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लॉर्ड्स में एलेक्स कैरी के जॉनी बेयरस्टो को स्टंप आउट करने के मामले में बहुत कुछ कहा /लिखा जा चुका है। लॉर्ड्स में अगर बाउंसर वॉर ने 1932-33 की बॉडीलाइन की याद ताजा करा दी तो बात इससे खत्म नहीं होती। पांचवें दिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी जब लंच ब्रेक में पवेलियन में गए तो एमसीसी के ‘जेंटलमैन’ सदस्यों ने उनकी हूटिंग की और ‘फिजिकल कांटेक्ट’ की भी शिकायत है। लॉर्ड्स में भीड़, दोपहर से टेस्ट खत्म होने तक लगभग चार घंटे लगातार शोर करती रही और माहौल कुछ ऐसा था मानो एक पार्टी में अचानक ही सब कंट्रोल से बाहर हो गए।

ऑस्ट्रेलिया टीम ने कई स्टेटमेंट जारी कीं, बेहद शर्मिंदा एमसीसी ने माफी मांगी- वह क्लब जो 200 सालों से खुद को स्टार्च-कॉलर वाली अंग्रेजियत और निष्पक्ष खेल की दुहाई देने की प्रतिष्ठा ओढ़े बैठा है। बस कसर सिर्फ ये रह गई कि सिडनी से कोई केबल नहीं आया अन्यथा बॉडीलाइन वाला ड्रामा फिर से देख लेते।

स्पिरिट ऑफ़ क्रिकेट की भी बड़ी चर्चा हुई। दोपहर 1 बजे से कुछ पहले जब इंग्लैंड जीत के लिए बड़े स्कोर को चेज कर रहा था और बेन स्टोक्स एवं जॉनी बेयरस्टो क्रीज पर थे-  कैमरून ग्रीन ने अपने एक ओवर की आख़िरी गेंद बेयरस्टो को फेंकी, बैट से कोई कांटेक्ट नहीं- उसके बाद जॉनी ने बैट से क्रीज के पीछे पिच को छुआ और स्टोक्स से बात करने क्रीज से बाहर निकल गए। विकेटकीपर एलेक्स कैरी ने उसी क्षण गेंद को स्टंप्स पर हिट किया, बेल्स गिरीं और अपील हुई। नोट कीजिए- अंपायर अहसान रज़ा ने तब तक, उस गेंद पर प्ले के अंत के प्रतीक ‘ओवर’ की आवाज नहीं लगाई थी। ऑस्ट्रेलिया ने अपने अधिकार में अपील की जबकि इंग्लैंड के बल्लेबाज ने गलती से मान लिया था कि ओवर पूरा हो गया था और गेंद डेड हो गई थी। ऑफ-फील्ड अंपायर ने रिव्यू के बाद बेयरस्टो को आउट दे दिया।

उसके बाद ग्राउंड पर भी अफरा-तफरी ही रही- कभी स्टोक्स के छक्कों की तो कभी खिलाड़ियों की आपसी बहस की। यहां से स्पिरिट ऑफ़ क्रिकेट की बहस शुरू हुई। अब सवाल ये है कि स्पिरिट ऑफ़ क्रिकेट से ही खेलना है तो क्रिकेट लॉज़ बनाने की क्या जरूरत है? कप्तान पैट कमिंस के पास अपील वापस लेने और बेयरस्टो को वापस बुलाने का विकल्प था- जैसा धोनी ने इयान बैल  के साथ किया। दूसरी ओर, अंपायर के ओवर कॉल करने का फिर महत्व ही क्या रहा- अंपायर ओवर की आवाज इसलिए लगाते हैं ताकि सभी लोग जान लें कि ओवर खत्म और अब बॉल प्ले में नहीं है। इसलिए लॉ के हिसाब से बेयरस्टो आउट थे।  

ऐसा नहीं कि स्पिरिट ऑफ़ क्रिकेट की ऐसी बहस पहली बार हुई है। इसी दलील पर ही तो अश्विन का नॉन स्ट्राइकर को क्रीज से गलत बाहर निकलने के बावजूद आउट करना विवाद बनाया जाता रहा। एक फर्क नोट कीजिए- जब नॉन स्ट्राइकर क्रीज से बाहर निकलता है तो वह रन के फायदे के लिए ऐसा करता है पर लॉर्ड्स में बेयरस्टो ने रन लेने की कोई कोशिश नहीं की थी पर लॉ तो लॉ है। भीड़ तब भी ‘वही पुराने ऑस्ट्रेलियाई, हमेशा धोखा देने वाले’ की आवाजें लगाती रही। इस विवाद ने स्टोक्स की गजब के स्किल, हिटिंग और गुस्से की भावना से प्रेरित 155 रन की पारी को भी चर्चा में पीछे धकेल दिया।

अब 5 टेस्ट की सीरीज में 2-0 से पिछड़ने और 2001 के बाद पहली घरेलू एशेज हार का सामना करने के लिए तीसरे टेस्ट में लीड्स में नया मुकाबला होगा पर क्या तब तक एलेक्स कैरी के जॉनी बेयरस्टो की विवादास्पद स्टंपिंग को भूल जाएंगे? ऑस्ट्रेलियाई कैंप का कहना है कि तीसरे दिन, बेयरस्टो ने मार्नस लाबुशेन को इसी तरह से स्टंप करने की कोशिश की थी

ऑस्ट्रेलिया मीडिया अपनी टीम के साथ है- ‘क्या कांच के घरों में रहने वालों को दूसरों पर पत्थर फेंकना चाहिए’ और इसी के साथ पिछले साल की एक घटना का जिक्र हो रहा है जब इंग्लैंड ने न्यूजीलैंड के कॉलिन डी ग्रैंडहोम को रन आउट कर दिया था। यहां तक कि इस समय कोच ब्रेंडन मैकुलम, ऑस्ट्रेलिया की आलोचना जरूर कर रहे हैं पर वे खुद भी बेदाग़ नहीं हैं- 2006 में श्रीलंका के विरुद्ध तब वे न्यूजीलैंड के खिलाड़ी थे। दूसरी ओर, ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट स्पिनर ब्रैड हॉग, अपनी टीम के साथ नहीं हैं।

इंग्लैंड के पूर्व वनडे कप्तान इयोन मोर्गन ने स्काई स्पोर्ट्स पर कहा- एलेक्स कैरी का एक्शन ‘गजब का स्मार्ट काम’ था। इंग्लैंड के पूर्व टेस्ट कप्तान माइक आथर्टन भी अपनी टीम के साथ नहीं। जिम मैक्सवेल, मशहूर ऑस्ट्रेलियाई कमेंटेटर, जो इस सीरीज में बीबीसी की ‘टेस्ट मैच स्पेशल’ टीम के लिए काम कर रहे हैं- उन कुछ आवाजों में से एक थे जो मानते थे कि ऑस्ट्रेलिया गलत था। मैक्सवेल ने कहा- इससे खट्टा स्वाद आता है।उन्हें अपील वापस ले लेनी चाहिए थी।

कमिंस ने कहा- ‘ सारा श्रेय कैरी को है- बाकी अंपायरों पर छोड़ देते हैं।’ स्टोक्स ने अब तो कह दिया कि वे इस तरह से कभी टेस्ट नहीं जीतना चाहेंगे पर सवाल उस मौके का है जब ऐसा होता है। यही तो क्रिकेट का रोमांच है। 

  • चरनपाल सिंह सोबती

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