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इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के लिए एशेज कितनी ख़ास है- इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि जब ओवल में डब्ल्यूटीसी फाइनल खेला जा रहा था तो भी इन दोनों देश का  क्रिकेट मीडिया एशेज की ज्यादा चर्चा कर रहा था- न कि फाइनल की। इस इंग्लिश समर का इंग्लैंड के लिए सबसे बड़ा आकर्षण एशेज है और ऑस्ट्रेलिया ने भी इंग्लिश टूर शुरू होते ही कह दिया था कि ये एशेज टूर है और ओवल में भारत के विरुद्ध टेस्ट उसमें एक पड़ाव है।

सीरीज शुरू होने में ज्यादा दिन नहीं बचे- पहला टेस्ट 16-20 जून, एजबेस्टन, दूसरा टेस्ट 28 जून से 2 जुलाई, लॉर्ड्स, तीसरा टेस्ट 6-10 जुलाई, हेडिंग्ले, चौथा टेस्ट जुलाई 19-23, ओल्ड ट्रैफर्ड और पांचवां टेस्ट 27-31 जुलाई, द ओवल। ये इंग्लैंड ही है जहां, हर दिन सुबह 11 बजे खेल शुरू होता है- शाम 6 बजे तक और जरूरत हो तो खेल शाम 6.30 बजे तक जारी रह सकता है। इंग्लैंड में दिन लंबा होता है और इतनी देर तक खेल जारी रह सकता है। इस बार की एशेज की एक ख़ास बात और है- शेन वॉर्न के निधन के बाद यह पहली एशेज है। शेन न सिर्फ एशेज खेले, कई एशेज सीरीज में कमेंटेटर भी थे।

बड़ी अजीब है एशेज की शुरुआत की कहानी। 1882 में, दोनों टीमों के बीच पहले टेस्ट के पांच साल बाद, ऑस्ट्रेलिया ने ओवल में 7 रन से जीत हासिल की। इंग्लैंड की हार, हालांकि 85 सिर्फ रन बनाने थे जीत के लिए ऐसा बड़ा झटका थी कि द स्पोर्टिंग टाइम्स ने तो इसे इंग्लिश क्रिकेट की ‘मौत’ ही मान लिया और श्रद्धांजलि छाप दी। इसी में लिखा था कि ‘शव का अंतिम संस्कार किया जाएगा और राख को ऑस्ट्रेलिया ले जाया जाएगा’।

जब टीमें अगली बार 1883 की शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया में अगली सीरीज खेलीं तो इंग्लैंड ने सीरीज जीत ली और तब उन्हें राख रखने वाले चार इंच लंबे टेराकोटा कलश को गिफ्ट किया गया जिसमें ‘राख’ थी- क्या जलाया कोई नहीं जानता पर आम तौर पर मानते ये हैं कि स्टंप्स पर रखी बेल्स को जलाया था। तब से एशेज एक बड़ी प्रतिद्वंद्विता की मिसाल बन गई- क्रिकेट खेलने वाले दो सबसे पुराने टेस्ट देश के बीच। यहां तक कि इसे देश के सम्मान के साथ जोड़ दिया। बॉडीलाइन टूर, डॉन ब्रॅडमन के आख़िरी पारी के 0, वार्न की बॉल ऑफ द सेंचुरी और 2005 की अविश्वसनीय सीरीज जैसी कई यादें जुड़ी हैं इसके साथ। मजे की बात ये है कि एशेज सीरीज का ऑफिशियल विजेता कोई भी टीम हो- एशेज का वह कलश एमसीसी म्यूजियम में ही रखा रहता है और अब तो, समय के साथ, इसकी हालत इतनी खस्ता हो गई है कि अब इसे वहां से हटाने पर इसके टूटने का ख़तरा है।

ऑफिशियल तौर पर इस समय एशेज ऑस्ट्रेलिया के पास है- 2021-22 की अपनी समर में, अपनी पिचों पर, पिछली सीरीज 4-0 से जीती थी। रोरी बर्न्स सीरीज की पहली गेंद पर ऐसे बोल्ड हुए कि इंग्लैंड पूरी सीरीज में दबाव से नहीं निकल पाया- सभी 5 टेस्ट में दोनों पारी में आउट और भले ही सिडनी टेस्ट ड्रा किया, 6 मौकों पर 200 से भी कम पर आउट हुए।

हाल का इतिहास, इस बात का संकेत है कि टूर में एशेज सीरीज जीतना बड़ा मुश्किल हो गया है। 2019 में इंग्लैंड में पिछली सीरीज 2-2 पर ड्रा रही थी पर चूंकि यदि कोई सीरीज ड्रा हो जाती है, तो एशेज उसी के पास रहती है जिसके पास है- इसलिए 2019 में भी एशेज ऑस्ट्रेलिया के पास रही। इंग्लैंड ने 2015 से एशेज को नहीं जीता है। अब तक सबसे ज्यादा एशेज को ऑस्ट्रेलिया ने जीता है- 34 सीरीज। इंग्लैंड ने 32 सीरीज को जीता और 6 ड्रॉ रही हैं। टेस्ट की गिनती देखें तो 340 में से ऑस्ट्रेलिया ने 140 और इंग्लैंड ने 108 टेस्ट जीते जबकि 92 टेस्ट ड्रॉ रहे।

अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या इस बार एशेज जीत पाएगा इंग्लैंड? क्या ऑस्ट्रेलिया के जीत के अभियान को रोक पाएगी इंग्लिश टीम? इस उम्मीद की सबसे बड़ी वजह- इंग्लैंड की टेस्ट क्रिकेट पिछले एक साल में पूरी तरह से बदल गई है। मार्च 2022 में वेस्टइंडीज में सीरीज हारने के बाद, रिकॉर्ड ये था कि इंग्लैंड ने अपने पिछले 17 टेस्ट में से एक जीता था- उस पर जो रूट ने कप्तानी छोड़ दी और टीम के साथ कोई पक्का चीफ कोच भी नहीं था। ऐसे में- रॉब की नए क्रिकेट डायरेक्टर बने और उन्होंने फ़ौरन  स्टोक्स को नया कप्तान बनाया और एंट्री हुई ब्रेंडन ‘बाज’ मैकुलम की। मैकुलम और स्टोक्स के साथ 11 टेस्ट में 10  जीत दर्ज कर चुके हैं। दूसरी तरफ ऑस्ट्रेलिया की फॉर्म- जस्टिन लैंगर ने पिछली एशेज के तीन हफ्ते बाद चीफ कोच से इस्तीफा दे दिया और वहां से ओवल में टाइटल जीत के बाद एशेज के लिए तैयार हैं।

इस बार की एशेज की एक ख़ास बात और- एशेज इतिहास में पहली बार अगस्त से पहले एशेज सीरीज खत्म भी हो जाएगी। इसके अतिरिक्त सीजन में महिला एशेज को भी खेलना है- एक टेस्ट, तीन टी20ई और तीन वनडे- ज्यादा पॉइंट्स हासिल करने वाली टीम विजेता। टेस्ट 22-26 जून, ट्रेंट ब्रिज,पहला टी20 1 जुलाई, एजबेस्टन, दूसरा टी20 5 जुलाई, द ओवल, तीसरा टी20 8 जुलाई, लॉर्ड्स, पहला वनडे 12 जुलाई, काउंटी ग्राउंड, ब्रिस्टल, दूसरा वनडे 16 जुलाई, एजेस बाउल और तीसरा वनडे 18 जुलाई, काउंटी ग्राउंड, टॉन्टन में। 

  • चरनपाल सिंह सोबती

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