fbpx

द ओवल में, वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप फाइनल की एक ख़ास बात को क्या नोट किया- दोनों टीम के कुल 22 खिलाड़ी में से सिर्फ दो 30 साल से कम उम्र के थे। ये दो वास्तव में अंडर 28 थे- शुभमन गिल (23 साल) और कैमरून ग्रीन (24 साल)। दोनों टीम में अंडर 28 के सिर्फ 2 खिलाड़ियों के साथ खेला ये 12वां टेस्ट था लेकिन 2023 में तीसरा: ऑस्ट्रेलियाई टोड मर्फी (22) और मैट रेनशॉ भारत के विरुद्ध फरवरी में नागपुर टेस्ट में खेले जबकि न्यूजीलैंड- श्रीलंका क्राइस्टचर्च टेस्ट में असिथा फर्नांडो (25) और लाहिरू कुमारा (26) खेले।

1926 में इंग्लैंड में एशेज सीरीज में दो टेस्ट ऐसे थे जिनमें 28 साल से कम उम्र का सिर्फ एक खिलाड़ी खेला- 25 साल के पर्सी चैपमैन जो ट्रेंट ब्रिज में पहले और हेडिंग्ले में तीसरे टेस्ट में खेले। इन दोनों टेस्ट में, सभी ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी 28+ थे।  

यहां खिलाड़ियों की उम्र का जिक्र इसलिए कर रहे हैं कि उम्र खुद इशारा कर रही है कि टीम में बहुत जल्दी बदलाव होंगे- ऑस्ट्रेलिया वाले अच्छा खेले तब भी और टीम इंडिया का खराब खेल वैसे भी बदलाव का इशारा कर रहा है। भारत के लिए, एक और डब्ल्यूटीसी राउंड, द ओवल में ऑस्ट्रेलिया से हार की निराशा के साथ खत्म हुआ और करारी हार ने टीम में थोक में बदलाव की चर्चा का पिटारा खोल दिया है। ऐसे दिग्गज और बड़े-बड़े नाम वाले किस काम के अगर वे हर बड़े मुकाम पर फेल हो जाएं? क्या ऐसे में डब्ल्यूटीसी के अगले राउंड के लिए टेस्ट टीम में पूरी तरह से नया जोश लाने का वक़्त आ गया है?

अब दो टेस्ट की सीरीज़ खेलनी है वेस्टइंडीज में और इस रिपोर्ट के लिखने तक सीरीज के लिए टीम का चयन नहीं हुआ है पर ये तय है कि जो टीम चुनेंगे, उसी से ये संकेत मिल जाएगा कि सिलेक्टर्स इन बातों को कितना महत्व दे रहे हैं? न सिर्फ 15 खिलाड़ियों की एक मजबूत कोर टीम चाहिए- इंजरी लिस्ट के जवाब के लिए भी कम से कम 5-6 खिलाड़ी तैयार रखने हैं।

इस चर्चा में, हर नजर सबसे पहले कप्तान और बल्लेबाज रोहित शर्मा, टॉप बल्लेबाज विराट कोहली और चेतेश्वर पुजारा पर है- मजे की बात ये है कि ओवल में टॉप स्कोर उस अजिंक्य रहाणे ने बनाया जिसे सिलेक्टर्स ने सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट तक नहीं दिया है मौजूदा सीजन के लिए। तो क्या सरफराज खान और रजत पाटीदार जैसे नए खिलाड़ियों को लाने और हनुमा विहारी जैसों की वापसी का वक्त आ गया है?

