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इस साल फरवरी में चेतन शर्मा ने इस्तीफा दिया और तब से सेलेक्शन कमेटी बिना चीफ सेलेक्टर के काम कर रही है। अब बीसीसीआई ने, नार्थ जोन से, एक सेलेक्टर की तलाश में विज्ञापन जारी कर दिया है। चेतन को नवंबर 2022 में बोर्ड ने बर्खास्त किया था और इस साल की शुरुआत में उन्हें वापस ले आए पर एक मीडिया चैनल के स्टिंग ऑपरेशन ने उन्हें ऐसे विवाद में फंसाया कि इससे पहले कि बोर्ड कोई कार्रवाई करे- खुद ही इस्तीफा दे दिया। आखिरी तारीख- 30 जून। उसके बाद इंटरव्यू जो सीएसी लेगी। तो कौन बनेगा नया सेलेक्टर/चीफ सेलेक्टर?

इस समय, शिव सुंदर दास काम चलाऊ चीफ हैं और उनके साथ सलिल अंकोला, सुब्रत बनर्जी और श्रीधरन शरथ सेलेक्शन पैनल का हिस्सा हैं। ये 4 ही तब से टीम चुन रहे हैं। नए पैनल को जल्दी ही एशिया कप और वर्ल्ड कप 2023 के लिए टीम चुननी होगी। चीफ सेलेक्टर कोई छोटी या कम प्रभावशाली पोस्ट नहीं। लाला अमरनाथ और विजय मर्चेंट जैसे धाकड़ इस पोस्ट पर रहे और ऐसे फैसले लिए जिनकी स्टोरी भारतीय क्रिकेट के सबसे बड़े विवाद की लिस्ट में हैं। राज सिंह डूंगरपुर, चंदू बोर्डे और दिलीप वेंगसरकर भी चीफ सेलेक्टर रहे और ऐसे फैसले लिए जो भारतीय क्रिकेट के इतिहास का हिस्सा हैं। वेंगसरकर तक सब सेलेक्टर ‘ऑनरेरी’ काम करते थे। तब तक, हर ज़ोन अपने प्रतिनिधि को नॉमिनेट करते थे। उसके बाद बोर्ड ने पैसा देना शुरू किया और खुद सेलेक्टर बनाने लगे। 
मजे की बात ये है कि जो नाम चर्चा में हैं उनमें से एक नाम फिर से चेतन शर्मा का है। ध्यान दीजिए- स्टिंग ऑपरेशन के विवाद के बावजूद बोर्ड ने उन पर कोई एक्शन नहीं लिया था, इसलिए उनका रिकॉर्ड ‘क्लीन’ है और वे क्वालीफाई करते हैं। इतना ही नहीं, वे तो नॉर्थ जोन दलीप ट्रॉफी चुनने वाले पैनल के हेड भी थे- हरियाणा क्रिकेट एसोसिएशन के प्रतिनिधि और चूंकि अन्य सभी से सीनियर थे इसलिए हेड बन गए।

अगर हाल के महीनों में टीम इंडिया का क्रिकेट ग्राफ कम असरदार रहा तो इसके लिए ‘अस्थिर’ सेलेक्शन कमेटी’ भी बहुत कुछ जिम्मेदार है। पिछले साढ़े तीन साल में 4 चीफ सेलेक्टर काम कर चुके हैं : मार्च 2020 में एमएसके प्रसाद की जगह सुनील जोशी आए- महज 9 महीने काम किया। चेतन शर्मा दो टेन्योर में लगभग दो साल और उसके बाद शिव सुंदर दास  काम चलाऊ चीफ। आगे बड़ी चुनौती वाले फैसले लेने हैं- वाइट बॉल और रेड बॉल क्रिकेट के लिए नए कप्तान बनाने होंगे।

सेलेक्शन कमेटी अगर टीम मैनेजमेंट के साथ ‘टीम’ के तौर पर काम करे तो अच्छा नतीजा जरूर मिलेगा- ये कोहली-शास्त्री के साथ चीफ कोच एमएसके प्रसाद की ट्यूनिंग ने भी साबित किया। आज कोई पॉलिसी नहीं- सेलेक्टर बिना स्कीम काम कर रहे हैं। इसलिए ही तो सरफराज खान जैसी घरेलू क्रिकेट की रन-मशीन को ये बताने वाला कोई नहीं कि वे कहां गलती कर रहे हैं, बेतुके अंदाज में उप-कप्तान बना रहे हैं और आईपीएल फार्म पर टेस्ट टीम चुन रहे है। मौजूदा पैनल के चीफ सुंदर दास (23 टेस्ट) कहां ठहरते हैं दिलीप वेंगसरकर (2006-2008) और कृष्णमाचारी श्रीकांत (2008-2012) जैसे चीफ के मुकाबले?

बड़ा नाम चाहिए कमेटी को असरदार बनाने के लिए। इसीलिए वीरेंद्र सहवाग का नाम चर्चा में है पर हैरानी ये कि वे फीस देख रहे हैं- इस पोस्ट से जुड़े गौरव, देश की क्रिकेट के प्रति जिम्मेदारी और अपने अनुभव से भारतीय क्रिकेट को फायदा पहुंचाने के मौके को नहीं। इस समय चीफ को सालाना 1 करोड़ रुपये मिलते हैं जबकि 4 अन्य सदस्य में से हर एक को सालाना 90 लाख रुपये। आज की तारीख में, नार्थ से सिर्फ एक ही बड़ा नाम क्वालीफाई  कर रहा है और वह वीरेंद्र सहवाग हैं। वे अप्लाई करने के बाद न चुने जाने के ‘अपमान’ वाले जोखिम को उठाने के लिए भी तैयार नहीं। एक बार पहले इसी तरह से हाथ जला चुके हैं- सीओए के समय में, उन्हें चीफ कोच के लिए अप्लाई करने के लिए कहा गया पर बना दिया अनिल कुंबले को। वे और कई एक्टिविटी से भी पैसा कमा रहे हैं और उससे तुलना करें तो निश्चित तौर पर फीस कम है पर ‘सम्मान’ भी तो देखो। ऐसा नहीं कि बोर्ड, चीफ को 4-5 करोड़ रुपये दे नहीं सकता पर उसके लिए एकदम बड़ी ऊंची छलांग लगानी होगी। 
नार्थ से बड़े नाम वाले गौतम गंभीर, युवराज सिंह और हरभजन सिंह भी हैं पर इन तीनों को रिटायर हुए 5 साल नहीं हुए

बीसीसीआई ढील दे और आख़िरी मैच से 5 साल गिने तो बात बन जाएगी। एक विकल्प विवेक राजदान हैं- वे भी चुने जाने की गारंटी चाहते हैं। मनिंदर सिंह ने दो बार अप्लाई किया- पहली बार इंटरव्यू के लिए बुलाया पर चुना नहीं और दूसरी बार तो कॉल ही नहीं आई। विकेटकीपर अजय रात्रा- वे भी पहले इंटरव्यू दे चुके हैं।

शायद हमारी सोच ही गलत है कि सेलेक्शन कमेटी का चीफ बनना एक सम्मान है- ‘सम्मान’ नहीं, पैसा चाहिए।

चरनपाल सिंह सोबती

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