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चारों ओर इंग्लैंड के टी20 वर्ल्ड कप चैंपियन बनने की चर्चा है- सही मायने में उनके चैंपियन बनने के तरीके की चर्चा है। ये तरीका यानि कि टी20 खेलने का वह सही तरीका जिसे उनके कोच/थिंक टैंक ने पहचाना और टीम ने अपनाया जबकि भारत/पाकिस्तान जैसी टीम पारंपरिक तरीके से ही खेलती रह गईं। 2019 में 50 ओवर क्रिकेट का वर्ल्ड कप और 2022 में 20 ओवर क्रिकेट का वर्ल्ड कप- कामयाबी का इससे बड़ा पैमाना क्या होगा? तो क्या इस रिकॉर्ड पर इंग्लैंड को अब तक की सबसे कामयाब वाइट बॉल क्रिकेट टीम में से एक कह दें? वे सर्वश्रेष्ठ में से एक तो हैं पर टॉप पर नहीं।

इंग्लैंड में भी ये माना जा रहा है कि सर्वश्रेष्ठ वाइट बॉल क्रिकेट टीम में से एक कहलाने के लिए इंग्लैंड को एक ट्रॉफी और जीतनी होगी- तब ऑस्ट्रेलिया से बराबरी की बात आएगी। एक और ट्रॉफी जीतना है तो सबसे पहले जोस बटलर और इंग्लैंड मैनेजमेंट को बेन स्टोक्स को तैयार करना होगा कि वे 50 ओवर क्रिकेट से रिटायर होने का अपना फैसला बदलें। तब कहीं तीसरी ट्रॉफी जीतने की बात शुरू होगी और तीसरी ट्रॉफी जिसे वे जीतना चाहेंगे- अगले साल का 50 ओवर वर्ल्ड कप। वास्तव में, इंग्लैंड को अपने टाइटल का बचाव करना होगा।

मेलबर्न में टी20 वर्ल्ड कप फाइनल ने फिर से साबित कर दिया कि इंग्लैंड को अभी भी स्टोक्स की कितनी जरूरत है- ख़ास तौर पर जब नंबर 2 पर बैटिंग कर रहे हों। अपनी फिटनेस/ वर्कलोड को देखते हुए स्टोक्स ने इस समर में 50 ओवर के क्रिकेट से रिटायर होने का फैसला लिया था। अब उनके इस फैसले को अलग तरह से देखने की जरूरत है। ये तो मानना होगा कि बेतुके मैचों को रोकना होगा- अब देखिए इंग्लिश मैनेजमेंट ने अपनी टीम को टी20 क्रिकेट के सबसे बड़े टाइटल का जश्न मनाने के लिए सिर्फ 4 दिन दिए और एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध एक बिना मतलब की वनडे सीरीज शुरू हो गई। अगर स्टोक्स ऐसे मैचों में नहीं खेलना चाहते तो वे सही हैं। इंग्लैंड को ऐसे मैचों के लिए नहीं, वर्ल्ड कप के लिए स्टोक्स की जरूरत है। संयोग से अगले साल लगभग इन्हीं दिनों में वह वर्ल्ड कप चल रहा होगा और तब तक एशेज ख़त्म हो जाएगी और स्टोक्स वर्ल्ड कप में पूरे आराम और जोश से खेल सकते हैं।

अगर स्टोक्स 50 ओवर इंटरनेशनल क्रिकेट में लौटने का फैसला ले भी लेते हैं तो यह इंग्लैंड को देखना होगा कि उन्हें कब खिलाना है? इंग्लैंड का वाइट बॉल क्रिकेट प्रोग्राम- 2020 के कोविड टूर को पूरा करने जनवरी में दक्षिण अफ्रीका और मार्च में बांग्लादेश- ये दो ऐसे टूर हैं जिनमें इंग्लैंड एक्सपेरिमेंट टीम भेजेगा। टॉप पर एशेज है पर वह 1 अगस्त तक खत्म हो जाएगी। स्टोक्स ‘द हंड्रेड’ में खेलते नहीं तो इसका मतलब है उनके लिए अगला सीधा बड़ा प्रोग्राम एशेज के कई दिन बाद का 50 ओवर वर्ल्ड कप होगा। इसी को देखते हुए ऐसा लगता है कि स्टोक्स अपना 50 ओवर क्रिकेट वाला फैसला बदलेंगे। ऐसा ही कुछ एलेक्स हेल्स के बारे में कह सकते हैं- वे तीन साल से 50 ओवर क्रिकेट नहीं खेले पर ऑस्ट्रेलिया में साबित कर दिया है कि अभी भी उनकी बैटिंग में दम है।

अगले साल इंग्लैंड को सितंबर में न्यूजीलैंड और आयरलैंड विरुद्ध अपनी पिचों पर 6 वनडे इंटरनेशनल खेलने हैं और उसके बाद सीधे वर्ल्ड कप के लिए भारत जाना है। स्टोक्स न चाहें तो इनमें भी न खेलें। 2019 की तरह, 2023 वर्ल्ड कप भी इंग्लैंड के लिए एक प्रोजेक्ट है और कैलेंडर भी इसमें मदद कर रहा है। 2019 के बाद से हालात बहुत बदल गए हैं- तब वनडे के इर्द -गिर्द टी20 खेलते थे, अब टी20 के इर्द-गिर्द वनडे खेलते हैं। भारत में वर्ल्ड कप में धीमी पिचें होंगी- इंग्लैंड के बल्लेबाजों के लिए उतनी आसान नहीं जितनी ऑस्ट्रेलिया में मिलीं। इसलिए इंग्लैंड को अपने बल्लेबाजों की 6 हिटिंग पॉवर से मदद मिलेगी और भारत में तो वैसे भी ग्राउंड बहुत बड़े नहीं हैं- बॉउंड्री की दूरी कम है।

हेडन, गिलक्रिस्ट, वार्न और पोंटिंग की ऑस्ट्रेलिया टीम ने लगातार तीन वर्ल्ड कप जीते- 1999, 2003 और 2007 में क्रमशः इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका और वेस्टइंडीज में और साथ ही 2006 और 2009 के चैंपियंस ट्रॉफी टूर्नामेंट जीते। तब कहते थे कि उन्होंने खेलने के तरीके को बदल दिया और बाकी टीमों के लिए वे प्रेरणा थे। अब देखना है कि इंग्लैंड ने खेलने का जो नया तरीका बताया है- भारत/पाकिस्तान जैसी टीमें पावरप्ले में उसका क्या इस्तेमाल करती हैं?

इंग्लैंड को अपने तीसरे वर्ल्ड कप की चाहत में ये ध्यान रखना होगा कि एशिया में खेले गए तीन वर्ल्ड कप में से दो भारतीय उप-महाद्वीपीय टीमों ने जीते- 2011 में भारत और 1996 में श्रीलंका और इंग्लैंड ने इन दोनों टूर्नामेंट में कुछ ख़ास नहीं किया। 2015 में मॉर्गन की कप्तानी में आए बदलाव के बावजूद, इंग्लैंड को भारत में खेली पिछली दोनों वनडे सीरीज में हार मिली है। इस रिकॉर्ड के बावजूद, इंग्लैंड को अब ये पता चल गया है कि टूर्नामेंट कैसे जीते जाते हैं? उसी स्कीम में उन्हें अपने सबसे बड़े मैच विनर स्टोक्स की जरूरत होगी।

इतिहास किसी का साथ नहीं देता और एक टूर्नामेंट में कामयाबी- अगली कामयाबी की गारंटी नहीं और ये बात सिर्फ क्रिकेट में नहीं, हर खेल में लागू है। ये फीफा वर्ल्ड कप की चर्चा के दिन हैं- उसी से मिसाल लेते हैं। इंग्लैंड ने 1966 का वर्ल्ड कप जीता पर 1970 में क्वार्टर फाइनल में हार गए और उससे अगले वर्ल्ड कप के लिए तो क्वालीफाई भी नहीं कर पाए। 2003 में इंग्लैंड ने रग्बी वर्ल्ड कप जीता पर अपने अगले 20 में से 10 मैच हारे। 2005 एशेज जीते- 16 महीने बाद, टेस्ट सीरीज 5-0 से हारे। इंग्लैंड महिला टीम- 2009 के बाद से (जब वर्ल्ड कप और एशेज दोनों जीते) अगली 7 एशेज सीरीज में से सिर्फ 2 जीते।  
क्या इंग्लैंड इन सब रिकॉर्ड को बदल सकते हैं? वाइट बॉल क्रिकेट में, पिछले 5 ग्लोब टूर्नामेंट (2016 से) इंग्लैंड हर बार सेमीफाइनल में पहुंचने वाली एकमात्र टीम है। 2019 और 2022 के बाद एक और वर्ल्ड कप उनकी उपलब्धियों को नई ऊंचाई पर ले जाएगा।

लिमिटेड ओवर इंटरनेशनल क्रिकेट में प्रभुत्व के तीन दौर गिने जा सकते हैं। 1975-83 में वेस्टइंडीज (दो वर्ल्ड कप जीते और तीसरे में फाइनल में) और सदी के आख़िरी सालों के आसपास ऑस्ट्रेलिया (लगातार तीन वर्ल्ड कप जीतने वाली इकलौती टीम- 1999, 2003 और 2007)- इन दोनों दौर की एक खासियत ये थी कि इन सालों में उनकी टेस्ट टीम भी टॉप पर थी और टेस्ट टीम वाले ही 8-9 खिलाड़ी वाइट बॉल टीम में खेलते थे। तीसरा दौर है: 2012-16 से टी20 क्रिकेट में वेस्टइंडीज का- दो वर्ल्ड कप में जीत के बीच एक में सेमीफाइनल में हार पर इन सालों में उनकी टेस्ट टीम तो अपनी पहचान की लड़ाई लड़ती रही। 2012-16 में, दुनिया में सबसे ज्यादा टी20 मैच खेलने वाले 6 खिलाड़ी कैरेबियन से थे।

आज टी20 और वनडे दोनों को खेलने का तरीका बदल गया है। इंग्लैंड ने इसे पहचाना है। इस समय वनडे इंटरनेशनल में नंबर 1 और टी 20 इंटरनेशनल में नंबर 2 और वे प्रभुत्व की चौथी मिसाल बनने के लिए तैयार हैं। बटलर की टीम एक साथ वनडे और टी20 वर्ल्ड कप जीतने वाली पहली टीम है। ये टीम 2015 के वनडे वर्ल्ड कप से ग्रुप राउंड में बाहर हो गई थी। उसके बाद से- रिकॉर्ड सामने है।  

  • चरनपाल सिंह सोबती

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