बात एक रिकॉर्ड से शुरू करते हैं- 2023 में पैट कमिंस का गेंदबाजी का टेस्ट रिकॉर्ड : 19 पारी में 45.7 स्ट्राइक रेट से 42 विकेट और सिर्फ दो कप्तान ने एक साल में इससे बेहतर स्ट्राइक रेट पर, इससे ज्यादा टेस्ट विकेट लिए हैं (1983 में कपिल देव- 58 विकेट, 46.4 एसआर और इमरान खान 1982 में- 48 विकेट, 42.6 एसआर)।
ये तो हुई गेंदबाजी की बात पर कप्तान कमिंस ने साल में जो किया उसे कैसे देखेंगे? ज्यादा पीछे न भी जाएं तो मेलबर्न टेस्ट तो बिलकुल नया है- जब शान मसूद और रिजवान पाकिस्तान को ऐतिहासिक जीत की राह पर ले आए थे तो कमिंस ने ही अटैक बदला, खुद फिर से गेंद ली और शान मसूद ने स्टीव स्मिथ को दूसरी स्लिप में कैच दे दिया।
कमिंस वह कप्तान हैं जिन्हें किसी ने इस जिम्मेदारी के लिए तैयार नहीं किया और न ही कभी टेस्ट कप्तान के दावेदार के तौर पर देखा गया। ऑस्ट्रेलिया ने उन्हें संकट में कप्तान बनाया और तब उन्हें कप्तान बनाने की सबसे बड़ी वजह ये थी कि जो कप्तान बन सकते थे- वे उनमें से टीम के सबसे बेहतर क्रिकेटर हैं। सीधे शब्दों में- आज भी ऑस्ट्रेलिया के पास उनसे बेहतर कोई तेज़ गेंदबाज़ नहीं है। पाकिस्तान के विरुद्ध इसी सीरीज में टेस्ट में 10 विकेट और करियर रिकॉर्ड- 57 टेस्ट में 22 की औसत से 252 विकेट। अभी तो लगभग 5 साल टेस्ट खेले नहीं- अन्यथा रिकॉर्ड न जाने क्या होता? इस सवाल का कोई जवाब नहीं है।
2023 का पूरा साल कमिंस की एक बल्लेबाज, गेंदबाज और सबसे ज्यादा कप्तान के तौर पर भूमिका के इर्द-गिर्द चर्चा में रहा। ये जिम्मेदारी उठाने की उनकी आदत है जिसे वे जीत में बदलने में कामयाब रहे। सबसे यादगार रही वर्ल्ड कप फाइनल जीत जहां फेवरिट भारत को हराया और कई करोड़ दिलों की धड़कन को झटका दे दिया।
जब भी कप्तान बनाने की बात आती है तो सोच यही रहती है कि गेंदबाज-कप्तान इस नाजुक फैसले के भंवर में फंसा रहेगा कि कब और कितनी बार खुद गेंदबाजी करनी है? कमिंस ने अपने गेंदबाजों को जिस चतुराई से रोटेट किया और उसमें खुद को कैसे फिट किया ये किसी ने देखा ही नहीं। जब गेंद उनके हाथ में थी तो एक बार भी ऐसा नहीं लगा कि गलती कर रहे हैं। ऐसा कौन सा कप्तान होगा जो जरूरत में अपने टॉप गेंदबाज को नहीं बुलाएगा- कमिंस ने वही किया और आलोचना की चिंता के बिना किया।
एजबेस्टन टेस्ट: कमिंस और नाथन लियोन, एशेज के पहले टेस्ट में जीत के लिए 54 रन की जरूरत के समीकरण पर एक साथ पिच पर थे और तब किसी को भी भरोसा नहीं था कि ऑस्ट्रेलिया फेवरिट है। आम सोच ये थी कि ऑस्ट्रेलिया अब समय निकालेगा और ड्रॉ से ही खुश रहेंगे। दो ओवर बाद कमिंस ने जो रूट की 3 गेंद पर दो 6 लगा दिए और दिखाया कि वे ड्रॉ में विश्वास नहीं करते। थिएटर जैसा रोमांच था- जीत के लिए जरूरी रन घटते गए। ऑस्ट्रेलिया ने भले ही 22 साल से इंग्लैंड में एशेज सीरीज नहीं जीती है लेकिन अभी भी एशेज ऑस्ट्रेलिया में है। कमिंस ने जीत वाला रन बनाया और दो गेंदबाजों ने अपनी बैटिंग से टीम को जीत दिलाई।
कमिंस के लिए पिछले 12 महीने ‘गोल्डन पीरियड’ कहे जा सकते हैं और किसी भी अनुमान से, वे ही साल 2023 के सबसे बेहतर क्रिकेटर हैं- जून में वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप टाइटल, नवंबर में उदास चेहरों के सामने नरेंद्र मोदी स्टेडियम में वर्ल्ड कप जीता और इसके साथ एशेज पर ऑस्ट्रेलिया का अधिकार। इन सब के साथ सनराइजर्स हैदराबाद की ओर से 20.75 करोड़ रुपये का चेक। बैगी ग्रीन में 5 दिन का टेस्ट खेलने पर जितनी फीस मिलती है- उससे ज्यादा तो आईपीएल में सिर्फ 2 गेंद में कमा लेंगे। तब भी उन्हें आईपीएल कॉन्ट्रैक्ट पर नहीं, ऑस्ट्रेलिया के लिए क्रिकेट में जो किया- उस पर गर्व है।
ऑस्ट्रेलिया में मानते हैं कि कप्तान के तौर पर उनसे पहले, जीत की ऐसी भूख सिर्फ एलन बॉर्डर में थी। इसमें कोई शक नहीं कि कमिंस ने यह सब अकेले नहीं किया- मदद मिली। अपने क्रिकेटरों से बेहतर प्रदर्शन कराने की आर्ट हर कप्तान में नहीं है। दो वर्ल्ड चैंपियनशिप फाइनल- दोनों भारत के विरुद्ध और उसमें ख़ास तौर पर 50-ओवर वर्ल्ड कप, जहां अहमदाबाद में लगभग 100000 दर्शक स्टेडियम में थे- ऑस्ट्रेलिया एक टीम की तरह खेला और जीता।
- चरनपाल सिंह सोबती