ये डिवाइस तो ये भी बता देगी कि कौन कौन उसके करीब आया। कराची में, हर टीम के साथ एक कोविड अधिकारी था और वही सब ध्यान रख रहा था।
* कराची के नेशनल स्टेडियम में 20% क्षमता के दर्शक की इजाजत थी जिसे एक हफ्ते बाद बढ़ाकर 50% कर दिया। अगर टूर्नामेंट को बीच में नहीं रोकते तो 75% क्षमता को लक्ष्य बना रखा था। अबू धाबी में स्टेडियम में दर्शक हैं ही नहीं।
दोनों बोर्ड सफलता से अपनी अपनी लीग पूरी कर सकें – आखिरी इरादा तो यही है।
– चरनपाल सिंह सोबती