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जब खबर आई कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने आईपीएल में दो नई फ्रैंचाइजी में से एक लखनऊ की टीम को 7,090 करोड़ रुपए में बेच दिया तो हैरानी तो होनी ही थी। ये आईपीएल की सबसे महंगी टीम बनेगी। आम तौर पर सोचा ये जा रहा है कि आईपीएल की बदौलत उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का नाम क्रिकेट के नक़्शे पर चमकेगा। ये सोच गलत है और इसी की चर्चा यहां करेंगे।

लखनऊ में क्रिकेट का जिक्र उतना ही पुराना है जितना भारत के अन्य किसी शहर में। तब भी चर्चा में पीछे रह गए क्योंकि क्रिकेट बोर्ड से भी पहले खुद उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ने यहां क्रिकेट को सही तरह प्रमोट नहीं किया। घरेलू क्रिकेट की बात करें तो यहां पिछले कुछ सालों में जहां रणजी ट्रॉफी और दलीप ट्रॉफी मैच खेले गए, वहीं यहाँ कई साल देश के सबसे पुराने गर्मियों में खेले जाने वाले टूर्नामेंट- शीश महल ट्रॉफी का आयोजन होता रहा।

इंटरनेशनल क्रिकेट की बात करें तो मैच आयोजित करने के मामले में उत्तर प्रदेश के दो बड़े शहर लखनऊ और कानपुर आपस में मुकाबला करते रहे। लखनऊ में इंटरनेशनल क्रिकेट 1952 में ही शुरू हो गई थी- अक्टूबर 1952 में पकिस्तान की टीम यहां यूनिवर्सिटी ग्राउंड में टेस्ट खेली। विज़्ज़ी की गलत पसंद से जूट- मेटिंग विकेट का पासा उलटा पड़ गया और पकिस्तान ने अपनी पहली टेस्ट जीत दर्ज़ की। इस जीत ने उनके कप्तान कारदार के करियर को लाइफ लाइन दी थी। इस टेस्ट के कई मजेदार किस्से हैं पर वह एक अलग स्टोरी है। ये स्टेडियम क्या महज एक ग्राउंड था गोमती के किनारे जो समय के साथ रास्ता बदलती गोमती में ही समा गया।

इसके बाद लखनऊ ने ज्यादातर मैचों की मेजबानी केडी सिंह ‘बाबू’ स्टेडियम में की। इसी को पहले ‘सेंट्रल स्पोर्ट्स स्टेडियम’ कहते थे। ये भी शहर के बीच और गोमती के किनारे है। कई मौकों पर बाढ़ के कारण इसे नुकसान हुआ। फ्लड लाइट्स के लिए कोई सपोर्ट नहीं। इसलिए डे-नाइट मैच नहीं हो सकते थे। ये भी उन स्टेडियम की लिस्ट में से एक बन गया जहां सिर्फ एक टेस्ट खेला गया- 1994 में भारत और श्रीलंका के बीच। इस टेस्ट में नवजोत सिंह सिद्धू के छक्के आज तक याद किए जाते हैं।

लखनऊ में क्रिकेट के कुछ और माइलस्टोन :

