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नई ख़ास खबर :

  • बेन स्टोक्स अगले साल आईपीएल में खेलने के लिए तैयार। उन्हें 2021 में राजस्थान रॉयल्स ने 1.3 मिलियन पाउंड से रिलीज कर दिया था और मेंटल हेल्थ की बात पर, इस साल भी आईपीएल में नहीं खेले थे।  
  • पैट कमिंस अगले साल आईपीएल नहीं खेलेंगे- इंटरनेशनल क्रिकेट के प्रोग्राम और कप्तान की ड्यूटी उनकी पहली वरीयता है। कोलकाता नाइट राइडर्स का कॉन्ट्रैक्ट 7.25 करोड़ रुपये का है।  
  • इंग्लैंड के विकेटकीपर बल्लेबाज सैम बिलिंग्स टेस्ट क्रिकेट पर ध्यान देने के लिए- अगले साल आईपीएल में नहीं खेलेंगे। *इंग्लैंड के ओपनर एलेक्स हेल्स इंटरनेशनल वाइट बॉल करियर पर ध्यान देने के लिए- अगले साल आईपीएल में नहीं खेलेंगे। 

तो क्या है आईपीएल- किसी के लिए जरूरत तो किसी के लिए रुकावट? टीम इंडिया के लिए इसका क्या महत्व है? एडिलेड ओवल में सेमीफाइनल में इंग्लैंड से 10 विकेट की हार के बाद पाकिस्तान के दिग्गज वसीम अकरम ने दो मुद्दे उठाए। पहला- आईपीएल की शुरुआत के बाद से, मेन इन ब्लू ने कभी भी टी20 वर्ल्ड कप नहीं जीता है। रिकॉर्ड तो सही है। कहां तो ये सोचते थे कि आईपीएल से  भारत और अन्य टीमों के बीच बड़ा अंतर आएगा- ज्यादा टी20 खेलेंगे तो बेहतर क्रिकेटर बनेंगे। हुआ उलट। आईपीएल 2008 में शुरू- भारत ने इससे पहले 2007 में टी20 वर्ल्ड टूर्नामेंट जीता था। आईपीएल के  बाद से, 2011 में वर्ल्ड कप जीता लेकिन वह 50 ओवर का था।

दूसरा- अगर भारतीय खिलाड़ी आईपीएल के अलावा और दूसरी विदेशी लीग भी खेलें तो इससे उनके टी20 खेलने का तरीका बदलेगा। कैसे फायदा होगा- आईपीएल बड़ा है एक्सपोजर के लिए लेकिन अलग-अलग परिस्थितियों में खेलने से फर्क पड़ता है। किसी भी क्रिकेट टीम में ‘विदेशी खिलाड़ी’ के तौर पर खेलें तो अपने आप अतिरिक्त जिम्मेदारी आ जाती है, सोच बन जाती है- अच्छा खेलना है और अन्य दूसरे, टॉप विश्व स्तर के खिलाड़ियों के साथ ड्रेसिंग रूम साझा करते हुए, उनसे बेहतर क्रिकेट के बारे में बहुत कुछ सीखने का मौका मिलता है।  
असल में आईपीएल के महत्व और जरूरत की परिभाषा अलग-अलग है। ये अगर टी20 क्रिकेट की ट्रेनिंग है तो एक मेगा इवेंट के तौर पर कारोबार भी। ये अब साफ़ हो गया है कि आईपीएल का दबाव- किसी इंटरनेशनल नॉकआउट राउंड के मुकाबले में कुछ भी नहीं। केएल राहुल, रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे टॉप खिलाड़ी भी जिस ‘फ्रीडम’ से आईपीएल खेलते हैं- इंटरनेशनल टूर्नामेंट नहीं खेल रहे। हर बार सूर्य कुमार यादव या हार्दिक पांड्या ही क्यों रन रेट तेज करें?

चूंकि भारतीय खिलाड़ी आईपीएल खेलते हैं इसलिए टी20 के टॉप क्रिकेटर हैं- ये सोच बदलनी होगी। अगर ऐसा होता तो इंग्लैंड को हर फीफा वर्ल्ड कप फाइनल में इसलिए होना चाहिए क्योंकि वहां दुनिया की सबसे मशहूर फुटबॉल लीग खेलते हैं। रोहित शर्मा 5 आईपीएल टाइटल जीतने वाले कप्तान हैं पर अभी तक एक टॉप इंटरनेशनल कप्तान की छवि से बहुत पीछे। आईपीएल क्रिकेट में एक व्यापार है- क्रिकेट की नर्सरी नहीं। विराट कोहली आईपीएल की वजह से दुनिया के टॉप बल्लेबाज नहीं गिने गए- आईपीएल दुनिया की सबसे बेहतरीन टी20 लीग में से एक है क्योंकि इसमें विराट कोहली खेलते हैं।

तो भारत के खिलाड़ियों को अन्य दूसरी लीग में क्यों खेलने नहीं देते? इसमें दिक्कत क्या है? पीएसएल, बीबीएल, द हंड्रेड, एसए20 और सीपीएल आदि भारतीय खिलाड़ी की ग्लोबल टूर्नामेंट में मदद कर सकते हैं। भारत की टीम दुनिया भर में दो टीम वाली क्रिकेट खेलती है- रिकॉर्ड भी अच्छा है और उसी दम पर टीम चुनते हैं पर वही खिलाड़ी चुनौती आने पर मात खा जाते हैं। तब दोष निकालने का सिलसिला शुरू हो जाता है।

हैड कोच राहुल द्रविड़ ने कहा भारत के खिलाड़ियों को विदेशी टी20 लीग खेलने जाने देना, देश के घरेलू फर्स्ट क्लास सर्किट और बदले में पूरे टेस्ट क्रिकेट के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है। उनकी बात में दम है पर अनिल कुंबले को लगता है इसे आजमाया जा सकता है। 2022 टी20 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड से हार के बाद ये बहस इसलिए तेज हुई क्योंकि इंग्लैंड टीम में 9 ऐसे खिलाड़ी थे जो ऑस्ट्रेलिया की बिग बैश लीग में नियमित खेलते हैं (सिर्फ मोइन अली और सैम क्यूरन नहीं खेलते) और वे परिस्थितियों का बेहतर फायदा उठा सके जबकि टीम इंडिया के खिलाड़ी इस मामले में जीरो रहे।

मैच जीतने वाले 86* बनाने वाले एलेक्स हेल्स पिछले सीजन में सिडनी थंडर के लिए बीबीएल में 13 मैच खेले थे (148.44 के स्ट्राइक रेट से 383 रन)- हेल्स इंग्लैंड में भी नॉटिंघमशायर के  लिए सिर्फ वाइट बॉल क्रिकेट खेलते हैं। बटलर भले ही इस टूर्नामेंट में नहीं खेले पर उसी दौरान एशेज खेलने वाली इंग्लैंड टीम का हिस्सा थे- इतना ही नहीं, आईपीएल और अन्य दूसरी टी20 लीग में खेलते हैं। सच तो ये है कि जब दाविद मालन और मार्क वुड चोट के कारण बाहर हुए तो उनकी जगह फिल साल्ट और क्रिस जॉर्डन टीम में आए और ये एडिलेड स्ट्राइकर्स के लिए खेले हैं और एडिलेड ओवल उनका ‘होम’ ग्राउंड है। इसकी तुलना में, बीसीसीआई की पॉलिसी है- विदेशी टी20 लीग में तब तक नहीं खेल सकते जब तक पेशेवर तौर पर बीसीसीआई द्वारा आयोजित क्रिकेट से पूरी तरह रिटायर नहीं हो जाते।

कुंबले ने कहा अगले टी20 वर्ल्ड कप से पहले कुछ युवा खिलाड़ियों को विदेशी टी20 लीग में खेलने का मौका देना गलत नहीं होगा- ‘एक्सपोजर मदद करता है। ठीक उसी तरह जैसे विदेशी खिलाड़ी जब आईपीएल खेलने आते हैं तो युवा खिलाड़ियों को मदद मिलती है।’ द्रविड़ भी मानते हैं कि दुनिया भर में फ्रैंचाइज़ी टी20 सर्किट पर खेलने से लाभ होगा, लेकिन वह ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहेंगे जिससे देश में टेस्ट क्रिकेट पर उलटा असर आए। वे अपनी दलील के समर्थन में, वेस्टइंडीज क्रिकेट की मिसाल देते हैं जहां खिलाड़ियों के विदेशी लीग में चले जाने से घरेलू क्रिकेट और उससे टेस्ट क्रिकेट का स्तर बुरी तरह गिरा।

इसी तरह इस बार एक नई चर्चा शुरू हुई- टी20 टीम को एंकर की जरूरत है। जो इस जरूरत की वकालत करते हैं, वे समझ लें कि टी20 टीम में एक से ज्यादा एंकर की जरूरत नहीं होती है- उस नाते रोहित, राहुल, कोहली और हुड्डा जैसों में से एक को खेलना चाहिए, सभी को नहीं।

जिस एक और मुद्दे पर भारत में सोच खोखली साबित हो रही है, वह है ‘वर्कलोड मैनेजमेंट’ का। सुनील गावस्कर भी उस लिस्ट में शामिल हो गए जो ये कहते हैं कि खिलाड़ी तब वर्कलोड की बात नहीं करते जब आईपीएल में खेलते हैं। गावस्कर ने लिखा- ‘जब आईपीएल खेलते हैं, पूरा सीजन खेलते हैं, ट्रैवलिंग करते हैं…(सिर्फ पिछला आईपीएल 4 सेंटर्स में था), इधर-उधर दौड़ते रहते हैं- तब न थकते हैं और न काम का बोझ होता है। सिर्फ जब भारत के लिए खेलना होता है, वह भी तब जब नॉन-ग्लैमरस कंट्रीज में जाते हैं, तो वर्कलोड बन जाता है। ये बात गलत है।’

वे तो कहते हैं- ऐसों के साथ कोई ‘लाड़’ नहीं किया जाना चाहिए, और बीसीसीआई को क्रिकेटरों को एक मजबूत संदेश भेजने की जरूरत है। जो कहे वर्कलोड है, उसकी उतने दिन की रिटेनर फीस काट लो- सब अपने आप फिट/ठीक हो जाएंगे।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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