इसमें कोई शक नहीं कि ओवल में भारत ने जसप्रीत बुमराह, श्रेयस अय्यर और ऋषभ पंत की इंजरी और अश्विन को न चुनने की गलती का नुकसान उठाया पर जहां एक तरफ लगभग बराबरी की दो टीम बनाने वाली टेलेंट की मौजूदगी का दावा है तो उसे देखते हुए बाकी खिलाड़ियों में इतना दम तो होना ही चाहिए था कि बराबरी पर टक्कर दे सकें। क्या मुकेश कुमार, यशस्वी जायसवाल और तिलक वर्मा जैसों को जल्दी से ड्राफ्ट करने का वक्त आ गया है? मौजूदा ब्रिगेड को देखते हैं :
शुभमन गिल हालांकि ओवल में नाकामयाब पर वे भारतीय क्रिकेट का फ्यूचर हैं। उन्हें भविष्य के कप्तान के रूप में भी तैयार किया जा सकता है।

चेतेश्वर पुजारा का नाम उस लिस्ट में है जिन्हें फेयरवेल देने का वक्त आ गया है और उनके बैट से सही रिटर्न न मिलना बड़ा नुकसान दे रहा है। इंग्लिश क्रिकेट सीजन में साधारण दर्जे की गेंदबाजी पर बनाए उनके रन किसी काम न आए। इसके उलट, अजिंक्य रहाणे को ओवल को भूल कर फेयरवेल देनी होगी- तभी तो नए जोश के लिए जगह बनेगी। अब ये सिलेक्टर्स को तय करना है कि कब? श्रेयस अय्यर या केएल राहुल फिट होते तो शायद वे ओवल में भी न खेलते।

सीनियर लिस्ट में विराट कोहली की हालांकि टेस्ट फार्म, हाल के सालों में कोई बहुत बेहतर नहीं पर वे फिट हैं और उनकी मौजूदगी से ही, दूसरी टीम के गेंदबाज मुश्किल में आ जाते हैं। इसलिए अभी उन्हें नहीं बदलेंगे। रवींद्र जडेजा और शार्दुल ठाकुर- गेंद से कीमती विकेट लेते हुए बैट से भी बार-बार अपनी उपयोगिता साबित की है। रोहित शर्मा- उम्र (36) बढ़ रही है और साथ में फिटनेस रिकॉर्ड बहुत अच्छा नहीं। वक्त आ गया है कि उनकी मदद से अगला कप्तान तैयार करें।

केएस भरत के पास बहुत अच्छा मौका था टीम में अपनी जगह सीमेंट करने का पर उन्हें भूल कर टेस्ट क्रिकेट में ऋषभ पंत के लिए एक बेहतर बैकअप विकेटकीपर तैयार करना होगा। रिद्धिमान साहा ऐसे में टीम में जगह के हकदार हैं पर सिलेक्टर्स के व्यवहार से वे शायद इतने आहत हैं कि दलीप ट्रॉफी में सिर्फ इसलिए नहीं खेल रहे कि जब सिलेक्टर्स ने नेशनल कलर्स में खेलने के लिए चुनना ही नहीं है तो किसी युवा खिलाड़ी का रास्ता क्यों रोकें? जैसे बैक-अप की जरूरत है उसमें ईशान फिट हैं। बोनस- खब्बू बल्लेबाज है पर क्या वे टेस्ट टेम्परामेंट की कसौटी पर खरे उतरते हैं?

उमेश यादव- उनकी जगह किसी नए गेंदबाज को बिना देरी लाना होगा। मोहम्मद शमी एवं मोहम्मद सिराज में से सिराज न सिर्फ अगले राउंड में सबसे खास तेज गेंदबाज साबित होंगे- शमी के अनुभव की टीम को जरूरत है। रविचंद्रन अश्विन- अब भी टीम में उनकी जगह पर क्या किसी नई बहस की जरूरत है? जयदेव उनादकट- कुछ और सीरीज में टीम में रहें और मौका मिला तो प्रदर्शन देखकर फैसला करेंगे।अक्षर पटेल- कुछ गलत नहीं किया है। घरेलू टेस्ट तो खेलते रहेंगे।

भारत का वेस्टइंडीज टूर 2023-25 डब्ल्यूटीसी राउंड में उनकी पहली सीरीज होगी लेकिन थोक में बदलाव की संभावना नहीं है- सिर्फ कुछ खिलाड़ियों को ही आराम देंगे या बाहर करेंगे।

– चरनपाल सिंह सोबती

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *