fbpx

सोनी-जी मर्जर तो नहीं हुआ पर भारत में स्पोर्ट्स ब्रॉडकास्ट को बदलने वाला रिलायंस और डिज्नी के बीच एग्रीमेंट हो गया है। वायाकॉम 18 और स्टार इंडिया ने अपने बिजनेस का मर्जर किया और 8.5 बिलियन डॉलर (70352 करोड़ रुपये) का ‘स्ट्रेटेजिक जॉइंट वेंचर (रणनीतिक संयुक्त उद्यम- इसे आगे सिर्फ जेवी लिखेंगे)’ बना दिया- इस तरह स्पोर्ट्स और एंटरटेनमेंट की दुनिया में एक ऐसा नया यूनिट बन गया है जिसके बारे में कभी सोचा भी न था। इस जेवी की चेयरपर्सन नीता अंबानी होंगी और डिज्नी के भूतपूर्व टॉप एक्जीक्यूटिव उदय शंकर उपाध्यक्ष। आम भाषा में इसे रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) और डिज्नी स्टार के बीच ब्रॉडकास्ट के लिए विलय का नाम दे सकते हैं और ये तय है कि इससे देश में ब्रॉडकास्ट का तरीका- खास तौर पर घरेलू और ग्लोबल क्रिकेट आयोजन के लिए, बदल जाएगा और इसमें टीवी और डिजिटल दोनों शामिल हैं। यूं कह दीजिए- जियो सिनेमा हर तरह की क्रिकेट का सबसे बड़ा डिजिटल सेंटर होगा। 

ये सब क्या है और ऐसा क्यों हुआ- इसे समझने के लिए आप क्रिकेट बाजार की पिछली रिपोर्ट पढ़ें (https://allaboutcric.com/news/hindi/expectations-of-big-profit-from-world-cup/) और साथ ही साथ इस स्टोरी को कुछ पीछे से जानना जरूरी है। वह 5 जून 2022 का दिन था जब रिलायंस के वायकॉम 18 ने 2023-2027 के सालों के आईपीएल के डिजिटल अधिकार 20,500 करोड़ रुपये (2.7 बिलियन डॉलर) में खरीदे। तब रेबेका कैंपबेल (द वॉल्ट डिज्नी कंपनी की उस समय की इंटरनेशनल कंटेंट की अध्यक्ष) ने स्टेटमेंट दी कि डिज्नी ने इस पैकेज की कीमत देखते हुए डिजिटल अधिकार में रुचि नहीं ली।

डिज्नी ने आईपीएल के टीवी अधिकार खरीद लिए और तब कंपनी की तरफ से सीईओ बॉब चेपक ने कहा था कि इन अधिकार से मुनाफे की गणना के पीछे की सोच ये है कि सितंबर 2024 तक डिज्नी की स्ट्रीमिंग सर्विस में सब्सक्राइब करने वालों की गिनती 230-260 मिलियन (बाद में इसे घटाकर 213 मिलियन कर दिया- 21.30 करोड़) हो जाए और चैपेक का मानना था कि इस गिनती तक पहुंचना कोई बड़ी बात नहीं।

तब से चैपेक और कैंपबेल दोनों डिज्नी को छोड़कर जा चुके हैं। जैसे-जैसे समय निकला ये साफ़ नजर आने लगा कि आईपीएल के डिजिटल अधिकार खरीदना, डिज्नी की स्ट्रीमिंग में कामयाबी की उड़ान के लिए बहुत जरूरी था। 2022 की आख़िरी तिमाही (जनवरी-मार्च) से 2023 की तीसरी तिमाही तक, भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में इसकी स्ट्रीमिंग सर्विस डिज्नी+हॉटस्टार में और सब्सक्राइबर आना तो दूर, 12.5 मिलियन (1.25 करोड़) सब्सक्राइबर इसे छोड़ गए। इनमें से ज्यादातर आईपीएल न होने की वजह से गए। 31 दिसंबर 2023 को खत्म तिमाही में हॉटस्टार ने लगभग 7 लाख नए सब्सक्राइबर जोड़े पर जो गए उनकी गिनती बहुत ज्यादा है। इसलिए नुकसान हो चुका था। डिज्नी के पास अब रुकने का एक ही रास्ता बचा था और उन्होंने वही किया। जो उन्हें ‘खा’ रहा था- उसी से हाथ मिला लिया।

मूलतः बाजार में कहा जा रहा है कि अब रिलायंस का कद और बड़ा हो गया। इस जेवी (वायाकॉम-स्टार) के पास भारत के मासिक एक्टिव सब्सक्राइबर की गिनती में से 85% से भी ज्यादा हो जाएंगे और भारत के ब्रॉडकास्ट बाजार में लगभग 50% हिस्सेदारी उनकी हो सकती है। ख़ास तौर पर स्पोर्ट्स में यह सौदा और भी महत्वपूर्ण है- अब एक तरह से क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी और टेनिस जैसे बड़े खेल के वे वन-स्टॉप-शॉप है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। डिज्नी तो भारत में बिजनेस छोड़ने के लिए तैयार थे- स्पोर्ट्स ब्रॉडकास्ट में रिलायंस की एंट्री के साथ स्पोर्ट्स इकॉनमी ऐसी चरमरा गई थी कि डिज्नी को जो चुनौती पूरी दुनिया में कहीं नहीं मिली- यहां मिली। अब वे मैदान छोड़कर भागने की बदनामी से बच गए और भारतीय बाजार में नाम भी बना रहेगा।

असल में डिज्नी की तरफ से जो भारत में, उनका स्पोर्ट्स ब्रॉडकास्ट का काम देख रहे थे- वे बदलते भारतीय बाजार को समझने में बुरी तरह नाकामयाब रहे। डिज्नी+स्टार के प्रभुत्व को मिल रही चुनौती को वे नजरअंदाज करते रहे। आईसीसी तथा ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में इंटरनेशनल क्रिकेट के अधिकार छोड़कर बाकी सब उनके हाथ से एक-एक कर निकलते गए। यहां तक कि बीसीसीआई ने जब इंटरनेशनल, घरेलू और महिला क्रिकेट मैचों के अधिकार बेचे (अगस्त 2023 में) तब भी वे ‘सो’ रहे थे- वायकॉम 18 ने ब्रॉडकास्ट और डिजिटल दोनों अधिकार 5963 करोड़ रुपये में खरीद लिए और एक तरह से वे ‘होम ऑफ इंडियन क्रिकेट’ बन गए। साथ में डब्ल्यूपीएल भी जोड़ लीजिए यानि कि वायकॉम 18, स्पोर्ट्स में कुछ सबसे ज्यादा देखी जाने वाली और इसलिए बेहतर कमाई वाली, प्रॉपर्टी में से एक बन गए।

अब इस जेवी के बनने के बाद, इंग्लिश और न्यूजीलैंड क्रिकेट (क्रिकेट खेलने वाले बड़े देशों में से) और कुछ छोटी ग्लोबल टी20 लीग को छोड़कर, वे भारतीय क्रिकेट बाजार में बाकी लगभग सभी अधिकार के मालिक हैं। इसमें जियो सिनेमा (अगर इसका नाम न बदला तो) स्पोर्ट्स के लिए नंबर 1 स्ट्रीमिंग आउटलेट हो जाएगा जबकि स्टार का नाम टीवी पर चलेगा- वैसे भी दोनों अलग-अलग इसी में ज्यादा परफेक्ट हैं। 

