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वैसे तो मौसम ने न्यूजीलैंड-भारत सीरीज पर बुरी तरह असर डाला और इस सीरीज को सबसे ज्यादा खराब मौसम के लिए याद रखा जाएगा पर एक ख़ास बात और भी थी। नेपियर में तीसरे और आख़िरी टी20  इंटरनेशनल का नतीजा ऐसा टाई जो बहुत कम देखने को मिलता है। जीत के लिए 161 रनों का पीछा करते हुए भारत का स्कोर 9 ओवर के बाद 75/4 और बरसात ने यहीं मैच रोक दिया। लगातार बारिश ने डीएलएस (डकवर्थ-लुईस-स्टर्न) सिस्टम लागू करने पर मजबूर कर दिया- तब भी कोई विजेता नहीं मिला। डीएलएस सिस्टम ने 75 का स्कोर निकाला और इस तरह मैच टाई हुआ।

इससे पहले, डीएलएस सिस्टम स्कोर के साथ टी20 इंटरनेशनल के टाई होने की सिर्फ दो और मिसाल हैं: नेपाल टी20 इंटरनेशनल सीरीज में 2021 में मलेशिया-नीदरलैंड मैच टाई और माल्टा-जिब्राल्टर टाई भी 2021 में ही था- इन की आपसी सीरीज में।

अगर डीएलएस सिस्टम से टाई का रोमांच देखना है तो सबसे मशहूर किस्सा, निश्चित रूप से, 2003 के 50 ओवर क्रिकेट वर्ल्ड कप का है, जहां मेजबान दक्षिण अफ्रीका को तो टाई ने टूर्नामेंट से बाहर कर दिया था। मैच वैसे टाई हो जाता तो कोई बात नहीं थी- यहां तो उन्होंने डीएलएस सिस्टम स्कोर का गलत अनुमान लगाया और उसी में गड़बड़ कर दी- स्कोर को बराबर कर दिया और मैच जीतने वाला रन बनाया ही नहीं।

एक और मजेदार मिसाल इंडिया ए के न्यूजीलैंड टूर की है। लिंकन में न्यूजीलैंड ए के विरुद्ध दूसरा वनडे टाई रहा- 48 ओवर के आखिर में डीएल (डकवर्थ-लुईस) सिस्टम स्कोर (250 का पीछा करते हुए) 240 था। न्यूजीलैंड ए: 249-9 (ब्रूम 82, उनादकट 4-47), इंडिया ए : 48 ओवर में 240-9 (अभिनव 66, ओझा 62, मैके 5-50) स्कोर थे। 
संयोग देखिए कि जब न्यूजीलैंड में टाई की चर्चा चल रही थी तो उन ही दिनों में, भारत में भी एक टाई देखने को मिला पर उस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। विजय हजारे ट्रॉफी मैच में गोवा ने 50 ओवर में 261 रन बनाए। हरियाणा का स्कोर 21 ओवर में 136/5 था। यहीं  बरसात ने खेल रोक दिया। जब मैच फिर से आगे खेले तो 23 ओवर में संशोधित लक्ष्य 155 था यानि कि 12 गेंद में में 19 रन की जरूरत थी हरियाणा को। हरियाणा ने 154/5 बनाए और मैच टाई हो गया। कई जगह ये रिपोर्टिंग हुई कि ये मैच डीएलएस सिस्टम स्कोर से टाई हुआ जो सही नहीं है।  भारत में घरेलू क्रिकेट में, बरसात से प्रभावित मैचों पर वीजे सिस्टम लागू होता है।

मजेदार बात ये है कि बीसीसीआई घरेलू क्रिकेट के लिए तो वीजे सिस्टम लागू करते हैं जबकि इंटरनेशनल क्रिकेट के लिए डीएलएस सिस्टम- ऐसा क्यों? यहां तक कि बीसीसीआई ने वीजे सिस्टम को आईसीसी से मंजूरी दिलाने के लिए सही तरह प्रमोट भी नहीं किया।   
आईसीसी ने सभी इंटरनेशनल मैचों के लिए डीएलएस सिस्टम को अपनाया है, लेकिन ऐसी कई मिसाल हैं जिनसे ये पता चलता है कि कई संशोधन के बावजूद,अभी भी इस सिस्टम में सुधार हो सकता है। और भी जो सिस्टम हैं उन पर विचार किया जाना चाहिए- आईसीसी तो डीएलएस सिस्टम से हट कर कुछ भी देखने के लिए तैयार ही नहीं। आईसीसी को इस रिसर्च पर समय देना चाहिए।

एक  बहुत मजेदार मैच की मिसाल का जिक्र जरूरी है। 2015 वर्ल्ड कप में,डीएलएस सिस्टम को 49 में से 4 मैचों में लागू किया। इन 4 में से पाकिस्तान-दक्षिण अफ्रीका मैच कम स्कोर वाला था। पाकिस्तान का स्कोर 46.4 ओवरों में 222 रन था जो दक्षिण अफ्रीका के लिए 47 ओवर में 232 के लक्ष्य में बदल गया। पाकिस्तान की पारी के दौरान बारिश आई और भले ही पाकिस्तान 47 ओवर में आउट, फिर भी उन्हें 9 रन का फायदा हुआ, क्योंकि 3 ओवर से उनके रन रेट पर असर आ सकता था। डीएल सिस्टम ने लक्ष्य 231 निकाला जबकि वी जयदेवन मेथड (वीजेडी), ने इसे 226 पर आंका। ज्यादातर जानकार ने वीजे को सपोर्ट किया।

कई मिसाल हैं जिनमें डीएलएस और वीजेडी ने लक्ष्य लगभग बराबर निकाला पर ऐसे ढेरों उदाहरण हैं जब वे इतने करीब नहीं हैं। समय के साथ डीएलएस सिस्टम में कई संशोधन हुए हैं – खासकर जब से कम्प्यूटर आए और मैनुअल सिस्टम को बदल दिया। 

  • चरनपाल  सिंह  सोबती

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