  • 1989 में पाकिस्तान- श्रीलंका वन डे इंटरनेशनल (नेहरू कप) उसके बाद हुआ। भारत की टीम का मैच न मिलने से नाराज भीड़ ने पाकिस्तान टीम का समर्थन किया और हीरो इमरान खान, वसीम अकरम और जावेद मियांदाद की खूब जय जयकार की। ये देखकर जावेद मियांदाद तो इतने खुश हो गए थे कि कह दिया कि अगर कभी वे अपना बेनेफिट मैच आयोजित करेंगे तो खेलने लखनऊ ही आएँगे।
  • यहां का तीसरा स्टेडियम अटल बिहारी वाजपेयी इकाना क्रिकेट स्टेडियम है। यहां भी नवंबर 2021 में भारत का टेस्ट होना था पर राज्य क्रिकेट एसोसिएशन ने उनसे टेस्ट लेकर वाइट बॉल इंटरनेशनल दे दिया। वैसे यहां 2019 -20 में अफ़ग़ानिस्तान- वेस्टइंडीज़ टेस्ट खेला जा चुका है। अफगानिस्तान के लिए ये होस्ट स्टेडियम है।
  • इसकी तुलना में यहां, महिला इंटरनेशनल क्रिकेट मैच ज्यादा खेले गए हैं। जनवरी 2002 में, लखनऊ में इंग्लैंड की ओपनर कैरोलिना एटकिंस और एरन थॉम्पसन ने टेस्ट में 200 रन की वर्ल्ड रिकॉर्ड पार्टनरशिप की थी। इसी टेस्ट में मिताली राज ने डेब्यू किया था और सेंचुरी बनाई यूपी की हेमलता काला ने। इस साल भारत- दक्षिण अफ्रीका सीरीज के मैच इकाना स्टेडियम में खेले गए – 5 वन डे और 3 टी 20 मैच।
  • अगर ज्यादा पीछे न जाएं, तो भी हाल के सालों में उत्तर प्रदेश से मोहम्मद कैफ, सुरेश रैना, आरपी सिंह, पीयूष चावला, प्रवीण कुमार और भुवनेश्वर कुमार जैसे क्रिकेटर सामने आए हैं।

बड़ी हैरानी की बात है कि जो क्रिकेट एसोसिएशन क्रिकेट के नक़्शे पर उत्तर प्रदेश के बाद चर्चा में आईं, उन्होंने बोर्ड की मदद से बहुत पहले विश्व स्तर के इंटरनेशनल स्टेडियम बना लिए (चार बहुत अच्छे उदहारण : मोहाली, पुणे, रांची और धर्मशाला) लेकिन इस क्रिकेट एसोसिएशन ने राजीव शुक्ला जैसे प्रभावशाली नेता का नाम जुड़ा होने के बावजूद अपना कोई अच्छा स्टेडियम नहीं बनाया। आज भी न तो इकाना स्टेडियम इनका है और न ही कानपुर का ग्रीन पार्क स्टेडियम। हालत ये है कि एसोसिएशन का ऑफिस कानपुर में है- न कि लखनऊ में।

आज तक ये माना जाता है कि एक दिन में इकाना क्रिकेट स्टेडियम का नाम राज्य सरकार ने जबरदस्ती बदल दिया और भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी इकाना क्रिकेट स्टेडियम बना दिया। ये भारत में तीसरी सबसे बड़ी क्षमता वाला स्टेडियम है- इस सीजन में यहां टी20 मैच खेला जाएगा। यहां 50,000 दर्शकों का स्वागत हो सकता है। आईपीएल मैच भी यहीं होंगे। स्टेडियम में नौ पिचें हैं। स्टेडियम बेहतरीन सुविधाओं वाला है- 71 एकड़ के क्षेत्र में फैला है। इसमें 1800 वर्ग फुट के दो स्क्रीन, 40 वीआईपी बॉक्स, विश्व स्तरीय ड्रेसिंग रूम, मीडिया सेंटर और फ्लड लाइट और 2500 गाड़ियों की पार्किंग की सुविधा है।

यह लखनऊ के लोगों के लिए और क्रिकेट प्रशंसकों के लिए खुशी की बात है कि अपने पसंदीदा खिलाड़ियों को अत्याधुनिक क्रिकेट स्टेडियम में न सिर्फ इंटरनेशनल क्रिकेट में, आईपीएल में भी देखेंगे। इस बीच क्या राज्य क्रिकेट एसोसिएशन अपना स्टेडियम बनाने की स्कीम पर काम करेगी? विश्वास कीजिए- अगर क्रिकेट बोर्ड अपने बनाए नियम को सख्ती से लागू कर दे तो न इस राज्य की क्रिकेट एसोसिएशन को किसी इंटरनेशनल मैच की मेजबानी मिले और न ही आईपीएल मिलती। बोर्ड का नियम है कि इंटरनेशनल मैचों का आयोजन सिर्फ उन क्रिकेट एसोसिएशन को मिलेगा जिनके अपने स्टेडियम हैं। इसी के बाद ही तो देश के अलग अलग हिस्सों में स्टेडियम बनने शुरू हुए थे- बोर्ड से बड़ी ग्रांट मिल सकती पर लखनऊ का अपने स्टेडियम का सपना अधूरा है।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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