अब पूरा ध्यान होगा भारतीय क्रिकेट, आईपीएल, डब्ल्यूपीएल और आईसीसी इवेंट से पैसा कमाने पर या कमाई बढ़ाने पर। ये तो वे भी जानते हैं कि ब्रॉडकास्ट अधिकार (आईपीएल, आईसीसी, बीसीसीआई, डब्ल्यूपीएल और अन्य स्पोर्ट्स लीग पर) जो 10 बिलियन डॉलर (लगभग 82761 करोड़ रुपये) के जो कॉन्ट्रैक्ट हैं वे आसानी से पैसा नहीं कमाने देंगे। 2023 आईसीसी वर्ल्ड कप में रिवेन्यू में बढ़ोतरी के बावजूद बड़ा घाटा (315 मिलियन डॉलर) इसी वजह से ही तो हुआ और इसी ने डिज्नी को इस जेवी के रास्ते पर डाला। इवेंट अधिकार की कीमत वे पिछले कई साल से झेल नहीं पा रहे थे। वर्ल्ड कप का पूरा हिसाब पिछली पोस्ट में आप पढ़ सकते हैं। ज़ी ने आईसीसी इवेंट के टीवी अधिकार के सब-लाइसेंस का जो पैसा देना था, वह भी अब नहीं आ रहा। तो बात साफ़ है कि आपको ब्रॉडकास्ट में जो कुछ मुफ्त मिल रहा था- उसमें कटौती होगी।

कुल मिलाकर, भारत में स्पोर्ट्स ब्रॉडकास्ट में, वायाकॉम+स्टार जेवी के पास सभी स्पोर्ट्स प्रॉपर्टी में लगभग 93% हिस्सेदारी होगी और बची 7% SonyLIV (इंग्लिश  क्रिकेट, WWE, टेनिस, यूरोपीय फुटबॉल, सऊदी फुटबॉल और वॉलीबॉल जैसी घरेलू गैर-क्रिकेट लीग), फैन को (बांग्लादेश, पाकिस्तान में टी20 लीग), अमेज़ॅन प्राइम (न्यूजीलैंड क्रिकेट) और ज़ी5 (आईएलटी20) जैसों के पास।

गैर-क्रिकेट प्रॉपर्टी इस जेवी के पास कम हैं। तब भी क्या कोई इन्हें भारत में टक्कर दे सकता है? सोनी (जी से मर्जर के बाद) ऐसा सोच सकते थे पर अब नहीं। ये तो भविष्य में कोई अमेज़ॅन या नेटफ्लिक्स जैसा बड़े पैमाने पर आए तो कुछ रोमांच बनेगा पर भारत में क्रिकेट की जो जगह है, उसे देखते हुए, क्रिकेट के बिना, ये काम आसान नहीं। तब भी नजर 2025 पर रहेगी क्योंकि डब्ल्यूडब्ल्यूई का कॉन्ट्रैक्ट उस साल नेटफ्लिक्स से होना है और नेटफ्लिक्स के पास डब्ल्यूडब्ल्यूई की प्रोग्रामिंग को भारत समेत इंटरनेशनल बाजार में डिस्ट्रीब्यूट करने के अधिकार आ जाएंगे। भारत के लिए सोनी के चैनल इसमें काम आएंगे और डब्ल्यूडब्ल्यूई की लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं। बात सिर्फ ये नहीं- ये भी कहा जा रहा है कि ये जेवी इतना बड़ा है कि उनकी मॉनोपोली भारतीय ब्रॉडकास्ट बाजार को खराब कर देगी। ऐसे संकेत हैं कि सरकारी तौर पर भी वायाकॉम-स्टार को कहा गया है कि कुछ अच्छा, अन्य दूसरे टीवी चैनल के लिए छोड़ें या जिन्हें इस समय मुकाबले में ‘कुचलने ‘ पर लगे हैं- उन्हें कुछ प्रॉपर्टी का सब-लाइसेंस दे दें।

2027 (या 2028) में मौजूदा अधिकार राउंड लगभग पूरा हो जाएगा और तब नई बिसात बिछेगी और बाजार में ये भी माना जा रहा है कि अधिकार की सही वेल्युएशन भी होगी- 2022 की तरह का 3 गुना उछाल भूल जाइए। कीमतों में 5-15% की बढ़ोतरी हो जाए तो भी बहुत होगा। तब भी, 2028 अभी दूर है और बहुत कुछ और भी बदल गया होगा। 

  • चरनपाल सिंह सोबती

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *