भले ही वेस्टइंडीज टीम ने वनडे इंटरनेशनल रैंकिंग पर 2023 क्रिकेट वर्ल्ड कप के लिए सीधे क्वालीफाई न किया पर उनके लिए वर्ल्ड कप में खेलने का रास्ता खुला था क्वालीफायर टूर्नामेंट की बदौलत। वे क्वालीफाई करने के सबसे जोरदार दावेदार थे पर ये क्या- जो सामने है उसके बारे में तो सोचा भी न था।
सबसे पहले तो सिकंदर रजा के शानदार ऑल-राउंड प्रदर्शन (58 गेंद में 68 और 2-36) से जिम्बाब्वे की हरारे में वेस्टइंडीज पर 35 रन की जीत और इस हार की चर्चा खत्म भी नहीं हुई थी कि वेस्टइंडीज को सुपर ओवर में नीदरलैंड ने हरा दिया। वेस्टइंडीज का 374-6 का बड़ा स्कोर इतना हैरान करने वाला नहीं था जितना नीदरलैंड का मैच को सुपरओवर तक खींच कर जीत हासिल करना।
ये वेस्टइंडीज क्रिकेट की आज की हालत है- पहले दो वर्ल्ड कप जीते, पहले तीन फाइनल खेले और आज इस मुकाम पर कि बहुत संभव है कि भारत में, आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप में खेलें ही न। चमत्कारों की एक सीरीज की जरूरत होगी उनके खेलने के लिए। किसने सोचा था कि जिस वेस्टइंडीज़ टीम को पिछली शताब्दी के 70 के सालों में ‘अपराजित’ कहते थे वह इस तरह के संकट में दिखाई देगी?
2004 में, ओवल में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल में वेस्टइंडीज की इंग्लैंड पर 2 विकेट से जीत से लगा था कि यह वेस्टइंडीज क्रिकेट की वापसी है पर ये उम्मीद गलत साबित हुईं। टीम क्रिकेट ग्राउंड पर बिखरती चली गई। 1982-83 में जब भारत ने बर्बिस में वेस्टइंडीज को हराया था तो वेस्टइंडीज ने उस हार को ज्यादा भाव नहीं दिया पर 1983 वर्ल्ड कप में भारत से 2 मैच में हार, जिनमें से एक फाइनल था, ने ये दिखाया कि इस वेस्टइंडीज टीम को हराया जा सकता है। 1996 में पुणे में विल्स वर्ल्ड कप में 167 रन का पीछा करते हुए केन्या ने उन्हें 93 रन पर आउट कर दिया। भले ही, तब भी सेमीफाइनल खेले पर क्रिकेट का पतन साफ़ दिखाई दे रहा था। सर फ्रैंक वॉरेल, सर गारफील्ड सोबर्स, सर क्लाइव लॉयड और सर विवियन रिचर्ड्स जैसों की टीम अब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है।
1983 से अब तक खेले 9 वर्ल्ड कप में वेस्टइंडीज ने सिर्फ एक सेमीफाइनल खेला है और इन 40 साल में एक सेमीफाइनल तो केन्या ने भी खेला है। ये सिर्फ वेस्टइंडीज क्रिकेट का पतन नहीं है- विश्व क्रिकेट के लिए एक चेतावनी है। कई मायनों में एक युग का अंत दिखाई दे रहा है।
इस पतन की वजह एक नहीं, कई हैं। वेस्टइंडीज का को भारत में वर्ल्ड कप में न खेलना लगभग वैसा ही है, जैसा ब्राज़ील के बिना फीफा वर्ल्ड कप या रग्बी वर्ल्ड कप में ऑल ब्लैक का न खेलना। बास्केटबॉल की तरफ भागता युवा वर्ग, टी20 लीग के पैसे की तरफ भागते उनके वे क्रिकेटर जिन्हें वेस्टइंडीज क्रिकेट के पराक्रम और सम्मान की कतई चिंता नहीं और कोई एक ऐसा बड़ा खिलाड़ी न होना जो वॉरेल की तरह अलग-अलग रीजनल टीम को एकजुट रख सके- ये सब जिम्मेदार हैं इस हालत के लिए। ऐसे में वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम की गिरावट पर शोक ही जाहिर कर सकते हैं। तो उम्मीद कहां है?
- चरनपाल सिंह सोबती